विचार

जज साहब डर गए क्या? आख़िर उंगली उठते ही भागकर किसका भला कर रहे हैं आप?

CBI डायरेक्टर, सेना प्रमुख, CJI- नेताओं ने अपनी घटिया राजनीतिक बयानबाज़ी में संवैधानिक पदों पर बैठे उच्चाधिकारियों को भी घसीट लिया है। उन पर बिना सबूत घटिया लांछन लगाए जाते…

24 जनवरी: ‘राष्ट्रीय बालिका दिवस’ बस एक दिन नहीं, हमारी सामाजिक सच्चाई का आईना है

इनमें 77% महिलाओं ने वर्बल सेक्शुअल हैरस्मेंट (भद्दी गली, छींटाकशी, सीटी मारना, अश्लील कमेंट करना) का सामना किया। 51% महिलाओं का कहना रहा कि उन्हें बिना उनकी मर्ज़ी के हाथ…

वेतन मौलवियों को और PM ‘किसी’ को… हद कर दी ‘सड़’ने!

"मोदी-शाह को रोकने के लिए मैं किसी भी हद तक जाने को तैयार हूँ। इसके अलावा, जो भी बन रहा होगा उसको समर्थन दे देंगे। कांग्रेस अगर जीतती है तो…

जब सूट-बूट वाली सरकार ने आम आदमी को वो दिया जो उन्हें 50 साल पहले मिलना था

लड़कियाँ स्कूल सिर्फ इस कारण नहीं जाना चाहती हैं क्योंकि वहाँ उनके पास शौचालय जाने जैसे सुविधाएँ ही नहीं मिल पाती हैं। उन्हें उन तमाम मनोवैज्ञानिक असुविधाओं से गुजरना होता…

येचुरी का लेनिन प्रेम: माओवंशियों पर तर्क़ के हमले होते हैं तो वो ‘महान विचारों’ की पनाह लेता है

आपकी बेटी नक्सलियों के साथ जंगलों में एरिया कमांडर के सेक्स की भूख नहीं मिटा रही। आपका बेटा सीआरपीएफ़ के लिए माइन्स नहीं बिछा रहा। आप बुद्धिजीवी बनते हैं और…

इम्तियाज़ और अब्दुल ने कॉन्स्टेबल प्रकाश को पिकअप ट्रक चढ़ाकर मार दिया, कहीं ख़बर पढ़ी?

अब आप इसी हत्या की कहानी के नाम बदल दीजिए, प्रकाश को ट्रक पर बिठा दीजिए, फ़ैयाज़ और क़ुरैशी को पुलिस बना दीजिए। तब ये घटना, भले ही इसमें घृणा…

विश्व की सबसे बड़ी सेनिटेशन योजना ‘स्वच्छ भारत अभियान’ से हमें क्या मिला

साठ के दशक के आरंभिक दिनों में जब विद्याधर सूरजप्रसाद नायपॉल अपने पुरखों की भूमि भारत आए थे तब उन्हें कश्मीर से लेकर मद्रास तक और गोवा से लेकर उत्तर…

राहुल गाँधी जी, हवाबाज़ी थोड़ा कम कीजिए! ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ ने ज़िंदगियाँ बदली हैं

'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना की प्रमुख ज़रूरत देशव्यापी जागरूकता अभियान भी है। पर राहुल और उनके पिट्ठू मीडिया को वास्तविक तथ्यों से अवगत हो और उसे सच्चाई के साथ…

1993 के घूस काण्ड की पार्टियाँ झारखंड में BJP के ख़िलाफ़ एकजुट

झारखंड में लोकसभा की कुल 14 सीटें हैं। राज्य में आदिवासियों की संख्या अच्छी तादाद में है। आदिवासियों के वोट बैंक पर झामुमो की पकड़ मजबूत है।

मैं तो बस एक झूठ लेकर चला था, ‘वायर’ जुड़ते गए, और ‘कारवाँ’ बनता गया…

कारवाँ एक ऐसा मैगजीन है जिसके बारे में आप तभी सुनते हैं जब रवीश कुमार फ़ेसबुक पर लेख लिखकर जताते हैं कि उस शाम के प्राइम टाइम में क्या कवर…