विचार

AAP को जीत, दिल्ली को दुविधा मुबारक

AAP की केजरीवाल सरकार से भंग होता मोह। BJP शासित निगम के रहते घर के बाहर लगा कूड़े का ढेर। दुविधा में दिल्ली ने खुद का कूड़ा-कूड़ा कर लिया।

NDTV और रवीश कुमारः अब वो फिरते हैं तन्हा लिए दिल को, एक जमाने में मिजाज उनका सर-ए-अर्श-ए-बरीं था

एनडीटीवी मीडिया की अन्य दुकानों की तरह ही है। न पवित्र गाय, न सूअर। वे बस हुनरमंद रहे हैं विष्ठा को भस्म बता बेचने और खुद को बुद्धिजीवी बताने के।

62 साल पहले 3 बहनों ने तानाशाह के नाक में कर दिया दम, निर्ममता से हुई हत्या: 25 नवंबर की वो कहानी, जिससे उठी ‘उत्पीड़ित महिलाओं’ की आवाज

पूरे विश्व में हर तीन में से एक महिला किसी न किसी तरह के उत्पीड़न/ हिंसा का शिकार होती हैं। समय की माँग है कि हम एक जागरूक नागरिक की…

NBT की प्रेम वाली पत्रकारिता: बेटी प्रतिभा को बचाने वाली माँ हुई ‘नफरती’, भगोड़े शादीशुदा नदीम सैफी पर पूरा प्यार लुटाया

NBT का आर्टिकल को पढ़ने से प्रतीत होता है कि यह नदीम के दृष्टिकोण से लिखा गया है। एक विशेष एजेंडे के साथ परोसा गया है। यह संदेश देने की…

अंजलि ने शादीशुदा अब्दुल से निकाह किया, शौहर के परिवार वालों ने ही पीठ में मार दी गोली

गोली लगने के बाद से अंजलि की हालत गंभीर बनी हुई है। हमले को लेकर पुलिस ने 2 संदिग्धों को पकड़ा है। शादी के बाद से ही अंजलि को हत्या…

बच गई आवारा कुत्ते के हमले में घायल 1 साल की बच्ची, लेकिन चेहरे पर लग गए 115 टाँके: 36 घंटे तक चला मैराथन ऑपरेशन

गाजियाबाद में एक साल की बच्ची रिया पर आवारा कुत्ते ने बेरहमी से हमला कर दिया था। 36 घंटे तक चले ऑपरेशन में पीड़िता को 115 टाँके लगे हैं।

डर, दबाव और सब ठीक होने की उम्मीद…: आखिर क्यों कोई ‘श्रद्धा’ चाहकर भी नहीं छोड़ पाती किसी ‘आफताब’ को?

श्रद्धा वाकर की ऐसी तस्वीरें सोशल मीडिया पर हैं जिसमें उसके चेहरे पर पिटाई के निशान हैं। ये निशान सवाल करते हैं कि आखिर उसने आफताब को क्यों नहीं छोड़ा…

रवीश कुमार पर बन गई डॉक्यूमेंट्री, बज रहीं तालियाँ… लेकिन इसमें पैसा लगा है भारत विरोधी जॉर्ज सोरोस और फोर्ड फाउंडेशन का

फोर्ड फाउंडेशन और जॉर्ज सोरोस ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के साथ संबंधों को लेकर रवीश कुमार की डॉक्यूमेंट्री While We Watched सवालों के घेरे में।

आज भी कबीलों के दखल से चलती है खाड़ी मुल्कों की सरकारें, शासक देते हैं सब्सिडी: अरब में लोकतंत्र कभी नहीं रहा समाज का हिस्सा, लोगों को अधिकारों में कटौती मंजूर

खाड़ी मुल्कों में भले ही इन क़बीलों की वास्तविक संरचना पहले जैसी नहीं हो, लेकिन वो अभी भी अपने सामाजिक और राजनीतिक भूमिका को बना कर रखते हैं।

पंजाब में 65000 पादरी, जिस चर्च के 14 साल पहले थे 3 मेंबर- अब हैं उसके 300000 सदस्य: पंज प्यारों की जमीन पर ‘पगड़ी वाले ईसाइयों’ की छाया कैसे

कागज पर पंजाब की 1.26% आबादी ही ईसाई है। लेकिन जमीन पर धर्मांतरण का 'बाजार' तेजी से फल-फूल रहा है। जिससे डेमोग्राफी में भयावह बदलाव आ रहा है।