विचार

अब नागाओं का वास्तविक हितधारक और हितैषी नहीं है NSCN (IM): अन्य स्टेकहोल्डर्स को भी शामिल किए जाने की माँग

एनएससीएन (आईएम) को नागा हितों का एकमात्र प्रतिनिधि संगठन मानना और सिर्फ इसके साथ ही शांति-वार्ता और संघर्ष-विराम करना ऐतिहासिक रणनीतिक भूल है।

शिक्षक दिवसः नेहरू के यूरोपियन पाठ का सरकारी पर्व

एक आत्महीन देश ही किसी ‘उन्नत’ देश को धन्यभाव से देखता और पिछलग्गू बन जाता है। नेहरू ने भारत को उसकी मूल संस्कृति से काटकर असल में ऐसा ही देश…

बेंगलुरु, माल्मो, ऑस्लो: इस कोढ़ का क्या इलाज है? | Ajeet Bharti speaks on Sweden riots

आपने कई लिबरल्स को इन दंगों को जस्टिफाई करते भी देखा होगा कि उनका कुरान जला दिया गया तो उन्होंने थोड़ा सा ये कर दिया तो क्या हो गया।

…जब RSS के मंच से प्रणब मुखर्जी ने भरी थी ‘राष्ट्रवाद’ की हुँकार

RSS मुख्यालय में प्रणब मुखर्जी ने देश के प्राचीन इतिहास से लेकर उसकी संस्कृति तक जो कुछ कहा था, वह बीते कल में भी प्रासंगिक था और आने वाले कल…

प्रशांत भूषण के नहले पर सुप्रीम कोर्ट का दहला: कथित गाँधीवादी घेराबंदी बनाम ₹1 की इज्ज़त

यह फैसला देकर जजों ने अपनी सूझबूझ का परिचय तो दिया ही है, साथ ही किसी भी लोकतंत्र में नकारात्मक प्रेशर-ग्रुप्स को भी एक शानदार मैसेज दिया है कि वे…

एक लेख में 8 बार बु* शब्द का प्रयोग बताता है कि ‘दि प्रिंट’ का दिमाग कहाँ घुसा हुआ है

ऐसे लेखों का औचित्य क्या है? इससे किसका भला हो रहा है? क्या इसका औचित्य भोजपुरी बोलने वालों को नीचा दिखाना नहीं है।

राजदीप सरदेसाई: आज रिया की स्तुति से टीआरपी की तलाश, कभी गुजरात दंगों पर ‘प्रोपेगेंडा’ से सेंकी थी रोटियॉं

राजदीप को ना ही रिया चक्रवर्ती से और ना ही सुशांत सिंह राजपूत से ही संवेदना है। वह बस TRP की रेस में किसी तरह खुद को खबरों में बनाए…

कट्टरपंथी इस्लामी उन्माद और हिंसक वामपंथी मनोवृत्ति से लड़ता निहत्था, असहाय हिन्दूः कानून की नैतिक दीवार के सहारे का सत्य

पेट्रोल बम, एके-47, मानव बम और अत्याधुनिक हथियारों के बरअक्स एक स्वयंसेवक की लाठी यकीनन नाकाफी है, भले उसके मन में पहाड़ों सा साहस है लेकिन व्यवहारवाद यही कहता है…

ये पतित गैंग कंगना की 2009 की तस्वीरें क्यों दिखा रहा है? ‘माह लाइफ माह रुल्ज’ का वोक नारा भी वामपंथियों के लिए ही है?

लेफ्ट-लिबरल्स को यह सवाल खुद से पूछना चाहिए कि क्या 'माय लाइफ माय रूल्स' का 'वोक' नारा भी सिर्फ पादुकोण या कपूर परिवार की बेटियों के अधिकारों के लिए ही…

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: उसकी कमीज मेरी कमीज़ से सफेद कैसे? लोकतंत्र के लिए ये दाग अच्छे नहीं

सुप्रीम कोर्ट तक की निंदा करने वाले क्या सच में 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' के पक्षधर हैं? या फिर ये बुद्धिजीवी का नक़ाब ओढ़े हुए...