राजनैतिक मुद्दे

‘हिंदुओं पर हमला हिंदुओं की ही गलती है, मुस्लिम इलाके में जाते क्यों हैं’ : रामनवमी पर हुई हिंसा पर लिबरलों का तर्क

कुछ भी हो, पर सारी गलती हिंदुओं की होती है, आखिर वो कैसे इतनी हिम्मत करते हैं कि मुस्लिम इलाके में अपनी शोभा यात्रा निकालें!

हिंदुओं की बहनों से रेप, मंदिर में अटैक या नरसंहार – मुस्लिमों पर ‘सिस्टम’ सॉफ्ट… हिंदू ‘अपराधी’ पर चलता है हथौड़ा

आरोपित हिंदू हो तो पुलिस-प्रशासन-मीडिया सब उसके खिलाफ। मामला जब इस्लामी नाम वाले से जुड़ा हो तो कैंडल लाइट मार्च और रात में कोर्ट-कचहरी!

गीता फाड़ने से लेकर ‘Pak के लिए सब कुछ कुर्बान’ करने तक, AMU में हिन्दू घृणा पुरानी: अंग्रेजों के आशीर्वाद से स्थापना, जिन्ना की फोटो

ब्रिटिश सरकार आश्वासन के बाद 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) स्थापित हुआ और इसी के साथ मुस्लिमों के लिए एक अलग देश की माँग जोर पकड़ती चली गई।

‘कॉन्ग्रेस को 3 सीटें नहीं मिलेंगी’ कह कर तीसरा पुशअप नहीं किया, हुआ भी यही: कई चुनावों में ऐसे सही साबित हुए प्रदीप भंडारी और ‘जन की बात’

दिल्ली विधानसभा चुनाव में सभी एजेंसियाँ कॉन्ग्रेस को 10% का वोट शेयर दिखाया, लेकिन 'जन की बात' ने कॉन्ग्रेस को 5% वोट बताया। ये सही साबित हुआ।

हनुमान जी ‘दंगाई’, स्वस्तिक को झाड़ू, छठ-दीवाली पर लिबरल राग: केजरीवाल की हिंदूफोबिया पुरानी, कश्मीरी पंडित नए शिकार

हनुमान जी 'दंगाई', स्वस्तिक को झाड़ू, छठ-दीवाली पर लिबरल एजेंडा, भगवद्गीता पर झूठ, राम मंदिर पर प्रपंच - केजरीवाल का हिन्दू विरोध नया नहीं।

जब घूम-घूम कर 700 पीड़ितों से मिल रहे थे विवेक अग्निहोत्री, तब कहाँ थे केजरीवाल? 15 फिल्मों का प्रचार किया, कश्मीरी पंडितों से दिक्कत क्यों?

'द कश्मीर फाइल्स' की कमाई से और भी फाइलों के खुलने का डर है? केजरीवाल जैसे लोग चाहते थे ये फिल्म फ्लॉप हो जाए। दिक्कत फिल्म नहीं, इसके कलेक्शंस से…

यूपी के राजनीतिक मिथक तोड़ते-तोड़ते खुद नया मिथक बन गए हैं योगी आदित्यनाथ…

दूसरी बार शपथ लेने जा रहे संन्यासी ने अफवाहों, अंधविश्वासों, आकलनों को झुठलाते हुए उत्तर प्रदेश के कई राजनीतिक और अराजनीतिक मिथक तोड़ दिए हैं।

जब आदमी मुकेश सहनी जैसी गलतियाँ करता है तो उसका ‘उपेंद्र कुशवाहा’ हो जाता है: VIP सुप्रीमो ने ऐसे अपने ही पाँव मार ली कुल्हाड़ी

मुकेश सहनी अब अपनी पार्टी में वो अकेले विधान पार्षद बचे हैं, कार्यकाल खत्म हो रहा है। इसके पीछे भी एक कहानी है, जो करीब एक साल पहले जाती है।

इस्लामी कट्टरपंथ पर पर्दा डालने का रिवाज पुराना, इसलिए ‘द कश्मीर फाइल्स’ से जले-भुने हैं लिबरल: जिंदा रहने के लिए ‘शठे-शाठ्यं समाचरेत’ की नीति जरूरी

‘हम भारत के लोग’ हर गलत को गलत और सही को सही कहना प्रारंभ करें, तब ही हमारा भविष्य निरापद और सुरक्षित हो सकता है। यही ‘द कश्मीर फाइल्स’ के…

काश! पीयूष बबेले की शेरो-शायरी की तरह ही हल्की होती कश्मीरी हिंदुओं की व्यथा

बबेले जो काम कभी पत्रकारिता का चोला ओढ़ कर करते थे, वह अब खुलकर करने लगे हैं। कश्मीरी हिंदुओं को लेकर ट्विटर पर उन्होंने जो दस्त की है, वह इसका…