‘हिंदुओं पर हमला हिंदुओं की ही गलती है, मुस्लिम इलाके में जाते क्यों हैं’ : रामनवमी पर हुई हिंसा पर लिबरलों का तर्क

हिंदुओं पर हमले की घटनाएँ

हाल में हिंदू त्योहार मनाने के दौरान हिंदुओं पर हमले की कई घटनाएँ घटीं। करौली में 2 अप्रैल को हिंदू नव वर्ष के मौके पर शोभा यात्रा में भी हिंदुओं पर पत्थर बरसाए गए। इसके बाद वहाँ हिंसा और आगजनी हुई। राजस्थान पुलिस ने अपने बयान में कहा कि हिंदू, भड़काऊ गाने चला रहे थे और चूँकि इलाका मुस्लिम बहुल था इसलिए हिंसा भड़क गई।

रिपोर्ट्स के अनुसार, PFI ने प्रशासन को पहले चेतावनी दी हुई थी कि हिंदू लोग, मुस्लिम बहुल इलाके में जुलूस निकालने वाले हैं जिससे संभव है कि हिंसा हो।

राम नवमी के मौके पर कई जगह हिंदुओं पर कई गुना तेजी से हमले किए गए। विभिन्न राज्यों में राम नवमी पर निकाली गई शोभा यात्रा पर मुस्लिम भीड़ ने आक्रमण किया। गुनाह बस इतना था कि हिंदू मुस्लिम इलाकों में से शोभा यात्रा निकाल रहे थे।

इसी तरह विश्व हिंदू परिषद ने भी राम नवमी पर एक यात्रा निकाली, लेकिन जैसे ही ये यात्रा हावड़ा के शिबपुर की जीटी रोड पर पीएम बस्ती के नजदीक फजीर बाजार के पास पहुँची तो यात्रा पर पथराव किया गया।

एक अन्य शोभा यात्रा जो गुजरात के हिम्मतनगर में निकली वहाँ पर भी ऐसे ही हमले हुए। फिर झारखंड के लोहारगढ़ से भी ऐसी रिपोर्ट आई। इसी तरह मध्य प्रदेश के खरगोन और कर्नाटक के मुलबगल में भी यही सब हुआ।

हिंदुओं को मुस्लिम इलाकों से नहीं जाना चाहिए, हिंसा उनकी गलती है: लिबरल तर्क

इन सबके बावजूद सारा दोष हिंदुओं पर मढ़ दिया जाता है कि आखिर उन्होंने अपने ही त्योहार पर गाने बजाकर यात्रा निकालने की जुर्ररत कैसे की। भारतीय सेकुलर लिबरलों का मानना है कि हिंदुओं को हमेशा विनम्र, मिलनसार होना चाहिए और उनमें कभी भी इतनी हिम्मत नहीं होनी चाहिए कि वो मुस्लिम इलाकों में एंट्री करें। अगर वो ऐसा करें और हिंसा भड़के तो भी गलती उन्हीं की हो।

हाल में एनडीटीवी के श्रीनिवासन जैन ने हिंदुओं पर हुए हमले के लिए हिंदुओं को जिम्मेदार ठहराया है। तर्क यही है कि आखिर हिंदू लोग मुस्लिम इलाके से गुजरे क्यों।

जैन ने अपनी बात कहते हुए लगातार बताया कि उनका मानना यही है कि जो हिंसा की घटनाएँ हुई उसके पीछे कारण केंद्र में बैठी मोदी सरकार है और साथ में वो हिंदू नेता हैं जो ‘यथास्थिति’ के खिलाफ बयान देते हैं। उदाहरण के लिए एक हिंदू नेता ने उस हलाल अर्थव्यवस्था के विरुद्ध बयान कैसे दिया जो मुस्लिमों को फायदा देती है और हिंदुओं के साथ भेदभाव करते हैं।

श्रीनिवासन का मानना है कि भेदभाव करने वाले प्रक्रिया पर सवाल उठाना हिंसा को भड़काना है और जो हिंसा होती है वो इसलिए होती है क्योंकि मोदी सत्ता में हैं। जैन अपनी बात को कहते हुए उन दर्जनों दंगों, बम विस्फोट, नरसंहार को नजरअंदाज करने का फैसला लेते हैं जो तब हुए जब मोदी सत्ता में नहीं थे।

वैसे ऐसा सोचने वाले श्रीनिवासन जैन अकेले नहीं हैं। सेकुलर-लिबरलों का पूरी जमात है जो मुस्लिम-इलाके वाली थ्योरी को मानती है। उनके मुताबिक, ‘मुस्लिम इलाके’ से जुलूस निकालना, हिसा को भड़काना है। अपने स्पष्टीकरण में ये लोग ये बिलकुल भूल जाते हैं कि वो मुस्लिम भीड़ ही थी जिसने हिंदुओं पर पत्थरबाजी की थी।

कॉन्ग्रेस नेता को देखिए:

और आखिर ये ‘मुस्लिम इलाका’ है क्या चीज? ये वही सवाल है जो अन्य लोग भी श्रीनिवासन जैन और उन जैसों से पूछ रहे हैं। क्या ये कोई अलग इलाके हैं जहाँ हिंदुओं को आने की अनुमति नहीं है? क्या ये वैसे ही इलाके हैं जहाँ स्वास्थ्यकर्मियों के ऊपर पत्थर बरसाए जाते थे जब वो कोविड संक्रमित लोगों को जाँचने जाते थे

इस तथाकथित सेकुलर, लोकतांत्रिक देश में स्वघोषित लिबरल, मुस्लिम बस्ती के विचार को प्रसारित करते हैं जहाँ गैर मुस्लिमों को जाने की, रहने की या गुजरने की अनुमति न हो। इससे पहले ऐसी ही सफाइयाँ बरखा दत्त द्वारा भी एक बार दी गई थी जब वो कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के लिए कश्मीरी पंडितों को ही जिम्मेदार बता रही थीं। बरखा ने कहा था कि कश्मीरी पंडितों का नरसंहार और पलायन की वजह वही लोग हैं क्योंकि उन्होंने घाटी में लोगों की नौकरियाँ उनसे ले ली थीं।

मुस्लिम इलाके ही वह वजह हैं जिनकी वजह से देश के टुकड़े हुए। मुस्लिम इलाके हैं जिसके कारण कश्मीर में रालिव- गैलिव-त्यासालिव गूँजा, मुस्लिम इलाके हैं कि क्यों श्रीनगर में बिहारी लोग मारे गए, मुस्लिम इलाके हैं वजह जिसके कारण पूर्वी बंगाल में लाखों बंगाली हिंदू मारे गए, बलात्कार किए गए। आखिर कब तक ये देश ऐसे मुस्लिम इलाकों की भरपाई करता रहेगा जहाँ देश के सेकुलर कानून लागू नहीं होते। 

कौन निर्णय लेगा कि मुस्लिम इलाका कौन सा है? क्या कोई निर्धारित नियम हैं कि गैर मुस्लिम लोग मुस्लिम इलाकों में एंट्री नहीं कर सकते। एक ऐसा देश जो मजहबी आधार पर विभाजन की बर्बरता से गुजर चुका हो, वहाँ तथाकथित एलिट लोगों द्वारा मजहबी धर्मांध को बढ़ावा दिया जा रहा है।

Sanghamitra: reader, writer, dreamer, no one