सामाजिक मुद्दे

कभी-कभी लगता है मैं स्वयं ही ‘बेरोज़गारी’ हूँ: रवीश, रोज़गार और आँकड़े

रवीश कुमार ने आँकड़ों को समझने की कोशिश किए बिना, अनुवाद कर दिया। वहाँ उनको 'जॉब' और 'स्लोडाउन' दिखा, बस अनुवाद कर के मोदी को लपेट लिए। जबकि इस लेख…

ईसाईयों ने सबरीमाला को 1950 में आग लगा दी थी, आज भी नफरती चिंटुओं की नज़र पर है आस्था

सवाल यह भी है कि क्या हम खुद अपने मंदिरों पर जारी हमलों को उसी तरह देखने और बयान करने की हिम्मत जुटाएँगे जैसा वो सचमुच हैं? सेकुलरिज्म का टिन…

मस्जिद में महिलाएँ Vs मर्द: बहनो… एक साथ खड़े होने का समय अब नहीं तो कब?

बहनो! यह सही वक्त है चोट करने का। मस्जिद में पल रही मर्दवादी सोच पर प्रहार करने का। एक साथ उठ खड़ी हो, हजारों किलोमीटर लंबी ह्यूमन चेन बनाओ। अल्लाह…

हिन्दू त्योहारों पर आम होती इस्लामी पत्थरबाज़ी: ये भी मोदी के मत्थे मढ़ दूँ?

हर आतंकी और उसका संगठन एक ही नारा लेकर निकलता है, काले झंडे पर सफ़ेद रंग से लिखा वाक्य क्या है, सबको पता है। बोल नहीं सकते, वरना 'बिगट' और…

जब अम्मी-अब्बू ही ‘वेश्या’ कहकर हत्या कर दें, तो जहाँ में ‘बेटियोंं’ के लिए कोई जगह महफ़ूज़ नहीं

पिता इफ्तिख़ार अहमद और अम्मी फरजाना को बेटी के चाल-चलन पर शक़ था, जिसके चलते उसके मुँह में प्लास्टिक का बैग ठूंसकर उसकी निर्मम हत्या कर दी गई। उनको लगता…

जब समुदाय विशेष खुद को स्वतः घुसपैठिया समझ कर सोशल मीडिया पर बकवास करता है

जब साफ-साफ घुसपैठियों की बात की है, और उसमें यह कहा है कि बौद्ध, सिक्खों और हिन्दुओं के अलावा जो भी बाहर से आए लोग हैं, उन्हें बाहर..

हिंदुस्तान के उत्थान में रमता था बाबा साहब का मन, उनके नाम पर विघटन-घृणा का बीज बोना वामपंथियों की साजिश

"मैं हिंदुस्तान से प्रेम करता हूँ। मैं जियूँगा हिंदुस्तान के लिए और मरूँगा हिंदुस्तान के लिए, मेरे शरीर का प्रत्येक कण हिंदुस्तान के काम आए और मेरे जीवन का प्रत्येक…

भीमा कोरेगाँव: बाबासाहेब अंबेडकर ने नहीं दी थी ब्राह्मणों को गाली, झूठ बोलते हैं अर्बन नक्सली

कोरेगांव की लड़ाई की प्रशंसा ब्रिटेन की संसद तक में हुई थी और कोरेगाँव में एक स्मारक भी बनवाया गया था जिस पर उन 22 महारों के नाम भी लिखे…

अल्पसंख्यक ही नहीं बहुसंख्यक भी होते हैं सांप्रदायिक वारदातों के शिकार, छिपाता है मीडिया

हिन्दू आज़ादी से अपने त्यौहार मनाएँ, मुस्लिम बिना व्यवधान से नमाज़ पढ़ें, लेकिन दोनों ही मामलों में अगर कोई बाधा डालने वाला कार्य करता है तो दोनों ही ख़बरों को…

बिहार का गुमनाम जलियाँवाला: नेहरू ‘तारापुर शहीद दिवस’ की घोषणा करके भी मुकर गए, क्या थी वजह?

इसमें केवल पासी, धानुक, मंडल और महतो ही नहीं शहीद हुए थे- मरने वालों में झा और सिंह नामधारी भी थे। तो दलहित चिंतकों के लिए इस मामले में रस…