सामाजिक मुद्दे

रवीश कुमार जी वाह! KFC में बैठकर शाकाहार पर प्रवचन…

जब 6 फुट का CRPF का जवान अपने घर 200 ग्राम के मांस के बंडल में पहुँच रहा है, उसकी स्थिति को देखकर जो लोग दुखी हैं, उनको रवीश कुमार…

लोकतंत्र का लहसुन: रावण से रा.टू होने तक मायावती का मनुवादी होना ज़रूरी है

हिंसक आंदोलनों की नाजायज़ औलादें, लाशों पर पैर रख कर संसद तक पहुँचती है। ऐसी भीड़ें ही इन नाजायज़ बच्चों को जनती है जो बाद में इन्हीं के लिए बने…

बिहार में शराब बंदी ने दिया है महिलाओं को गरिमामय जीवन जीने का अधिकार

आज बिहार औरतों की मुक्ति की प्रस्तावना लिखने जा रहा है। यह 'मौन-क्रांति' ही है, जो अब किसी भी बिहार की बेटी को दहेज और घरेलू -हिंसा के खातिर आत्महत्या…

नई शोधनीति में ‘राष्ट्रहित’ की अनुशंसा पर ये बिलबिलाहट क्यों?

ये वैसा ही है जहाँ अवार्ड वापसी गिरोह पुरस्कार की राशि डकार कर मोमेंटो ही वापस करता है और दबाव बनाता है।

विरोध प्रदर्शन की आड़ में JNU के नक्सलियों द्वारा कुलपति की पत्नी पर हमला कहाँ तक उचित है?

आज देश की बड़ी-बड़ी परीक्षाएँ कम्प्यूटर के माध्यम से होती हैं। ऐसे में इस कदम का विरोध करना केवल मूर्खता को दर्शाता है। लेकिन अगर इसके बावजूद किसी पढ़े- लिखे…

‘हिंदू बहनों’ पर हुए अत्याचार पर नारीवादी Pak मलाला चुप भी है और ब्लॉक भी कर रही – दोहरेपन की हद है यह

मलाला का न्यूज़ीलैंड के मुद्दे पर दुख प्रकट करना और रवीना और रीना पर शांत हो जाना दिखाता है कि इंसान कितना ही प्रोग्रेसिव क्यों न हो जाए, लेकिन उसके…

गणेश शंकर विद्यार्थी की याद में: मॉब लिंचिंग का कोई मज़हब नहीं होता

झूठ का पर्दाफाश होने के बाद भी ये उम्मीद मत रखिए कि दिल्ली के ठग और #बेगुसरायकाबकैत अपनी बेशर्मी के लिए कोई माफ़ी माँगेंगे। ये वो लोग हैं जो अपने…

माँ के रुदन को नज़रअंदाज़ कर मासूम की हत्या करने वाले आतंकियों का कैसा मानवाधिकार?

एक रोती हुई माँ, बाहर विनती करता पूरा परिवार, मौलवियों-उलेमाओं द्वारा मस्जिद के लाउडस्पीकर से आग्रह, सुरक्षा बलों द्वारा नागरिकों को बचाने की कोशिश, इन सबके बीच आतंकियों ने कुछ…

नारीवाद की आड़ में कामुकता बेचने वाले लल्लनटॉप, आप किसी की मदद नहीं कर रहे

ये बहुत ही धूर्त एडिटर का कमाल होता है जब वो लड़की के वक्षस्थल को घूरने को 'ग़लत बात' कहते हुए हेडलाइन बनाता है, और इमेज में वैसी ही तस्वीर…

स्वामी असीमानंद और कर्नल पुरोहित के बहाने: ‘सैफ्रन टेरर’ की याद में

कल दो घटनाएँ हुईं, और दोनों ही पर मीडिया का एक गिरोह चुप है। अगर यही बात उल्टी हो जाती तो अभी तक चुनावों के मौसम में होली की पूर्व…