CM योगी के ‘रिपोर्ट कार्ड’ को झुठलाने के लिए BBC ने बलवे की संख्या को बताया दंगा: UP पुलिस ने फैक्ट देकर किया ‘नंगा’

CM योगी के 'रिपोर्ट कार्ड' को झुठलाने के लिए BBC ने बलवे की संख्या को बताया दंगा

19 मार्च 2021 को उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को चार साल पूरे हुए। इस मौके पर यूपी सरकार ने अपनी उपलब्धियों को गिनाया। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मौके पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। यूपी सीएम ने कहा कि प्रदेश में अब कोई दंगा नहीं होता है, जो सरकार की उपलब्धि है।

यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश अब बीमारू राज्य की श्रेणी से हटकर सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभर रही है। यूपी सीएम ने कहा कि आज ईज़ ऑफ डूइंग की लिस्ट में भी यूपी नंबर दो पर है, हमने काफी लंबी छलाँग लगाई है। इस दौरान यूपी सरकार ने रिपोर्ट कार्ड भी पेश किया।

बीबीसी ने यूपी सरकार के दावों को गलत साबित करने के लिए एक रिपोर्ट पब्लिश किया, हालाँकि, यूपी पुलिस ने उन्हें आईना दिखा दिया। बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट का हेडलाइन दिया, “योगी आदित्यनाथ के यूपी में चार साल के रिपोर्ट कार्ड के दावों की हक़ीक़त।”

बीबीसी ने दावा किया कि साल 2012 और 2015 में अपराध के बढ़ने की दर साल 2019 के मुकबाले कम थी। तब अपराध 1.5 प्रतिशत और 0.6 प्रतिशत की दर से बढ़े थे। योगी आदित्यनाथ ने साल 2017 में यूपी की सत्ता सँभाली थी। इस साल अपराधों में 10 फ़ीसदी की बढ़त हुई, अगले साल भी अपराध बढ़ने की दर 10 फ़ीसदी ही रही जबकि साल 2019 में ये 3 प्रतिशत थी।

बीबीसी रिपोर्ट का हिस्सा

इसके अलावा उन्होंने बीते चार सालों में प्रदेश में दंगा न होने की उत्तर प्रदेश सरकार के दावे को गलत बताया। इसके लिए उन्होंने एनसीआरबी के डाटा का हवाला दिया। उनका कहना है, “उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक दंगों की वारदातें 2018 के बाद से कम तो हुई हैं लेकिन अभी भी यूपी में दंगों से जुड़े मामले महाराष्ट्र और बिहार के बाद सबसे ज़्यादा दर्ज किए जाते हैं। एनसीआरबी के डाटा के मुताबिक यूपी में साल 2016 में 8016 दंगों से जुड़े मामले दर्ज हुए। साल 2017 में ये संख्या 8990 रही, जबकि साल 2018 में 8909 और 2019 में 5714 मामले दर्ज किए गए। योगी आदित्यनाथ ने साल 2017 में सत्ता सँभालने के बाद भी ये दावा किया था कि यूपी में दंगे बंद हो गए हैं, लेकिन आधिकारिक डाटा उनके दावों से ठीक उलट है।”

https://twitter.com/Uppolice/status/1374662913714233345?ref_src=twsrc%5Etfw

यूपी पुलिस ने उनके दावे का खंडन करते हुए सच्चाई बताई। यूपी पुलिस ने ट्वीट करते हुए लिखा, “आपके द्वारा NCRB रिपोर्ट के आधार पर 2016 से 2019 तक 8016, 8990, 8909, 5714 दंगो का उल्लेख किया गया है। सच्चाई यह है कि प्रदेश में विगत 04 वर्षों में कोई साम्प्रदायिक दंगा नहीं हुआ है। जिस आँकड़े का उल्लेख आपके द्वारा किया गया है वह वस्तुतः बलवे की संख्या है जिसमें भी कमी आई है।” इस ट्वीट में उन्होंने साल 2016 से 2019 तक के क्राइम रेट का आँकड़ा भी शेयर किया है। जिसमें बताया गया है कि साल 2016 में 3.7, 2017 में 4.0, साल 2018 में 4.0 और साल 2019 में 2.5 है।

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में अपराध और अपराधियों के खिलाफ योगी आदित्यनाथ की सरकार अक्सर जीरो टॉलेरेंस की बातें करती हैं। ऐसे में भाजपा की सरकार आने के बाद से पुलिस और अपराधियों के बीच कई मुठभेड़ हुए हैं, जिनमें आत्मरक्षा में पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी और कई अपराधी मारे गए।

विपक्ष उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर की संख्या को लेकर अक्सर सरकार को घेरता है और तमाम तथ्यों के सामने आने के बावजूद उन्हें फर्जी बताता है। ‘दैनिक जागरण’ के आँकड़ों के अनुसार, पिछले 4 वर्ष में उत्तर प्रदेश में अब तक 135 अपराधी एनकाउंटर में मारे जा चुके हैं।

इस वर्ष पिछले ढाई महीने में हुई ऐसी कई मुठभेड़ों में 6 अपराधी ढेर हो गए। वार्षिक आँकड़ों की बात करें तो 2017 में पुलिस और अपराधियों की मुठभेड़ में 28, वर्ष 2018 में 41, वर्ष 2019 में 34 जबकि वर्ष 2020 में 26 अपराधी मारे गए हैं। इनमें 111 ऐसे थे, जो इनामी बदमाश थे।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया