Covaxin के लिए जमा कर लीजिए पैसे, कंपनी चाहती है ज्यादा से ज्यादा कीमत: मनी कंट्रोल में छपी खबर – Fact Check

भारत बायोटेक कोवैक्सीन

भारत सरकार द्वारा 9,300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन निर्यात करने और देश में ऑक्सीजन की कमी को अनदेखा करने की भ्रामक खबरें फैलाने वाले मीडिया समूह मनी कंट्रोल ने दो दिन बाद फिर से फेक न्यूज का सहारा लिया है। इस बार उसने कोविड-19 वैक्सीन के मूल्य निर्धारण को लेकर भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट के बारे में अपनी भ्रामक रिपोर्ट प्रस्तुत की है।

बुधवार (21 अप्रैल 2021) को प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, मनी कंट्रोल ने अपने लेख में कहा, “बाजार में कोविड वैक्सीन की कीमत 1000 रुपए, भारत बायोटेक कोवैक्सीन के लिए चाहता है अधिक से अधिक कीमत”

यह हेडलाइन स्पष्ट नहीं है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि भारत बायोटेक अपनी COVID-19 कोवैक्सीन के लिए अधिकतम मूल्य चाहता है, ताकि इस महामारी में वह अपने लाभ को बढ़ा सके, जहाँ हजारों लोग अपना जीवन खो रहे हैं। मनी कंट्रोल इस लेख में एक सोर्स आधारित अफवाह के साथ भारत बायोटेक को लेकर भ्रामक दावे कर रहा है कि वह कोरोना संकट में अधिक लाभ कमाना चाहता है। इसलिए निजी बाजार में COVID-19 वैक्सीन की कीमत 1,000 रुपए है।

मनीकंट्रोल का लेख

कोरोना संकट के बीच ऐसे भ्रामक दावों को फैलाने का कारण केवल लोगों के बीच भय का बीज बोना था। उनका कहना है कि भारत बायोटेक इस महामारी में भी लोगों से लाभ लेने के लिए अपनी कोशिशों में जुटी हुई है। हालाँकि, सच्चाई इससे परे है। मनी कंट्रोल का यह लेख में वास्तविकता के उलट दुर्भावना से प्रेरित प्रतीत होता है।

मनी कंट्रोल का यह लेख

मनी कंट्रोल ने अपने लेख में LiveMint का हवाला देते हुए स्पष्ट किया है। उन्होंने भारत बायोटेक (Bharat Biotech) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डॉ. कृष्णा एला के बयान को कोट करते हुए लिखा, “वे वैक्सीन की लागत निकालने के लिए इसकी अधिक कीमत लेना चाहेंगे।”

हालाँकि, उन्होंने आगे इसका उल्लेख नहीं किया कि लाइवमिंट की रिपोर्ट में डॉ. एला ने यह भी कहा था कि भारत बायोटेक ने सरकार से ट्रायल के लिए कोई पैसा नहीं माँगा है और न ही वैक्सीन निर्माण क्षमता बढ़ाने के लिए उन्हें कोई सलाह दी है।

यहाँ दो बातें ध्यान देनी होगी। पहली – वैक्सीन के लिए अधिकतम कीमत की माँग करके भारत बायोटेक ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाने की कोशिश कर रहा है। दूसरी – वैक्सीन की अधिक कीमत वसूलना चाहते हैं ताकि वैक्सीन बनाने की लागत को वसूल सकें। यह दोनों बातें अलग-अलग हैं, एकदम अलग संदर्भ में है।

इस संदर्भ के परिप्रेक्ष्य में एक सही हेडलाइन कैसे होनी चाहिए, इसके लिए कोई भी LiveMint के शीर्षक का नमूना ले सकता है।

LiveMint की हेडलाइन

सीधे शब्दों में कहें तो, मनी कंट्रोल अपनी हेडलाइन को सनसनीखेज बनाना चाहता था, ताकि वह लोगों को यह आभास करा सके कि भारत बायोटेक कोरोना संकट काल में भी लोगों की बजाय अपने मुनाफे पर ध्यान दे रहा है। जबकि जिस LiveMint की खबर को उसने सोर्स मान कर अपने यहाँ खबर प्रकाशित की, उसका शीर्षक एकदम सही है।

कोरोना काल में भी मीडिया गिरोह अपने प्रोपेगेंडा से बाज नहीं आ रहा, वह झूठ फैला ही रहा है। बता दें कि 21 अप्रैल को भारत सरकार ने यह आरोप सिरे से खारिज कर दिया था कि जनवरी 2021 से मार्च 2021 तक भारत ने 9884 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का निर्यात किया था। मीडिया की मुख्य धारा में भी यह रिपोर्ट दी जा रही थी कि भारत ने 31 मार्च 2021 तक लगभग 9300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का निर्यात किया है। NDTV, News18 और मनी कंट्रोल जैसे मीडिया समूहों ने भारत के ऑक्सीजन निर्यात से संबंधित तथ्यों को अनदेखा करके भ्रामक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। हालाँकि, वास्तविक तथ्यों के सामने आने के बाद मनीकंट्रोल ने अपनी रिपोर्ट डिलीट कर दी थी।

20 अप्रैल 2021 को मनी कंट्रोल ने यह दावा किया कि 2021 के पहले तीन महीनों में भारत ने 9300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का निर्यात किया। हालाँकि, मनी कंट्रोल ने यह नहीं बताया कि निर्यातित ऑक्सीजन मेडिकल ऑक्सीजन है या नहीं। इस कारण रिपोर्ट में ऑक्सीजन की स्थिति चिंताजनक दिखाई दी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया