सोनिया गाँधी की खास रहीं IAS के दावे पर द वायर ने गढ़ा झूठ: PIB ने वेंटिलेटर रिपोर्ट पर कारस्तानी पकड़ी

अहमदाबाद वेंटिलेटर मामले में वायर के दावों की खुली पोल

द वायर की रिपोर्टों का विश्वसनीयता से कोई सरोकार नहीं होता। अहमदाबाद वेंटिलेटर मामले में भी उसने अपना यह ट्रैक रिकॉर्ड कायम रखा है। इस संबंध में प्रोपेगेंडा पोर्टल की रिपोर्ट में परोसे गए झूठ की पोल खुद पीआईबी ने फैक्टचेक कर खोली है।

दरअसल, बीते दिनों खराब वेंटिलेटर्स को लेकर अहमदाबाद चर्चा का विषय रहा था। इसके बाद द वायर की पत्रकार रोहिणी सिंह ने इस मामले पर एक रिपोर्ट लिखी। रिपोर्ट का लब्बोलुआब ये था कि खराब वेंटिलेटर बनाने वाली कंपनी के प्रमोटर भाजपा नेताओं के करीबी हैं।

रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया था कि गुजरात सरकार ने जिस कंपनी द्वारा ‘दस दिनों’ में कोविड मरीज़ों के लिए वेंटिलेटर्स बनाने का दावा किया था, उसके राज्य के डॉक्टरों ने मानकों पर खरा न उतरने की बात कही है। यह भी दावा किया गया था कि इस कंपनी के प्रमोटर्स उसी उद्योगपति परिवार से जुड़े हैं, जिन्होंने साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनका नाम लिखा सूट तोहफ़े में दिया था।

पूरी रिपोर्ट को सोनिया गाँधी की करीबी व वर्तमान में राज्य की प्रमुख स्वास्थ्य सचिव जयंती रवि के बयान के आधार पर इस तरह से गढ़ा गया कि ये सवाल खड़ा हुआ कि क्या खराब वेंटिलेटर का ऑर्डर सरकार ने दिया था? क्या इसके लिए राशि पीएम केयर्स फंड से दी गई थी?

रिपोर्ट में ये एंगल भी रखा गया कि अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल में 100 मेड इन इंडिया वेंटिलेटर्स सप्लाई करने को लेकर ज्योति सीएनसी ऑटोमेशन लिमिटेड के कार्य को सरकार ने बड़ी उपलब्धि के रूप में प्रचारित किया था, वो वास्तविकता में मरीजों के अनुकूल ही नहीं थी। लेकिन, चूँकि कंपनी के प्रमुख मैनेजिंग डायरेक्टर पराक्रम सिंह जडेजा मुख्यमंत्री विजय रुपानी के करीबी थे, इसलिए ये सब सरकार द्वारा किया गया।

https://twitter.com/PIBFactCheck/status/1263829454641643524?ref_src=twsrc%5Etfw

इसी रिपोर्ट के संज्ञान में आने के बाद पीआईबी ने फैक्ट चेक किया है। पीआईबी ने पत्रकार रोहिणी सिंह के इस दावे को खारिज किया है कि अहमदाबाद सिविल अस्पताल में खराब पाए गए वेंटिलेटर घटिया और खरीदे गए थे।

पीआईबी ने बताया है कि गुजरात सरकार के अनुसार, जिन वेंटिलेटर्स को खराब बताया गया, वो खरीदे नहीं गए थे। असल में ये दान में दिए गए थे, जो आवश्यक चिकित्सा मानकों पर खरे उतरते थे।

इस पर, द वायर के संपादक एस वरदराजन ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। अपने ट्वीट में उन्होंने रोहिणी सिंह की स्टोरी को सही साबित करने के लिए पीआईबी को कहा है कि क्या बस यही उनका फैक्टचेक है? वरदराजन ने खुद अपने ट्वीट में माना है कि पूरी रिपोर्ट में दावा जयंती रवि के बयान के आधार पर किया गया था।

https://twitter.com/svaradarajan/status/1263841962882486272?ref_src=twsrc%5Etfw

गौरतलब है कि IAS अधिकारी डॉ. जयंती रवि कॉन्ग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गॉंधी की खास रहीं हैं। साल 2004 में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने उन्हें अपने राष्ट्रीय सलाहकार परिषद में नियुक्त किया था। बीते दिनों गुजरात सरकार ने स्वास्थ्य विभाग की प्रिंसिपल सेक्रेट्री डॉ. जयंती रवि को कोरोना के गंभीर संकट को देखते हुए किनारे लगा दिया था। उनपर अपनी पति के कंपनी की ऐप को प्रमोट करने का भी आरोप लगा था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया