क्या घुसपैठ करने वाले रोहिंग्या मुसलमानों को RAW में बहाल करने जा रही है भारत सरकार?

भारत सरकार द्वारा जारी अधिसूचना की क्या है सच्चाई

सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक मैसेज में दावा किया जा रहा है कि भारत की खुफिया एजेंसी रॉ (RAW) रोहिंग्या मुस्लिमों को नियुक्त करने जा रही है। इस मैसेज में चिंता जाहिर की गई है कि रोहिंग्या मुस्लिमों को खुफिया एजेंसी में नियुक्त करने से देश को खतरा बढ़ सकता है। 

अब इस दावे को पहली नजर में ही पढ़ने से ये लग रहा है कि ये दावा झूठा होगा, क्योंकि एक खुफिया एजेंसी इतनी परिपक्व होती है कि उन्हें सुरक्षा संबंधी बातें मीडिया से न समझनी पड़ी। लेकिन सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को उठाने वाले लोगों के दावों का आधार कथित तौर पर भारत सरकार द्वारा जारी किया गया एक नियुक्ति नोटिस है। 

नोटिस जिसका हवाला दिया जा रहा

इस नोटिस का हवाला देकर लोगों का कहना है कि सरकार रोंहिग्या मुस्लिमों को रॉ में भर्ती कर रही है और इसी को देखकर उनकी चिंता है कि यदि ये सच है तो देश में घुसपैठ बढ़ेगी। सोशल मीडिया यूजर्स का यह भी पूछना है कि क्या गृह मंत्रालय रोहिंग्या मुस्लिमों को वैध नागरिक या फिर शरणार्थी मानने लगा है?

https://twitter.com/surajitdasgupta/status/1332212373801734144?ref_src=twsrc%5Etfw

अब इस नोटिस की सच्चाई क्या है, यहाँ इस विषय पर बात करने की जरूरत नहीं है। ये पूरा मामला केवल लोगों की कम समझ के कारण उत्पन्न हुआ और अफवाह उड़ गई कि रोहिंग्या मुस्लिमों को भर्ती किया जा रहा है। कैसे?

क्या कहता है नियुक्ति के लिए जारी किया गया सर्कुलर?

केंद्रीय सचिवालय द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है, “भारत सरकार के संगठन के साथ रिजनल डायरेक्ट भर्ती भाषा के आधार पर फील्ड असिस्टेंट (जीडी) के पद पर रिक्त पदों को भरने के लिए भारत के निम्नलिखित 6 पूर्वी राज्यों में अधिवासित उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित करता है। इन राज्यों से जुड़े आवेदक और इन भाषाओं को लिखने व पढ़ने वाले यदि योग्यता को पूरा करते हैं तो वह फील्ड असिस्टेंट की पोस्ट के लिए आवेदन कर सकते हैं।”

इस नोटिस में आवेदन के लिए जिन भाषाओं में नियुक्ति होगी उसके वैकेंसी सहित नाम निम्नलिखित हैं;

1. बंगाली-03

2. नेपाली-03

3. रोहिंग्या-02

4. तिब्बती-1

5. कोकबोरोक-01

6. चकमा-1

7. राजबंशी-1

अब इसी सर्कुलर में उल्लेखित भाषा पर सारा विवाद हुआ। लोगों को लगा कि सरकार ने रोहिंग्या लोगों को नौकरी के लिए आमंत्रित किया है, जबकि सच्चाई यह है कि रोहिंग्याओं को नहीं उनकी भाषा को जानने वालों को यह आवेदन भरने के लिए कहा गया है।

साभार: Rohingya Post
साभार: Rohingyalangauge.com

रोहिंग्या पोस्ट और रोहिंग्यालंगुज.कॉम जैसी कई वेबसाइट्स है जो राक्खिन के मुसलमानों द्वारा बोली जाने वाली रोहिंग्या नामक भाषा की उत्पत्ति की व्याख्या करती हैं। इसलिए भारत सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में भारत सरकार ऐसे व्यक्तियों की भर्ती कर रही थी जो रोहिंग्या की भाषा में कुशल होने का दावा कर सकते थे, न कि खुद रोहिंग्या मुसलमानों होने की। रॉ ऐसे लोगों को शामिल करके केवल उन सुरक्षा खतरों से संबंधित जानकारी जुटाएगी।

रोहिंग्या मुसलमानों पर भारत का कदम

भारत में पिछले कुछ समय में रोहिंग्याओं की घुसपैठ का मामला बहुत गंभीर रहा है। सीएए के आने के बाद गृह मंत्री की ओर से स्पष्ट कहा गया था कि रोहिंग्या देश के लिए खतरा हैं और उन्हें भारत में जगह नहीं दी जा सकती। भारत सरकार के सख्त रवैये केका असर भी देखने को मिला। अभी ज्यादा दिन नहीं बीते जब खबर आई थी म्यांमार जाने के डर से 1300 रोहिंग्या बांग्लादेश भाग गए।

इसके अलावा अब भी कई ऐसे मामले आते हैं जब अधिकतर अपराधों में रोहिंग्या लोगों को दोषी पाया जाता है। पिछले साल कई ऐसे घुसपैठियों को जेल में डाला गया था। इसके अलावा 23 से अधिक रोहिंग्या जो अलग-अलग डिटेंशन कैंप में रहते थे, उन्हें भी सरकार ने असम से वापस भेजा था। इसलिए सरकार ये जानती है कि रोहिंग्या देश के लिए लिए कितना बड़ा खतरा हैं। यही रोहिंग्या म्यांमार के राक्खिन प्रांत में हिंदुओं के नरसंहार के लिए जिम्मेदार थे। इन्हें थाइलैंड और मलेशिया से दुत्कारा जा चुका है। भारत इन्हें सताए गए अल्पसंख्यकों के नाम तक पर भारत में जगह नहीं दे सकता।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया