रवीश का रूहअफजा – ठन्डे शरबत का गरम मामला

हर ग्लास में रूहअफजा भरते हुए लाल सलाम कहते हैं रवीश

महागठबन्धन के मंच पर न्यूट्रल गियर वाले पत्रकार जी की तस्वीर सामने आई है। इस तस्वीर पर रवीश कुमार जी ने सफाई देते हुए कहा है कि वे तो रूहअफजा पिलाने गए थे, तभी उनकी फोटो खींच ली गई। प्राइम टाइम पर भाव न मिलने के कारण उन्होंने रैलियों में शरबत पिलाने का ठेका लिया है।

रवीश जी ने बताया कि भाजपा की रैली में आमरस और गठबंधन की रैली में रूहअफजा की माँग रहती है। कॉन्ग्रेस की रैली में सप्लाई राहुल जी स्वयं करते हैं। एक बार जब आम के बागों में बहार आई, तो वे चुन-चुन कर आम लाए और बीजेपी की रैली में आमरस का ठेला लगाया लेकिन राष्ट्रवादियों ने उन्हें ही ठेल दिया। उनकी शक्ल भी आम की गुठली जैसी हो गई, लेकिन मोदी जी ने न उनके आम पर ध्यान दिया न रस पर। रवीश को जानकर भारी झटका लगा कि मोदीजी तो केवल ख़ास आमों का रस पीते हैं। इसलिए बचा हुआ आमरस लेकर उन्हें बेगूसराय जाना पड़ा।

उसके बाद से वे केवल रूहअफजा की सप्लाई ही करते हैं, क्योंकि उसका रंग लाल होता है, और जब हर ग्लास में रूहअफजा भरते हुए लाल सलाम कहते हैं तो उनकी आत्मा को ठंडक मिलती है।

जादू जी ने कहा है कि उनकी सरकार बनने पर रूहअफ़ज़ा की सप्लाई हर टोंटी में की जाएगी। जब किस्मत के तारे करवट लेंगे, हम हर टोंटी में शरबत देंगे। इस पर महागठबंधन की सुपर कमांडर ने पर्ची में से पढ़ कर बताया कि टोंटी वालों को अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है। वे गर्मी का मौसम निकलने के बाद रूहअफजा की सप्लाई करेंगी। वो इसके लिए एक लाख मूर्तियों का ऑर्डर देंगी और हर मूर्ती के पैरों में रूहअफजा का फव्वारा लगाया जाएगा।

सबसे बड़ी देवी ने बताया कि उन्होंने देश का सबसे बड़ा तबेला चलाया है, ये समझिए एक पूरे राज्य को अपने तबेले से कम नहीं समझा। जब उनके पति जेल में नहीं थे तो भैंस के दूध में डालकर रूहअफ़ज़ा पीते थे। तबेले में सब कितना खुश रहते थे, उनकी भैंसें भी बिना रूहअफजा के पानी न पीती थीं। अब तो सब बदला निकाला जा रहा है।

कुमारस्वामी से रूहअफजा के विषय में पूछने पर वे फफक-फफक कर रो पड़े और कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

उधर पश्चिम बंगाल की सुल्ताना ने रूहअफ़ज़ा को बैनर्जी की एनर्जी बताते हुए कहा है हम चुनाव में सब बीजेपी वालों का सर फोड़-फोड़ कर चेक कर रहे हैं कि उन्होंने शरीर में रूहअफ़ज़ा तो नहीं छुपा रखा। जिस पर चुनाव आयोग ने चुप रहने का साहसिक फैसला किया है।

कॉन्ग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री ने गरीबों का अगड़म बगड़म करोड़ बोतल रूहअफजा अम्बानी की जेब में डाल दिया है। घबराइए मत, वो हमदर्द बनेंगे और आप सबकी जेब में रूहअफजा डालेंगे। पंचवर्षीय प्रदर्शनी जी ने कहा है कि अगर पार्टी चाहेगी तो वो रूहअफजा भी पी लेंगी।

झाड़ू गैंग ने आम को बस कुछ ही दिनों का फल कहते हुए कहा है कि लोग आमरस पीकर अपने पैसे बर्बाद न करें। रूहअफजा को राष्ट्रीय शरबत बनाना चाहते हैं तो उन्हें चंदा दें, वे मोहल्ला शरबत केंद्र खोलकर सबको मुफ्त शरबत देंगे। उसमें वैज्ञानिक कारणों से थोड़ा कीचड़ भी मिलाएँगे।

विख्यात बुद्धिजीवी शरबती लाल का मानना है कि बाज़ार से रूहअफजा गायब होने में केंद्र सरकार का हाथ हो सकता है। बनाना शेक का ठेला चलाने वाले शेक-हर ने रूहअफजा न मिलने को देश पर भारी संकट बताते हुए इसे केंद्र सरकार की बड़ी नाकामी बताई है। जिसके जवाब में राममाधव ने कहा कि इसमें हमारी केवल उँगलियाँ हैं। जो काम उँगलियों के इशारे पर हो सकता है, उसमें पूरा हाथ नहीं डालते।

देश के इकलौते विश्वसनीय पोल बाबू ने बिना पोल के ही रूहअफजा को शरबतों का शरबत कहते हुए इसे राष्ट्रीय समस्यायों में बड़ी समस्या घोषित कर दिया है। उन्होंने बताया कि आचार संहिता लगी होने के कारण वे अभी आँकंड़े नहीं बता रहे हैं।

लेखक: अजय चंदेल