जहाँ नारी स्वरूप में पूजे जाते हैं हनुमान जी: रतनपुर का गिरिजाबंध मंदिर, 10000 साल पुराना इतिहास

रतनपुर का गिरिजाबंध हनुमान मंदिर (साभार: संदीप राठौड़)

त्रेताकाल में जितने अनूठे हनुमान जी थे, उतने अनूठे कलियुग में बने उनके मंदिर हैं। कहीं लेटे हुए हनुमान जी तो कहीं उल्टे हनुमान जी। कुछ मंदिरों में उनकी छोटी प्रतिमाएँ स्थापित हैं तो कहीं लगभग 100 फुट ऊँची। बजरंग बली का एक ऐसा ही मंदिर स्थित है छत्तीसगढ़ में जहाँ उनकी पूजा नारी स्वरूप में होती है। आइए जानते हैं, क्या कहानी है इस मंदिर की जहाँ स्थित है हनुमान जी की लगभग 10,000 साल पुरानी प्रतिमा।

इतिहास

छत्तीसगढ़ के प्रमुख शहर बिलासपुर से 25 किमी दूर स्थित है रतनपुर। यहाँ स्थित है प्रभु श्री राम के अनन्य भक्त और कलियुग के देव कहे जाने वाले अंजनीसुत का गिरिजाबंध हनुमान मंदिर। यह इस संसार का इकलौता मंदिर है जहाँ हनुमान जी स्त्री स्वरूप में पूजे जाते हैं। गिरिजाबंध हनुमान मंदिर में स्थापित हनुमान जी की नारी स्वरूप प्रतिमा के बारे में यह मान्यता है कि यह लगभग 10,000 साल पुरानी स्वयंभू प्रतिमा है। स्वयंभू का अर्थ होता है, स्वयं प्रकट हुई। हालाँकि हनुमान जी की यह प्रतिमा नारी स्वरूप में क्यों है, इसका कोई प्रमाणिक विवरण उपलब्ध नहीं है।

बताया जाता है बहुत समय पहले परम हनुमान भक्त राजा पृथ्वी देवजू रतनपुर में राज करते थे। राजा हमेशा ही हनुमान भक्ति में लीन रहते। एक बार की बात है, राजा देवजू को कुष्ठ रोग हो गया। बहुत इलाज कराने के बाद भी जब राजा का कुष्ठ रोग ठीक नहीं हुआ तब उनके जीवन में निराशा का भाव आने लगा। इसी दौरान एक दिन राजा देवजू के सपने में हनुमान जी आए और उनसे एक मंदिर बनवाने के लिए कहा। अपने आराध्य की बातें सुनकर राजा देवजू ने एक मंदिर का निर्माण करवाया।

मंदिर का निर्माण पूरा हो जाने के बाद एक बार फिर हनुमान जी राजा देवजू के सपने में आए और महामाया कुंड से अपनी प्रतिमा को निकालकर मंदिर में स्थापित करने के लिए आदेशित किया। जब राजा ने कुंड से हनुमान जी की प्रतिमा निकाली, तो सभी लोग दंग रह गए। हनुमान जी की वह प्रतिमा नारी स्वरूप में थी। ऐसी प्रतिमा न तो पहले कभी देखी गई थी और न ही हनुमान जी की ऐसी किसी प्रतिमा के बारे में पहले कभी कुछ सुना गया था। हनुमान जी का आशीर्वाद मानकर उनकी नारी स्वरूप प्रतिमा को मंदिर में स्थापित कर दिया गया। इसके बाद राजा का कुष्ठ रोग भी दूर हो गया।

कंधे पर श्रीराम-लक्ष्मण

हनुमान जी की यह नारी स्वरूप प्रतिमा दक्षिणमुखी है। दक्षिणमुखी हनुमान भक्तों के लिए परम पवित्र और पूज्य माने जाते हैं और उस पर भी उनकी नारी स्वरूप प्रतिमा, अपने आप में अद्वितीय है। इस प्रतिमा के बाएँ कंधे पर प्रभु श्रीराम और दाएँ कंधे पर अनुज लक्ष्मण विराजमान हैं। हनुमान जी के पैरों के नीचे 2 राक्षस भी हैं।

हनुमान जी की कृपा से न केवल राजा का रोग दूर हुआ, बल्कि रतनपुर के लोगों का भी कल्याण हुआ। गिरिजाबंध मंदिर के हनुमान जी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए जाने जाते हैं। राजा देवजू की भक्ति और हनुमान जी के आशीर्वाद का ही परिणाम है कि आज रतनपुर विश्व भर में अपने इस मंदिर के कारण प्रसिद्ध है।

वैसे तो गर्मी के दिनों में रतनपुर में तापमान ऊँचा रहता है लेकिन फिर भी स्थानीय भक्तगणों का आना-जाना लगा रहता है। सितंबर से लेकर मार्च-अप्रैल तक यहाँ देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते रहते हैं। मंगलवार और शनिवार को गिरजाबंध हनुमान मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है। इसके अलावा हनुमान प्रकटोत्सव और श्रीरामनवमी यहाँ के प्रमुख त्यौहार हैं।

कैसे पहुँचे?

रतनपुर का सबसे नजदीकी हवाईअड्डा बिलासपुर का ही है। यहाँ से प्रयागराज, जबलपुर और दिल्ली के लिए उड़ानें उपलब्ध हैं। गिरिजाबंध हनुमान मंदिर से बिलासपुर हवाई अड्डे की दूरी लगभग 40 किमी है। इसके अलावा ट्रेन से भी बिलासपुर, छत्तीसगढ़ और देश के कई बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। रतनपुर के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर से बिलासपुर जंक्शन की दूरी लगभग 32 किमी है। इसके अलावा सड़क मार्ग से रतनपुर, बिलासपुर से भली-भाँति जुड़ा हुआ है। बिलासपुर के शहरी क्षेत्र से मंदिर की दूरी मात्र 20 किमी ही है और यहाँ से मंदिर के लिए सभी प्रकार के परिवहन के साधन उपलब्ध हैं।

ओम द्विवेदी: Writer. Part time poet and photographer.