जिस शिलालेख पर लिखी है सच्चाई उसे खरोंच कर तहखाने में फेंका, मलबा डाल कर दिया बंद: जिसे कहते हैं मस्जिद वहाँ ASI को मिले ‘रूद्र’ और ‘उमेश्वर’

ASI के सर्वे में मिली मूर्तियाँ

ज्ञानवापी की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण रिपोर्ट ने 25 जनवरी 2024 को स्पष्ट कर दिया है कि जहाँ पर आज मस्जिद बनी हुई है, वहाँ कभी एक विशाल मस्जिद हुआ करता था। इस रिपोर्ट में कई हैरान करने वाली जानकारियाँ सामने आई हैं। इससे स्पष्ट हुआ है कि यहाँ लम्बे समय से यह प्रयास चल रहा था कि मस्जिद के निर्माण और मंदिर के विध्वंस की जानकारियाँ और साक्ष्य मिटाए जाएँ। 800 से अधिक पन्ने की रिपोर्ट में ASI ने इन्हीं विषय में जानकारी दी है।

ASI की रिपोर्ट में बताया गया है कि ढाँचे के भीतर मंदिर का अस्तित्व प्रमाणित करने वाली कई कृतियों को जानबूझकर छुपाकर रखा गया था। ये सभी कृतियाँ (मूर्तियाँ, शिलाएँ, शिलालेख) उन तहखानों की जाँच में मिले हैं, जिन्हें जानबूझकर दीवालों और मलबों के सहारे बंद कर दिया गया था। ASI की रिपोर्ट बताती है कि ज्ञानवापी परिसर के पूर्वी हिस्से में 6 तहखाने हैं। इनमें से सीलबंद इलाके के दक्षिणी हिस्से में तीन और उत्तरी हिस्से में तीन हैं। इसके अलावा दो और तहखाने परिसर के नज दीक उत्तर के हिस्से में हैं।

तहखाने बंद किए, अंदर फेंक दी मूर्तियाँ, मलबे से भर दिया

ASI की रिपोर्ट बताती है कि इन तहखानों में कई काम में लिए जाते थे। रिपोर्ट ने स्पष्ट तौर पर बताया कि इनमें से अधिकाँश तहखानों को बंद कर दिया गया था। रिपोर्ट ने बताया है कि एक तहखाने को तो पत्थर की चिनाई से बंद कर दिया गया था। कुछ तहखानों को मलबा डालकर बंद किया गया था। ASI ने इनकी जाँच के लिए साफ़ कराया और इनके अंदर से वे प्रतीक निकाले, जो कि मंदिर के विषय में बताते हैं।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक दक्षिणी तहखानों में पाए हैं। इन तहखानों का नामकरण ASI ने S1-S6 तक किया है। ASI का कहना है कि S2 और S1 से घुसने के पाँच रास्ते हैं, लेकिन सभी को लखौरी ईंटों के द्वारा बंद किया गया या फिर यहाँ पत्थर लगाकर उनकी सीमेंट से चिनाई कर दी गई। इसी तरह S3 के सभी चार प्रवेश द्वारों को मिट्टी भरकर या फिर पत्थर रखकर बंद दिया गया।

तहखानों से निकली कृष्ण और विष्णु की मूर्तियाँ, शिवलिंग भी मिला

ASI की टीम जब S1 तहखाने में पहुँची तो उसे पता लगा कि इसके प्रवेश को जानबूझ कर ईंटों और मलबे से भरा गया था। इस मलबे को यहाँ की छतों में छेद करके रास्ता बंद किया गया तगा। यह भी बताया गया कि S2 तहखाना यहाँ पाई गई कलाकृतियों को भरने के लिए उपयोग में लाया गया था। इन तहखानो से एक छोटा मंदिर, भगवान विष्णु के विग्रह, शैव द्वारपाल और बजरंग बली की मूर्ति समेत कई अन्य टेराकोटा आकृतियाँ निकली हैं।

ASI रिपोर्ट से यह भी सामने आया है कि S2 तहखाने की पश्चिमी दीवाल वाले इलाके से बड़ी संख्या में शिवलिंग और योनिपट मिले हैं। यहाँ से विष्णु भगवान के विग्रह मिले हैं। इनमें से एक पूर्ण है और दूसरा उनकी बैठी हुई मुद्रा दिखाता है। यहाँ से कृष्ण भगवान की एक प्रतिमा और भगवान गणेश का पत्थर से निर्मित एक सिर भी मिला है। नंदी की भी दो तोड़ी हुई मूर्तियाँ भी बरामद की गई हैं। यहाँ कई अन्य प्रतीक भी मिले हैं, जिनकी पहचान नहीं हो पाई, क्योंकि वे काफी क्षत-विक्षत अवस्था में थे।

यहाँ संगमरमर का एक टूटा हुआ हिस्सा भी है, मिला जिस पर काले रंग से राम लिखा हुआ है। वहीं, बिना सिर वाली जो एक मूर्ति मिली है, उसे माना जा रहा है कि यह भगवान कृष्ण की मूर्ति है जिसे खंडित कर दिया गया है। इसके अलावा, एक मूर्ति का धड़ भी बरामद हुआ है। तहखाने से चिलम, हुक्का और लालटेन जैसी कई अन्य वस्तुएँ भी मिली हैं।

ASI की रिपोर्ट के आधार पर इंडियन एक्सप्रेस ने बताया है कि ढाँचे के अंदर से हिन्दू देवी-देवताओं की कुल 55 मूर्तियाँ मिली हैं। इनमें से 15 शिवलिंग हैं। इसके अलावा भगवान विष्णु की तीन, भगवान गणेश की तीन, भगवान कृष्ण की दो, भगवान हनुमान की पाँच और नंदी की दो मूर्तियाँ मिली हैं।

कुल मिलाकर 259 पत्थर की आकृतियाँ बरामद की गई हैं। इनमें 55 पत्थर की मूर्तियाँ, 21 घरेलू सामग्री, 5 अभिलेख और 176 वास्तुशिल्प हैं। इसके अलावा, धातु के 113 समान और 93 सिक्के मिले हैं। इन सिक्कों में इनमें 40 ईस्ट इंडिया कंपनी, 21 क्वीन विक्टोरिया और तीन शाह आलम बादशाह-द्वितीय के सिक्के हैं।

हिन्दू शिलालेख निकले, इन पर रूद्र, उमेश्वर जैसे नाम

ज्ञानवापी परिसर के अंदर से मूर्तियों के अलावा कई अन्य साक्ष्य मिले हैं, जो इसे मंदिर होने की ओर इशारा करते हैं। ASI की रिपोर्ट में कहा गया है कि मस्जिद को बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए स्तम्भों पर कई ऐसी आकृतियाँ हैं, जिनका संबंध हिन्दू धर्म से है। इन्हें मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने में उपयोग किया गया है। इसके अलावा, मस्जिद के अंदर से 34 शिलालेख मिले हैं।

ये शिलालेख हिन्दू मंदिर की जानकारी से जुड़े हैं। ये शिलालेख देवनागरी, कन्नड़ और तेलुगु जैसी भाषाओं में लिखे गए हैं। इन पर रूद्र, उमेश्वर और जनार्दन जैसे नाम अंकित हैं। गौरतलब है कि रूद्र भगवान शिव को कहा जाता है। उमेश्वर शब्द उमा और ईश्वर से बना है। उमा देवी पार्वती को कहा जाता है। इसके अलावा, यहाँ एक शिलालेख मस्जिद की जानकारी देने वाला पाया गया है।

ASI की रिपोर्ट बताती है कि मस्जिद की जानकारी देने वाला शिलालेख में बताया गया है कि इस मस्जिद का निर्माण आलमगीर (मुगल आक्रांता औरंगजेब) ने वर्ष 1676-77 में करवाया था। इसमें वर्ष 1792-93 में इस मस्जिद की मरम्मत का भी जिक्र है। इस बार जब यह शिलालेख मिला तो इस पर से वे तारीखें खरोंच कर मिटा दी गई हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया