Friday, November 22, 2024
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आधी रात में निकलती है किन्नरों की शवयात्रा? लाश को जूते से पीटा जाता है? किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर से जानिए सच, किन्नरों को इसीलिए कहते हैं ‘मंगलामुखी’

महामंडलेश्वर भवानी माँ कहा, "मुझे समझ में नहीं आता कि कोई अफवाह उड़ाने वाला कफ़न में जा रहे शव के अंदर कैसे झाँक कर देख लेता है कि वो किन्नर का है या नहीं। यदि आप दिन में सड़क से गुजर रहे हों और कोई शव यात्रा या जनाज़ा सामान्य रूप से जा रहा हो तो वो किसी किन्नर का भी हो सकता है।"

किन्नरों की मौत के बाद उनका अंतिम संस्कार कैसे होता है, इस बारे में आम लोगों के बीच कई प्रकार की शंकाएँ हैं। कुछ लोगों का कहना है कि किन्नरों की अर्थी या जनाज़ा आधी रात में निकलता है जिस से कोई देख न पाए। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि किन्नरों की मौत के बाद उनको शव को जूतों से पीटा जाता है, जिस से वो दुबारा उस रूप में जन्म न लें। इसी के साथ किन्नर बनने की प्रक्रिया पर भी तमाम संशय बना रहता है जिसमें उनके गुप्तांग को बिना सुन्न किए काटने जैसी चर्चाएँ अक्सर सुनाई देती हैं।

इस बारे में कई मीडिया रिपोर्ट्स में भी शव को जूतों से पीटने जैसी बातें प्रकाशित की जा चुकी हैं। ऑपइंडिया ने तह तक जा कर पड़ताल करने और असल सच निकालने का निर्णय लिया। 24 जुलाई, 2022 (रविवार) को हमने हरिद्वार में किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर भवानी माँ से इस बाबत जानकारी जुटाई। भवानी माँ ने किन्नरों की शव यात्रा आधी रात में निकलने व उनके शव को जूते से पीटने जैसी चर्चाओं को निराधार और अफवाह बताया। उन्होंने कहा कि किन्नरों का अंतिम संस्कार भी सामान्य लोगों की तरह ही होता है।

अलग-अलग धर्म को मानने वालों की अलग-अलग विधान

भवानी माँ ने हमें बताया, “जैसे स्त्री व पुरुष अलग-अलग धर्म को मानते हैं वैसे ही किन्नर में भी हिन्दू और मुस्लिम होते हैं। वो जीवित रहते हुए अपने-अपने पारमपरिक विधि विधान पूजा-पाठ करते हैं और मौत के बाद भी उन्हें उनका उनके धर्म के मुताबिक अंतिम संस्कार होता है। यदि किन्नर हिन्दू है तो उसको जलाया जाता है और यदि मुस्लिम है तो बाकायदा नमाज़ आदि पढ़ कर उसको दफनाया जाता है।”

झूठी है जूते से पीटने वाली बात

भवानी माँ ने आगे बताया, “मेरी उम्र लगभग 50 साल है। 13 साल की उम्र से मैं किन्नरों के बीच में रहती हूँ। अनगिनत किन्नर मेरे आगे सामान्य रूप से जलाए या दफनाए गए। मैंने अब तक एक भी मामला ऐसा नहीं देखा। हम अपने गुरु या सीनियरों का हद से ज्यादा सम्मान करते हैं। वही बुजुर्ग हो कर जब मरेंगे तो क्या हम उनको जूते मारेंगे? ऐसी बातें न जाने किसने फैलाई है। ये सच है कि जीते जी हमारी दुनिया स्त्री और पुरुष के जीवन से अलग होती है पर मौत के बाद सभी का अंतिम संस्कार एक जैसे ही होता है। इसमें शव को धोना और बाद में कुछ लोगों को खाना खिलाना भी शामिल है।”

महामंडलेश्वर भवानी माँ

आधी रात में शव यात्रा वाली बात भी कोरी अफवाह

महामंडलेश्वर भवानी माँ आगे कहा, “पिछले कुछ समय में दिल्ली और NCR क्षेत्र में कई किन्नरों की या स्वाभाविक मौत हुई या कुछ की हत्या हुई जो बेहद चर्चित भी रहीं। उनके शव यात्राएँ दिन में बाकायदा आम लोगों की तरह ही निकाली गईं। मुझे समझ में नहीं आता कि कोई अफवाह उड़ाने वाला अर्थी पर ले जाए जा रहे शव के अंदर कैसे झाँक कर देख लेता है कि वो किन्नर का है या नहीं। यदि आप दिन में सड़क से गुजर रहे हों और कोई शव यात्रा या जनाज़ा सामान्य रूप से जा रहा हो तो वो किसी किन्नर का भी हो सकता है।”

बिना सुन्न किए प्राइवेट पार्ट काटने की भी बातें अफवाह

कुछ चर्चाओं किन्नर का बिना सुन्न किए प्राइवेट पार्ट काटने की बातों को भी भवानी माँ ने झूठ बताया। उन्होंने कहा, “जिसे भी ये करवाना होता है वो बाकायदा ऑपरेशन करवा लेता है। लोग ऐसे कही सुनी बातों पर विश्वास न करें।”

हमेशा मंगल (भलाई) की कामना इसलिए मंगलामुखी की उपाधि

भवानी माँ ने आगे बताया, “किन्नरों को मंगलामुखी इसलिए कहा जाता है क्योंकि वो हमेशा लोगों के मंगल (भलाई) की कामना करते हैं। हमारा आशीर्वाद भी लोगों पर सार्थक असर करता है। किन्नर कभी भी किसी की भी दुःख की घड़ी में पैसे माँगने नहीं जाते।” भवानी माँ के साथ उस समय उनके लगभग दर्जन किन्नर शिष्य मौजूद थे। उन सभी ने भवानी माँ द्वारा कही गई हर बात से सहमति जताई।

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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