‘मैं भक्त हूँ, बुरे से बुरे सपने में भी लिबरल नहीं बनूँगी: गोडसे प्रेमी कहने वाली आरफा खानम को कंगना ने धोया

कंगना की बेबाकी से हिल गया है वामपंथ का 'सिस्टम'

बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को शिवसेना नेताओं से मिल रही धमकियों के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा Y-कैटेगरी सुरक्षा दी गई है। जिसकी पुष्टि करते हुए अभिनेत्री ने केंद्र सरकार और अमित शाह का आभार जताया।

कंगना रनौत के इस ट्वीट पर प्रोपेगेंडा वेबसइट ‘दी वायर’ की ही पत्रकार आरफा खानम ने उन्हें ‘गोडसे प्रेमी’ कहते हुए ‘लिबरल मूल्यों’ पर ज्ञान देने की कोशिश की। जवाब में कंगना रनौत ने उन्हें बताया कि वो उदारवादी नहीं बल्कि ‘भक्त’ हैं।

दी वायर की प्रोपेगेंडा पत्रकार आरफा खानम शेरवानी ने कंगना रनौत का ट्वीट रीट्वीट करते हुए लिखा, “यह उदारवादी मूल्यों की ताकत है। तुम आत्ममुग्ध, घृणा से भरे हुए, बहुलवादी, फ़ासिस्ट समर्थक हो सकते हो, लेकिन फिर भी तुम खुद को एक फासिज़्म से लड़ाई लड़ रहे इंसान के तौर पर ही दिखाना चाहते हो। तुम गोडसे के बड़े प्रेमी हो सकते हो. लेकिन आखिर में गाँधी ही तुम्हें सामाजिक स्वीकार्यता दिलाएँगे।”

आरफा खानम के इस बिन माँगे ज्ञान के जवाब में बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने आरफा को जवाब दिया, “आरफा मैम, सालों तक अध्ययन के बाद मैं इस नतीजे पर पहुँची हूँ कि गाँधीवादी और कुछ नहीं बल्कि भगवान राम के ही मूल्यों का बेहद छिछला संस्करण है। खुद गाँधी ने भी स्वीकार किया था कि वह राम राज्य की अवधारणा का ही अनुसरण करते हैं। मैं अपने बुरे से बुरे स्वप्न में भी लिबरल बनने का हौसला नहीं करूँगी। मैं बस एक भक्त हूँ।”

https://twitter.com/KanganaTeam/status/1302885032114098176?ref_src=twsrc%5Etfw

गौरतलब है कि इससे पहले गृह मंत्रालय द्वारा कंगना रनौत को Y-श्रेणी की सुरक्षा दिए जाने के फैसले पर कंगना रनौत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ये इस बात का प्रमाण है कि अब किसी देशभक्त आवाज़ को कोई फ़ासीवादी नहीं कुचल सकेगा।

कंगना ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का आभार जताते हुए कहा कि वो चाहते तो हालातों के चलते उन्हें कुछ दिन बाद मुंबई जाने की सलाह देते। मगर उन्होंने भारत की एक बेटी के वचनों का मान रखा, हमारे स्वाभिमान और आत्मसम्मान की लाज रखी। अभिनेत्री ने सोशल मीडिया पर ‘जय हिन्द’ भी लिखा।

बेबाकी के कारण कंगना रनौत से नाराज है ‘लिबरल वर्ग’

यूँ तो कंगना रनौत बॉलीवुड को लेकर अपने नजरिए के कारण अक्सर ही इस इंडस्ट्री के लोगों की नजरों में रहा करती थीं, लेकिन दिवंगत बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से वह पत्रकारिता के लोगों की आँखों में भी चुभने लगी हैं। सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद कंगना रनौत के मैदान में उतरते हुए एक के बाद एक कर कई तरह के खुलासे होने लगे।

ऐसे में, बॉलीवुड में व्याप्त नेपोटिज़्म पर जब बहस छिड़ी तो इस डिबेट में कई बड़े नाम भी शामिल हो गए। धीरे-धीरे सुशांत सिंह की मौत में ड्रग्स का एंगल निकल आया तो समाचार चैनल ‘इंडिया टुडे’ जैसे संस्थान और इसके जैसे ही अन्य लोगों ने भी मानो सुशांत सिंह राजपूत की मौत में आरोपित उनकी पूर्व प्रेमिका रिया चक्रवर्ती की जगह कंगना रनौत को ही निशाने पर ले लिया।

प्रोपेगेंडा वेबसाइट ‘दी वायर’ की पत्रकार आरफा खानम ही नहीं बल्कि उनके साथ ही रोहिणी सिंह भी कंगना रनौत को घेरने का विफल प्रयास कर चुकी हैं। सबसे दिलचस्प तो इस पूरे प्रकरण में यह देखना है कि निष्पक्षता और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता की दुहाइयाँ देते रहने वाले यह तमाम गिरोह कंगना रनौत के मुँह खोलते ही बौखला गए हैं।

इन सभी पत्रकारों, विचारकों, महिला अधिकारों के ध्वजवाहकों के दोहरे चरित्र को अकेले कंगना रनौत ने जगह दिखा दी है। यदि इसी वर्ग से नागरिकता कानून के विरोध-प्रदर्शनों की तख्तियाँ वापस टटोलने के लिए कहा जाए तो वहाँ शायद अभी भी वो पोस्टर कहीं पड़े होंगे, जहाँ कुछ दिनों पहले तक ये फैज को पढ़ते हुए उन्हें गा रहे थे। इन्हीं कुछ तख्तियों में से किसी एक में जरूर लिखा होगा, “बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे, बोल ज़बाँ अब तक तेरी है, तेरा सुत्वाँ जिस्म है तेरा, बोल कि जाँ अब तक तेरी है।”

यह भी कमाल की बात है कि इस गिरोह की समस्या ही यही बन गई कि कंगना बोल रही है। उनका दफ्तर बिना किसी पूर्व सूचना के उजाड़ा जा रहा है। महाराष्ट्र की सत्ता कंगना को खुली धमकियाँ दे रही है। एक मुखर महिला को हरामखोर कह दिया गया। महाराष्ट्र सरकार डीके फासिज्म चरम पर है लेकिन लिबरल गिरोह और प्रोपगेंडाबाज़ गाँधीवाद का पाठ कंगना रनौत को पढ़ा रहे हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया