लोक नीति शोध केंद्र (PPRC) द्वारा किए गए रिसर्च में सामने आया है कि दिल्ली सरकार अपने अधिकतर वादों को पूरा करने में बुरी तरह से विफल रही है। दिल्ली सरकार 2015 के विधानसभा चुनाव में किए गए लगभग सभी वादों को पूरा करने में असफ़ल रही है। बता दें कि आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनाव के दौरान अपने घोषणापत्र में 70 वादे किए थे। इस घोषणापत्र को ’70 पॉइन्ट एक्शन प्लान’ के रूप में पेश किया गया था। रिसर्च के दौरान ‘पब्लिक पॉलिसी रिसर्च सेंटर’ ने पाया कि दिल्ली सरकार इन 70 वादों में से 67 को पूरा करने में नाकाम रही है। मंगलवार (अप्रैल 30, 2019) को कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में पीपीआरसी के निदेशक विनय सहस्त्रबुद्धे ने इस रिपोर्ट को जनता के सामने रखा। इस रिपोर्ट में उन सभी वादों को ट्रैक करते हुए उनका विश्लेषण किया गया है।
Released along with @drsbhasin and @VirendraSachde2 a @pprcindia report analysing performance of AAP Govt in Delhi! 67 out of 70 promises in their manifesto remain unfulfilled!”Sadly, AAP Govt’s performance bankruptcy underscored that it is reduced to Aura and Anarchy Party!” pic.twitter.com/dqKjRfLV2G
— CHOWKIDAR VINAY Sahasrabuddhe (@vinay1011) April 30, 2019
शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में आम आदमी पार्टी अपने कार्यों को जनता के बीच प्रचारित कर रही है। पार्टी लोकसभा चुनाव भी इन्हीं के आधार पर लड़ रही है। लेकिन, रिपोर्ट में पाया गया है कि इन दोनों ही क्षेत्रों में धरातल पर स्थिति और भी बदतर हुई है। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में फ्री वाई-फाई देने की बात भी कही थी लेकिन इस पर अभी तक कुछ काम नहीं हो सका है। अरविन्द केरीवाल की पार्टी ने 500 नए स्कूलों के निर्माण का वायदा किया था लेकिन अभी तक सिर्फ़ 5 स्कूलों के निर्माण का कार्य ही शुरू हो सका है। दिल्ली के स्कूलों से पास होकर निकले छात्रों में से मात्र 0.13% छात्रों को ही शिक्षा लोन मुहैया कराया गया है।
केजरीवाल की पार्टी ने 20 नए डिग्री कॉलेजों के निर्माण का वादा किया था लेकिन अब तक एक पर भी काम शुरू नहीं कराया जा सका है। जितने शिक्षकों की ज़रुरत थी, उससे आधे से भी कम पदों पर नियुक्तियाँ की गई हैं। अगर स्वास्थ्य क्षेत्र की बात करें तो इस मामले में भी दिल्ली सरकार फिसड्डी साबित हुई है। अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या बढ़ाने की बात की गई थी लेकिन अभी तक उस पर 60% कार्य भी नहीं हो सका है। मोहल्ला क्लीनिकों में गाय और भैंस चर रहे हैं। मोहल्ला क्लीनिकों में डॉक्टरों, दवाओं और अन्य सुविधाओं के नाम पर बेहिसाब ख़र्च किए जा रहे हैं लेकिन आवारा पशुओं के अलावा वहाँ कोई और नहीं दिखता।
दिल्ली सरकार ने केंद्र की महत्वकांक्षी आयुष्मान योजना को भी रोक रखा है। पूरे देश में 20 लाख से भी अधिक लोग इसका लाभ उठा चुके हैं लेकिन दिल्ली में इस पर अमल ही नहीं किया गया। इस योजना के तहत 5 लाख रुपए तक का इलाज मुफ़्त में कराया जाता है। दिल्ली सरकार ने अपने नागरिकों को इस योजना से मरहूम रखा है। अभी तक एक भी जगह वाई-फाई सर्विस नहीं शुरू की जा सकी है। महिला सुरक्षा को लेकर किए गए वादे अधर में लटके पड़े हैं। सीसीटीवी योजना की हालत ख़राब है। जनता को सीवर की गंदगी से मिले पानी की आपूर्ति की जा रही है, जिससे उनमें रोष है। ऐसी शिकायतों में 50% से भी अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
This is the truth of mohalla clinic, come join @pprcindia team, they will take you around many more mohalla clinics. After 50 months in power @AamAadmiParty has not much to feel proud so stop being selective in reporting. @_manibhushan @nikhil5706 @Hemantrbhardwaj @pankaj_maphd pic.twitter.com/ogeoHvmV9t
— Chowkidar Dr. Sumeet Bhasin (@drsbhasin) April 28, 2019
आम आदमी पार्टी ने जन लोकपाल और भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ा था लेकिन जन लोकपाल वाले मामले में भी सरकार निष्क्रिय रही है। पीपीआरसी ने यह रिपोर्ट दिल्ली सरकार के आधिकारिक आँकड़ों के आधार पर ही तैयार की है। विनय सहस्त्रबुद्धे ने इस दौरान केजरीवाल पर तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने तो AAP के आंतरिक लोकपाल एडमिरल एल रामदास को भी निकाल बाहर किया।