ऑर्डर श्रीमद्भगवद्गीता का, विश्व बुक्स ने स्पेशल गिफ्ट के नाम पर साथ भेजी ‘भागवत पुराण कितना अप्रासंगिक’

श्रीमद्भगवद्गीता के साथ स्पेशल गिफ्ट भागवत पुराण कितना अप्रासंगिक

अमेजॉन (Amazon) पर ऑनलाइन डिलीवरी सर्विस के नाम पर हिंदू धर्मग्रंथों के बारे में घृणा फैलाने का वाकया एक बार फिर सामने आया है। इसका खुलासा ट्विटर यूजर अंजी (Anji) ने किया है।

अंजी ने बताया कि उन्होंने अमेजॉन के जरिए विश्व बुक्स से श्रीमद्भगवद्गीता मँगाने का ऑर्डर दिया। जब उनके ऑर्डर की डिलीवरी हुई, तो उसके साथ एक और बुक थी जिसका शीर्षक था- भागवत पुराण कितना अप्रासंगिक

अंजी ने ट्विटर पर बताया है कि उन्होंने यूपी गाजियाबाद स्थित विश्व बुक से श्रीमद्भगवद्गीता का ऑर्डर अमेजॉन के जरिए दिया था। लेकिन बुक विक्रेता ने उनके एक ऑर्डर की जगह दो आइटम डिस्पैच कर दिए।

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जब उन्हें इस ऑर्डर की डिलीवरी हुई तो उसमें श्रीमद्भगवद्गीता महापुराण के अलावा एक किताब और थी। किताब के ऊपर विशेष उपहार लिखा था, जिसका शीर्षक भागवत पुराण कितना अप्रासंगिक था।

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अंजी लिखते हैं कि विक्रेता द्वारा भेजी गई उक्त पुस्तक पुराण का प्रतिवाद है और पाठकों को पुराण पढ़ने से रोकने के लिए स्पष्ट रूप से लक्षित है। वे किताब की तस्वीर डालते हुए उसके अंदर मौजूद सर्वे कार्ड को भी ट्विटर पर साझा करते हैं, जिसमें किताब के बारे में राय और विश्व बुक्स की अन्य किताबें पढ़ने की इच्छा व प्रतिक्रिया के बारे में पूछा गया था।

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इसके अलावा अंजी बताते हैं कि ये पहली बार नहीं है, जब इस विक्रेता ने अमेजॉन के जरिए इस प्रकार की किताबें अपने कस्टमर को भेजने का काम किया। इससे पहले भी लोगों ने अमेजॉन पर रिव्यू लिखे हैं, जहाँ सत्यम एस नाम का यूजर लिखता है कि किताब विक्रेता ने उसे भी एक किताब फ्री भेजी थी। जिसमें हिंदुत्व औऱ श्रीमद्भगवद्गीता के ख़िलाफ़ विचार प्रस्तुत थे।

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हालाँकि अपने रिव्यू में कस्टमर ने उस किताब का नाम नहीं लिखा था और कहा था कि वह उस किताब को लिखने वाले लेखक का प्रचार नहीं करना चाहता। लेकिन विक्रेता से कहना चाहता है कि जब कोई पवित्र ग्रंथ पढ़ना चाहे, अपने विचारों को शुद्ध करना चाहे, शांत जीवन जीना चाहे, तो तुम होते कौन हो नकारात्मता फैलाने वाले? अपने रिव्यू में यूजर ने विक्रेता के ख़िलाफ़ एक्शन लेते हुए उसे ब्लॉक करने की माँग की थी।

अंजी ने भी अपने थ्रेड में आगे लिखा कि यदि पुराण मैंने ऑर्डर किया है, तो इसका मतलब मैं उसे पढ़ने चाहता हूँ, विक्रेता को कोई अधिकार नहीं है कि वह मेरे धर्मग्रंथ का प्रतिवाद भेजकर मेरे विश्वास का मजाक उड़ाए।

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यहाँ बता दें कि ये वाकये एक दो संख्या तक सीमित नहीं हैं। साल 2017 में एक ऐसा ही मामला आया था। उस समय योगिनी देशपांडे नाम की एक महिला ने अपने मैसेज शेयर किए थे और बताया था कि उन्हें अमेजॉन द्वारा बाइबल भेजी गई थी, जबकि उन्होंने ‘जेएनयू में एक लड़की रहती थी’ नाम की किताब ऑर्डर की थी।

इन आरोपों को सिद्ध करने के लिए उन्होंने कई प्रमाण भी साझा किए थे। इन प्रमाणों में टेक्स्ट मैसेज से लेकर किताब की तस्वीर, उसका प्रथम पृष्ठ आदि भी शेयर किए थे। इस मामले में हैरत की बात ये थी कि दोनों किताबों के विषय वस्तु बिलकुल अलग-अलग थी और दोनों का आपस में कोई संबंध नहीं था।

बाद में पता चला कि इस तरह की घटना कई उपभोक्ताओं के साथ हो चुकी है। कई लोगों को ऐसी किताबें भेजी गई हैं। किसी ने सुपरहीरोज की किताब ऑर्डर की तो उन्हें ये मिला, किसी ने अंग्रेजी की किताब मँगाई तो उन्हें बाइबल पहुँची।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया