₹1390 देकर फेसबुक चाहता है आपकी ब्राउज़िंग हिस्ट्री, ‘निजी’ जानकारियों में घुसपैठ, आप लेंगे रिस्क?

दूध का जला छाछ भी फूँक कर पीता है- प्राइवेसी के मामले में लोगों के 'मुँह' कई बार 'जला चुके' फेसबुक पर कैसे किया जाए भरोसा?

हालिया लोकसभा निर्वाचन के दौरान विभिन्न विवादों के केंद्र में रहा फ़ेसबुक एक और संभावित रूप से विवादास्पद ऍप लेकर हाज़िर है। यूज़र्स की निजी जानकारी आधिकारिक रूप से हासिल करने के लिए फेसबुक ने ‘स्टडी’ नामक एक ऍप लॉन्च किया है, जिससे वह उपभोक्ता की सहमति से उनकी ब्राउज़िंग हिस्ट्री, वह कौन-कौन से ऍप इस्तेमाल करना पसंद करते हैं, कितनी देर तक करते हैं आदि इकठ्ठा करेगा। इस जानकारी का वह क्या करने वाला है इसका तो उसने खुलासा नहीं किया है, लेकिन इसके लिए $20 अर्थात लगभग 1390 रुपए तक यूज़र्स को मासिक भुगतान मिलेगा। फ़िलहाल इस ‘स्टडी’ प्रोग्राम में भागीदारी सीमित भौगोलिक क्षेत्र में रह रहे लोगों की ही होगी।

वेबसाइट पर घोषणा, जानकारी फेसबुक के बाहर साझा न करने का वादा

फेसबुक ने अपनी वेबसाइट पर इस कार्यक्रम की घोषणा करते हुए वादा किया है कि स्टडी ऍप के ज़रिए इकट्ठा जानकारी का वह न तो यूज़र्स को कौन से विज्ञापन दिखाए जाने हैं, इसका निर्धारण करने के लिए करेगा, न ही इस डाटा को वह किसी अन्य थर्ड पार्टी के साथ बाँटेगा। उसने यह भी वादा किया है कि वह अति-संवेदनशील जानकारियाँ जैसे आपका यूज़रनेम, पासवर्ड, फ़ोटो/वीडियो या आपके एसएमएस/अन्य किसी ऍप (वॉट्सऍप, ट्विटर आदि) से आए संदेश आदि नहीं पढ़ेगा या एक्सेस करेगा। इसके अलावा यूज़र्स के पास इस कार्यक्रम से बाहर निकलने का विकल्प हमेशा रहेगा- यानि किसी भी समय आप अपनी जानकारी देना बंद करने का अधिकार सुरक्षित रखेंगे।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इसके लिए आपको $20 तक का मासिक शुल्क मिलेगा, और अगर आप किसी अन्य व्यक्ति को भी अपना डाटा देने के लिए मना लें तो आपको रेफरल बोनस भी मिलेगा। फ़िलहाल यह प्रोग्राम केवल अमेरिका और भारत के उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध होगा। इसके अलावा यह केवल एंड्राइड यूज़र्स के लिए है, क्योंकि एप्पल के ऑपरेटिंग सिस्टम आईओएस के सुरक्षा प्रबंधन एक ऍप को किसी दूसरी ऍप तक इतनी पहुँच बहुत आसानी से नहीं दे देते।

निजता को लेकर चिंता बरकरार, फ़ेसबुक का इतिहास नहीं रहा है बहुत आशाजनक

फेसबुक के लाख वादों के बावजूद निजता को लेकर शंकाएँ उठना लाज़मी है। न केवल इसलिए कि यह ‘स्टडी’ प्रोग्राम अपने आप में, अपनी प्रकृति में ही किसी अनजाने व्यक्ति को अपने घर में केवल यह देखने के लिए बैठा लेने जैसा है कि आप घर में कौन से कपड़े पहनते हैं, क्या खाते या टीवी पर देखते हैं आदि, बल्कि इसलिए भी कि फेसबुक का अपने यूज़र्स की निजता, और यहाँ तक कि उनकी निजी जानकारी, को लेकर इतिहास बहुत उजला नहीं है।

कैम्ब्रिज एनालिटिका तो सभी के जेहन में ताज़ा है कि कैसे फेसबुक ने अपने उपभोक्ताओं की जानकारी कैम्ब्रिज एनालिटिका कम्पनी को सौंप दी थी। इसके अलावा पिछले साल एक और ‘स्कैंडल’ सामने आया जब यह खुलासा हुआ कि नेटफ्लिक्स, स्पॉटीफाई जैसी कम्पनियाँ फेसबुक को खिड़की की तरह इस्तेमाल कर आपके सन्देशों में झाँक सकतीं हैं, माइक्रोसॉफ्ट और अमेज़न यह देख सकतीं हैं कि आपकी कॉन्टैक्ट लिस्ट में कौन-कौन है आदि। यही नहीं, फ़ेसबुक पर पहले भी एप्पल ने सीमित प्रतिबंध लगाया था प्राइवेसी के हनन और उसके सुरक्षा प्रबंधों को चकमा देने के कारण। इसके अलावा फेसबुक इस इकठ्ठा हुई जानकारी का क्या करने वाला है, इसका बहुत अस्पष्ट सा ‘बेहतर उत्पाद और सेवाएँ विकसित करने के लिए’ जवाब दिया गया है।

नफ़ा बनाम नुकसान

इस प्रोग्राम में हिस्सा लेने के नफ़े हैं:

  • $20 की बैठे-बिठाए कमाई

अपनी निजी जानकारी के नुकसान/संभावित खतरे हैं:

  • आपकी जानकारी गलत हाथों में पड़ने का संभावित खतरा
  • फेसबुक द्वारा (या किसी कर्मचारी द्वारा निजी रूप से भी) थर्ड-पार्टियों को अवैध तरीके से आपकी जानकारी बेचे जाने के बाद आपको ‘ध्यान में रखकर’/निशाना बनाकर दिखाए गए राजनीतिक और कॉर्पोरेट विज्ञापन
  • फ़ेसबुक को वह जानकारियाँ भी प्राप्त हो जाना जो शायद आप न देना चाहें (खासकर कि यदि आप राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं तो यह दीर्घकालिक रूप से शर्तिया खतरे से खाली नहीं है)
  • ‘स्टडी’ प्रोग्राम से पूरी तरह हटने के लिए केवल ऍप अनइंस्टाल कर लेना काफी नहीं होगा- आपको इसकी बाकायदा सूचना देनी होगी। यह सूचना कैसे देनी होगी, फेसबुक ने यह साफ़ नहीं किया है।
ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया