इंग्लैंड की ‘सेव द चिल्ड्रन’ एनजीओ की ग्लोबल चाइल्डहुड रिपोर्ट 2019 के मुताबिक भारत में बाल विवाह, बच्चों की सेहत, शिक्षा, बाल-श्रम जैसे मानकों पर देश की स्थिति में सुधार हुआ है। यह रिपोर्ट बुधवार (मई 29, 2019) को आई है।
रिपोर्ट के अनुसार भारत में पिछले 19 वर्षों में 15 से 19 साल की उम्र वाली लड़कियों की शादी में 51 प्रतिशत की गिरावट आई है और बाल विवाह के कारण किशोरियों के माँ बनने की संख्या में भी 20 लाख की कमी देखने को मिली।
रिपोर्ट में, चाइल्डहुड इंडेक्स में भारत की रैंकिंग सुधरी है। पहले भारत का चाइल्डहुड इंडेक्स 632 था, लेकिन अब यह 769 अंक तक पहुँच गया है। साल 2000 से देश में किशोरावस्था में माता-पिता बनने की दर में भी 63% की गिरावट दर्ज हुई है। बाल मृत्यु दर में 57 प्रतिशत की कमी आई है।
19 साल पहले यानी साल 2000 में 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत की संख्या करीब 13 लाख थी। 2019 तक इस संख्या में 70% की गिरावट देखी गई। यानी 13 लाख से कम होकर अब यह संख्या 3,84,000 हो गई है। लेकिन, नवजात मृत्यु के मामले में सिर्फ 52 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है।
इसके अलावा 2000 से 2019 तक में भारत ने 5 से 14 साल के बच्चों को बालश्रम से निकालने के मामले में बड़ी सफलता हासिल की है। इसमें 70 प्रतिशत की कमी देखने को मिली है।
2000 में 35 लाख लड़कियाँ कम उम्र में माँ बनती थी जबकि अब यह संख्या 14 लाख है। इस हिसाब से
कम उम्र में माँ बनने वाली लड़कियों की संख्या में इस दौरान 60% की गिरावट आई है।
इस रिपोर्ट में बच्चों के लिए मौजूद सेहत संबंधी सुविधाएँ, शिक्षा, पोषण जैसे मानकों पर 176 देशों में अध्ययन किया गया। हालाँकि पिछले 19 वर्षों में 173 देशों में किशोरों से संबंधित हालातों में सुधार आया है। लेकिन ये बिलकुल सच है कि देश के शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में बाल विवाह अब भी बड़ी समस्या है।
एक ओर शहरी इलाकों में जहाँ किशोरियों की विवाह दर 6.9% है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में यह लगभग दोगुनी 14.1% है। इस रिपोर्ट में बच्चों का जीवन सुधारने के लिए भारत की कोशिशों को सराहा गया है, लेकिन साथ में यह भी कहा गया है कि जब तक शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच अंतर को खत्म नहीं किया जाएगा, तब तक यह समस्या बढ़ी रहेगी।