लॉकडाउन का फायदा उठा रेलवे ने पूरे किए 200 प्रोजेक्ट, सालों से अटकी पड़ी थी: अब बढ़ेगी स्पीड, सफर ज्यादा सुरक्षित

रेलवे ने लॉकडाउन में पूरी की 200 लंबित परियोजनाएँ

भारतीय रेलवे ने लॉकडाउन के दौरान ट्रेनों की बेहद कम आवाजाही का फायदा उठाते हुए 200 अति महत्वपूर्ण और काफी समय से लंबित प्रोजेक्ट का काम पूरा कर लिया है। इसकी जानकारी भारतीय रेलवे की तरफ से जारी एक प्रेस रिलीज में दी गई है।

लॉकडाउन के शुरुआती समय में ट्रेनों का परिचालन पूरी तरह बंद था। मौजूदा समय में भी मात्र विशेष ट्रेनें ही चल रही हैं। इसी बात का लाभ उठाते हुए रेलवे ने 200 लंबित परियोजनाओं को पूरा कर लिया है। इनमें से कई परियोजनाएँ सुरक्षा और ट्रेनों की गति बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित होने वाली हैं। 

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ये परियोजनाएँ पुराने पुलों की मरम्मत, यार्ड रीमॉडलिंग, रेल लाइनों का दोहरीकरण, विद्युतीकरण और सीजर क्रॉसओवर के नवीकरण आदि से संबंधित थी, जो कई सालों से लंबित पड़ी थी। इनके रूके होने की वजह से ट्रेनों की गति बढ़ाने में दिक्कत आ रही थी।

पार्सल ट्रेनों और मालगाड़ियों के माध्यम से चलने वाली सभी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के अलावा, भारतीय रेलवे ने इस लॉकडाउन अवधि के दौरान कई वर्षों से लंबित इन रख-रखाव कार्यों को पूरा कर लिया।

लॉकडाउन अवधि के दौरान भारतीय रेलवे द्वारा कई वर्षों से लंबित रख-रखाव कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिनके लिए लंबी अवधि तक यातायात सेवा को निलंबित रखने की आवश्यकता थी। ये कार्य कई वर्षों से लंबित पड़े हुए थे और रेलवे के सामने गंभीर चुनौतियाँ उत्पन्न कर रहे थे। उन्होंने इस लॉकडाउन की अवधि को ‘जीवन में मिले हुए एक सुनहरे अवसर’ के रूप देखा और बचे हुए रख-रखाव कार्यों का निपटारा करने और रेल सेवा को प्रभावित किए बिना काम का निष्पादन करने की योजना बनाई।

अड़चनों को दूर करने और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए किए गए इन कार्यों में 82 पुलों का पुनर्निर्माण/ पुनरुद्धार, लेवल क्रासिंग फाटक के स्थान पर 48 सीमित ऊँचाई वाले सब-वे/ रोड अंडर ब्रिज, 16 फुट ओवर ब्रिज का निर्माण/सुदृढ़ीकरण, 14 पुराने फुट ओवर ब्रिज को ध्वस्त करना, 7 रोड ओवर ब्रिज का शुभारंभ, 5 यार्डों की री-मॉडलिंग, 1 लाइन के दोहरीकरण एवं विद्युतीकरण की शुरुआत और 26 अन्य परियोजनाएँ शामिल हैं।

इनमें से कुछ प्रमुख परियोजनाएँ निम्न हैं;

  • जोलार्पेट्टी (चेन्नई डिवीजन, दक्षिण रेलवे) में यार्ड रूपांतरण का काम 21 मई 2020 को पूरा कर लिया गया। इसने घुमाव को कम किया और बेंगलुरु के लिए गति को 60 किमी प्रति घंटा तक बढ़ाने में मदद की और इसके साथ-साथ रिसेप्शन और डिस्पैच को सुविधाजनक बनाया।
  • इसी प्रकार लुधियाना (फिरोजपुर डिवीजन, उत्तर रेलवे) में पुराने असुरक्षित फुट ओवर ब्रिज को ध्वस्त करने का काम 5 मई 2020 को पूरा कर लिया गया। 19 पटरियों और 7 यात्री प्लेटफार्मों के ऊपर बने इस 135 मीटर लंबे और पुराने फुट ओवर ब्रिज संरचना को समाप्त किया गया। 2014 में नए फुट ओवर ब्रिज के चालू होने के बाद से ही ये काम रुका हुआ था।
  • तुंगा नदी (मैसूर डिवीजन, दक्षिण पश्चिम रेलवे) पर पुल के री-गर्डरिंग का काम 3 मई 2020 को पूरा किया गया। डोंबिवली (मुंबई डिवीजन, मध्य रेलवे) के पास कोपर रोड आरओबी के असुरक्षित डेक को विखंडित करने का काम 30 अप्रैल 2020 को पूरा किया गया और इसके परिणामस्वरूप सुरक्षा में बढ़ोतरी हुई। 2019 में इस डेक को सड़क पर चलने वाले यात्रियों के लिए असुरक्षित घोषित कर दिया गया था। इसके नीचे 6 रेलवे ट्रैक हैं।
  • पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी डिवीजन में विद्युतीकरण के साथ दोहरीकरण वाली दो परियोजनाओं को 13 जून को पूरा कर लिया गया था। इनमें से एक परियोजना कछवा रोड से माधोसिंह खंड पर है और दूसरी 16 किमी लंबी मंडुआडीह से प्रयागराज खंड पर है। इसके परिणामस्वरूप पूर्व-पश्चिम मार्गों पर भीड़ कम हुई है और माल ढुलाई सुविधाजनक हुई है।
  • चेन्नई सेंट्रल स्टेशन से लगे हुए 8 रेलवे ट्रैकों को पार करने वाले आरओबी को तोड़ने का काम 9 मई 2020 को पूरा किया गया। इस आरओबी को असुरक्षित घोषित कर दिया गया था और जुलाई 2016 के बाद से भारी वाहनों के लिए बंद कर दिया गया था। आरओबी को तोड़ने का काम पूरा नहीं हो पा रहा था क्योंकि इसके लिए यातायात को ज्यादा समय के लिए बाधित करने की आवश्यकता पड़ती, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर ट्रेन को कैंसिल या रीशेड्यूल करना पड़ता। इससे यात्रियों को काफी परेशानी होती।
  • दक्षिण मध्य रेलवे के विजयवाड़ा डिवीजन में दो नए पुलों के निर्माण का काम 9 मई को पूरा कर लिया गया। जिसके परिणामस्वरूप ट्रेनों की परिचालन दक्षता और सुरक्षा में बढ़ोतरी हुई।
  • आजमगढ़ स्टेशन (वाराणसी डिवीजन, पूर्वोत्तर रेलवे) के सिग्नल अपग्रेडेशन का काम 23 मई को पूरा कर लिया गया।
  • बीना में रेलवे की एक खाली जमीन पर विकसित किए गए सौर ऊर्जा के माध्यम से ट्रेनों का परिचालन करने के लिए अभिनव पायलट परियोजना का व्यापक परीक्षण किया जा रहा है। 25 किलोवाट रेलवे ओवरहेड लाइन को सीधे उर्जा प्रदान करने वाली यह 1.7 मेगावॉट परियोजना, भारतीय रेलवे और भेल का एक संयुक्त उद्यम है।

कई लंबित परियोजनाओं को पूरा करने और देश के हर हिस्से में आवश्यक वस्तुएँ सुनिश्चित कराने के अलावा, भारतीय रेलवे बड़े पैमाने पर पीपीई किट और मास्क का उत्पादन कर रहा है। भारतीय रेलवे ने कोरोना वायरस आइसोलेशन वार्ड के रूप में गैर-एसी कोच भी प्रदान किए हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया