वेद-वेदाङ्ग और उपनिषदों का ज्ञान, सरस्वती सभ्यता का वर्णन: UGC के नए इतिहास सिलेबस में बाबर-खिलजी आक्रांता

इतिहास के नए सिलेबस का उद्देश्य छात्रों में भारतीयता की भावना विकसित करना है (प्रतीकात्मक चित्र)

‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC)’ ने ‘बैचलर ऑफ आर्ट्स (BA)’ के लिए इतिहास विषय का नया सिलेबस जारी किया है। इसमें ‘पेपर वन’ में ‘आईडिया ऑफ भारत’ विषय है। इसके तहत भारतीय दृष्टिकोण से भारत का इतिहास पढ़ाया जाएगा। इसमें भारतीय इतिहास से सम्बंधित ज्ञान-विज्ञान, कला, संस्कृति और मनोविज्ञान की पढ़ाई कराई जाएगी। जो भारत की अस्तित्व का आधार है, उन चीजों की पढ़ाई इसी विषय के अंतर्गत होगी।

साथ ही इसमें ‘सिंधु सरस्वती सभ्यता’ के बारे में भी पढ़ाया जाना है। इसमें उस समय में भारत के भौगोलिक विस्तार के बारे में पढ़ाया जाएगा। एक चैप्टर भारत की सांस्कृतिक विरासत को लेकर भी है। इसमें एशिया, अमेरिका, अफ्रीका, यूरोप और सोवियत रूस के इतिहास के बारे में भी पढ़ाया जाएगा। भारत में पर्यावरण के बारे में भी एक चैप्टर है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अलावा भारत में संचार के इतिहास में भी अध्ययन कराया जाएगा।

दिल्ली के इतिहास के लिए इसमें एक अलग से विषय है, जिसमें दिल्ली के प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास के बारे में पढ़ाया जाएगा। साथ ही फर्जी इतिहासकारों द्वारा गढ़ी गई आर्य-द्रविड़ थ्योरी को भी इसमें मिथ बताया गया है। समाज में संस्कृति और कला के हिसाब से क्या बदलाव आया, इस पर खास जोर रहेगा। सिलेबस में बताया गया है कि किस तरह ज्ञान के लिए भारत की आत्मा को समझना आवश्यक है।

इसमें जोर दिया गया है कि किस तरह आज जब पूरी दुनिया एक गाँव की तरह हो गई है, तब लोगों को स्थानीय, देश के और महादेश तक के इतिहास से ऊपर उठ कर जानना पड़ता है। बताया गया है कि किस तरह वर्तमान और भूत के बीच संपर्क के लिए इतिहास का ज्ञान ज़रूरी है। इसमें कहा गया है कि आज ज्ञान सिर्फ क्लासरूम तक ही सीमित नहीं है क्योंकि BA में एडमिशन लेने वजन को ‘खाली बर्तन’ की तरह ट्रीट नहीं किया जा सकता।

इसमें कहा गया है कि भारत के इतिहास के विषय में एक नए पुष्ट दृष्टिकोण के लिए ऐसा किया जा रहा है। इसे छात्रों को केंद्र में रख कर तैयार किया गया है। ये प्रोग्राम कुल 6 सेमेस्टर, अर्थात 3 सालों का होगा। एक बेहतर समाज के निर्माण के लिए कैसे इतिहास के ज्ञान का इस्तेमाल किया जाए, इस सम्बन्ध में छात्रों को प्रशिक्षित किया जाएगा। राष्ट्रीय प्रतीकों-भावनाओं, मानवीय मूल्यों और संवैधानिक सिद्धांतों के प्रति सम्मान की भावना भी छात्रों में जगाई जाएगी।

‘आईडिया ऑफ भारत’ के अंतर्गत भारतवर्ष को ठीक तरह से समझा जाएगा। ‘भारत’ शब्द का क्या महत्व व परिभाषा है और इसका क्या अर्थ है, इसे शुरुआत में ही समझाया जाएगा। समय और अंतरिक्ष को लेकर भारतवर्ष की संकल्पना के बारे में जिस विषय में समझाया गया है, उसमें सबसे महत्वपूर्ण है कि भारतीय ऐतिहासिक साहित्य के अंतर्गत वेद-वेदाङ्ग, उपनिषद, जैन-बौद्ध साहित्य और पुराणों के बारे में भी पूरा ज्ञान दिया जाएगा।

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साथ ही ब्राह्मी, खरोष्ठी, पाली, प्राकृत और तिगलारी के साथ-साथ संस्कृत भाषा का इतिहास पढ़ाया जाएगा। भारत की शिक्षा व्यवस्था का क्या इतिहास रहा है, ये छात्रों को समझने के लिए मिलेगा। धर्म और दर्शन को लेकर भारत का क्या नजरिया है, इसकी पढ़ाई होगी। भारत में शासन व्यवस्था, जनपद और ग्राम स्वराज्य के बारे में भी पढ़ाई होगी। प्राचीन भारत में विज्ञान और आयुर्वेद-योग जैसी स्वास्थ्य व्यवस्था के बारे में भी पढ़ाई होगी।

प्राकृतिक तौर-तरीके से कैसे भारतीय उपचार विधि विकसित हुई, छात्रों को इसके ज्ञान दिया जाएगा। सिंधु घाटी, सरस्वती और वैदिक सभ्यताओं के बीच समानता को लेकर जो अध्ययन और चर्चाएँ हैं, उस पर भी पढ़ाई होगी। भारतीय प्राचीन साहित्य की डेटिंग में क्या समस्याएँ हैं, इस पर जोर दिया जाएगा। आर्यों के ‘आक्रमण’ को इसमें झूठ बताया गया है और समझाया गया है कि क्यों। वैदिक धर्म व मनोविज्ञान पर एक अलग से चैप्टर है।

तुर्क, खिलजी और तुगलक वंशों को आक्रांता कह कर सम्बोधित किया गया है और इसी नैरेटिव से उनके बारे में पढ़ाया जाएगा। असम, मेवाड़ व मारवाड़ का राजपूत, ओडिशा, कश्मीर और भव्य विजयनगर साम्राज्य पर मुख्य फोकस होगा। ‘बाबर के आक्रमण’ पर चैप्टर है। छत्रपति शिवजी के अंतर्गत मराठा अभ्युदय पर भी फोकस रहेगा। ‘भक्ति मूवमेंट’ के बारे में छात्रों को बताया जाएगा। कुल मिला कर इस सिलेबस में भारतीय इतिहास की एक सही समझ विकसित करने के इरादे की झलक दिखती है।

जब इसका ड्राफ्ट सामने आया था, तब ओवैसी ने भाजपा पर यह आरोप लगा दिया था कि भाजपा अपनी हिन्दुत्व की विचारधारा को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने का कार्य कर रही है। ओवैसी ने कहा था कि शिक्षा प्रोपेगंडा नहीं है। उन्होंने कहा था, “भाजपा हिन्दुत्व की विचारधारा को पाठ्यपुस्तकों में शामिल कर रही है। माईथोलॉजी को स्नातक कार्यक्रमों में नहीं पढ़ाना चाहिए। पाठ्यक्रम मुस्लिम इतिहास को मलीन कर रहा है।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया