‘बकवास’ है राहुल गाँधी की नागरिकता वाली याचिका, 2015 में सुप्रीम कोर्ट से कुछ ऐसे बचे थे RaGa

राहुल गाँधी को SC से मिली बड़ी राहत

आज राहुल गाँधी की नागरिकता को लेकर सियासी बवाल खड़ा हो गया है। काग़ज़ातों से ख़ुलासा हुआ है कि वह लंदन की एक कम्पनी के डायरेक्टर और सेक्रटरी थे और उस कम्पनी के रजिस्ट्रेशन फॉर्म में उन्होंने ख़ुद को ब्रिटिश नागरिक बताया था। संविधान के आर्टिकल 84(a) में लिखा हुआ है कि सांसद का चुनाव लड़ने वाला व्यक्ति भारत का नागरिक होना चाहिए। इसके अलावा आर्टिकल 9 में इस बात का जिक्र किया गया है कि कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसने विदेशी नागरिकता ली है, वह भारत का नागरिक नहीं हो सकता। राहुल गाँधी अगर ब्रिटिश नागरिक हैं, जैसा कि 2003 के काग़ज़ातों से ख़ुलासा हुआ है, तो 2004, 2009, 2014 और 2019 में उनका सांसद का चुनाव लड़ना संविधान के ख़िलाफ़ है। अगर वह विदेशी नागरिक हैं तो भारतीय नागरिक नहीं हो सकते।

क्या आपको पता है कि 2015 में इसी प्रकार का एक पीआईएल दाखिल किया गया था जिसमें काग़ज़ातों के साथ राहुल गाँधी की नागरिकता पर सवाल खड़े किए गए थे। इस पीआईएल को सुप्रीम कोर्ट ने रिजेक्ट कर दिया था। इस पीआईएल में इस मामले को लेकर सीबीआई जाँच की माँग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस एच एल दत्तू और जस्टिस अमिताव राय की पीठ ने उन काग़ज़ातों की ‘प्रमाणिकता’ पर सवाल खड़े किए थे और यह भी पूछा था कि इन काग़ज़ातों को किस तरह से हासिल किया गया?

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सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को तुच्छ करार देते हुए कहा था कि क्या कोर्ट अब जाँच के लिए घुमना-फिरना शुरू कर दे? इसके साथ ही अदालत ने इस याचिका को औचित्यहीन और तुच्छ करार दिया था। इस पीआईएल के दाखिल होने के कुछ सप्ताह पहले ही भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने राहुल गाँधी की ब्रिटिश नागरिकता को लेकर ख़ुलासे किए थे और साथ ही डाक्यूमेंट्स भी पेश किए थे। उन्होंने पीएम मोदी को भी पत्र लिखा था। आज मंगलवार (अप्रैल 30, 2019) को राहुल गाँधी को गृह मंत्रालय द्वारा अपनी नागरिकता को लेकर स्थिति स्पष्ट करने के लिए जो नोटिस भेजा है, उसका आधार सुब्रह्मण्यम स्वामी के ख़ुलासे ही हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया