उत्तर प्रदेश में फर्जी निकले 2846 मदरसे, रजिस्ट्रेशन की अनुमति देने से किया गया इनकार

यूपी में 2846 मदरसों में सामने आया बड़ा फर्जीवाड़ा (प्रतीकात्मक चित्र साभार: DNA)

उत्तर प्रदेश में लगभग 3000 मदरसों में फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है। मदरसा वेब पोर्टल पर उन्हें रजिस्टर किए जाने से भी इनकार कर दिया गया है। इन मदरसों ने तय मानक पूरे नहीं किए थे, जिसके बाद ये कार्रवाई की गई।

इन फर्जी मदरसों ने सरकार से आग्रह किया है कि इन्हें नए सिरे से मान्यता के लिए आवेदन करने दिया जाए। फ़िलहाल योगी आदित्यनाथ सरकार ने मदरसों को मान्यता देने पर रोक लगाई हुई है। अब तक छात्रवृति और मान्यता में फर्जीवाड़ा के कई मामले सामने आ चुके हैं।

बता दें कि योगी सरकार के आने से पहले इन मदरसों में घोटालों और फर्जीवाड़ा का बोलबाला था। इसकी रोकथाम के लिए 2017 में उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद ने मदरसा पोर्टल लॉन्च किया था। सभी मदरसों के लिए इस वेब पोर्टल पर ख़ुद को रजिस्टर कराना अनिवार्य कर दिया गया था।

रजिस्ट्रेशन के लिए सरकार ने मानक तय किए थे। वेब पोर्टल पर आए आवेदनों की लम्बे समय तक जाँच-पड़ताल की गई, जिनमें 3000 के क़रीब मदरसे फर्जी पाए गए हैं। इन्होंने मानकों को पूरा किए बिना ही रजिस्ट्री करा लिया था।

दैनिक जागरण की ख़बर के अनुसार, उत्तर प्रदेश में पहले 19123 मदरसे रजिस्टर्ड थे लेकिन मदरसा वेब पोर्टल पर अभी तक 16277 को ही रजिस्ट्रेशन की अनुमति मिली है। यानी, कुल 2846 मदरसे फर्जी निकले।

उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले का ही उदाहरण लें तो वहाँ अभी 321 मदरसे संचालित किए जा रहे हैं। इनके अलावा 100 से अधिक ऐसे मदरसे भी हैं, जिन्हें रजिस्ट्रेशन की अनुमति नहीं दी गई है। ये मदरसे मान्यता लेने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं।

रामपुर के मदरसों में कुल छात्रों की संख्या 40,000 है जबकि पूरे उत्तर प्रदेश में 20 लाख ऐसे छात्र हैं, जो विभिन्न मदरसों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मोहम्मद ख़ालिद ने इस सम्बन्ध में अधिक जानकारी देते हुए कहा:

“मान्यता के लिए मदरसा शिक्षा परिषद ने कुछ मानक तय कर रखे हैं। जैसे प्राइमरी स्तर के मदरसे के लिए 3 कमरे, जूनियर हाई स्कूल स्तर के लिए 6 कमरे और हाईस्कूल स्तर के मदरसे के लिए 10 कमरे होना अनिवार्य कर दिया गया है। इन सबके अलावा प्राइमरी स्तर के मदरसों में छात्रों की संख्या कम से कम 60 होनी ही चाहिए। नए मदरसों की मान्यता पर प्रदेश सरकार ने जुलाई 2016 से रोक लगाई हुई है, इसलिए फिलहाल मान्यता नहीं दी जा रही है।”

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उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के रजिस्ट्रार आरपी सिंह ने ‘दैनिक जागरण’ को जानकारी दी कि मदरसा वेब पोर्टल का लक्ष्य ही मदरसों में फर्जीवाड़ा ख़त्म करना है। उन्होंने बताया कि इस वेब पोर्टल के जरिए रिकॉर्ड उपलब्ध कराया गया है।

मदरसों में सरकारी योजनाओं की जानकारी दिए जाने के सात-साथ एनसीईआरटी की पुस्तकें भी पढ़ाई जा रही हैं। कोरोना लॉकडाउन के बीच भी ऑनलाइन क्लासेज की व्यवस्था की गई है। ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मदरसा एजुकेशन पोर्टल के निर्माण पर काम चल रहा है।

इससे पहले कानपुर में एक मदरसे में संपर्क में आने के कारण 13 छात्र इस खतरनाक वायरस से संक्रमित हो गए थे। हाल ही में रामपुर जिले में घोषित लॉकडाउन के बाद भी एक मौलवी द्वारा मदरसे में बच्चों को पढ़ाया जा रहा था। इसकी जानकारी जब जिला प्रशासन को हुई तो उसने तत्काल कार्रवाई करते हुए मदरसा संचालक को हिरासत में ले लिया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया