अब छत पर कोई सोनाली नहीं सोती… फिर भी तेजाब की बारिश से आँखें खुलती है

एसिड अटैक से पहले जब सोनाली मुखर्जी एनसीसी कैडेट और कॉलेज टॉपर थी

अप्रैल 2003 की एक रात सोनाली मुखर्जी धनबाद में अपने घर की छत पर सोई थी। अँधेरे में तीन लोग आए। सोनाली की आँख खुली तो तेजाब की बारिश हो रही थी। एनसीसी कैडेट और कॉलेज टॉपर रही इस लड़की पर तेजाब उन तीन लोगों ने फेंका था, जिनकी छेड़खानी का उन्होंने विरोध किया था। हमले से सोनाली का चेहरा मांस का ठूंठ भर रह गया। देखने की क्षमता प्रभावित हुई। सदमे से दादा मर गए। माँ अवसाद में चली गई। इलाज कराने में पिता की जमीन बिक गई। एक वक्त ऐसा भी आया कि टूट चुकी सोनाली ने इच्छामृत्यु की इजाजत तक मॉंगी। कुछ समाजिक योगदान, थोड़े-बहुत सरकारी मदद और सबसे बढ़कर जिजीविषा जिसकी वजह से आज सोनाली खुशहाल जिंदगी जी रही है। पति-बच्चे सब कुछ तो हैं अब उसके पास। यह कैसे हुआ? इसे सोनाली के शब्दों में ही जानें, “जब मुझ पर एसिड अटैक हुआ तो सोनाली के चेहरे को तो उन्होंने ख़त्म कर दिया लेकिन मेरे अंदर की सोनाली को मैने ख़त्म नहीं होने दिया।”

फिल्म छपाक की कहानी जिस लक्ष्मी अग्रवाल पर आधारित है उन पर तो दिल्ली में सरेबाजार एसिड अटैक हुआ था। हमलावर 32 साल का नईम खान था। वह इस बात से खुन्नस खाए बैठा था कि 15 साल की लक्ष्मी ने शादी का उसका प्रस्ताव कैसे ठुकरा दिया। हमले से पहले वह 10 महीने तक लक्ष्मी का पीछा करता रहा। जिजीविषा की बदौलत ही लक्ष्मी एक दिन फैशन तक का चेहरा बन गईं।

मुंबई की अनमोल की मॉं पर तो उसके पिता ने ही एसिड फेंक दिया था। बकौल अनमोल वह एक बेटी के पैदा होने से खुश नहीं थे। जिस दोपहर उनके पिता ने एसिड फेंका अनमोल को मॉं दूध पिला रही थी। मॉं ने अनमोल को तो किसी तरह बचा लिया, लेकिन खुद को नहीं बचा पाई। 2017 में यूपी की राजधानी लखनऊ में एक गैंगरेप पीड़िता पर जब एसिड फेंका गया तो उस पर किया गया इस तरह का 5वॉं हमला था।

दास्तानों की फेहरिस्त लंबी है और सिलसिला है कि टूट नहीं रहा। एसिड अटैक को लेकर जो जागरूकता और कानूनी सख्ती दिख भी रही है वह पीड़िताओं की लड़ाई के कारण ही मुमकिन हो पाया है।

साभार: Loksabha

बीते 13 दिसंबर 2019 को लोकसभा में महिलाओं पर तेजाब हमले को लेकर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने पटल पर कुछ आँकड़े रखे थे। इसके मुताबिक 2015-17 के बीच महिलाओं पर तेजाब फेंकने की 448 घटनाएँ हुई। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार उससे पहले 2014 में ऐसी 137 घटनाएँ हुई थी। यानी, हर दूसरे या तीसरे दिन देश में कोई न कोई महिला तेजाब से नहलाई जा रही है। उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में इस तरह की घटनाएँ सबसे ज्यादा हो रही। एनसीआरबी के आँकड़े बताते हैं देश की राजधानी दिल्ली में 2014.17 के बीच महिलाओं पर 43 एसिड अटैक हुए।


साभार: Loksabha

एक अभिनेत्री के पब्लिसिटी स्टंट पर फिदा हो आप छपाक देखें या उसकी कारस्तानी से आहत हो शो की बुकिंग रद्द करें, यह आपकी मर्जी है। लेकिन, ऐसी घटनाओं रोकना, पीड़िताओं के साथ खड़े होना एक समाज के तौर पर हमारी मर्जी का सवाल नहीं है। हमें ऐसी घटनाओं को रोकना ही होगा। इससे लड़ना ही होगा। ताकि कल को कोई सोनाली फिर से टूटकर इच्छामृत्यु की इजाजत नहीं मॉंगे। ताकि फिर कल को किसी लक्ष्मी अग्रवाल को अपने बच्चों को पालने के लिए संघर्ष न करना पड़े।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया