‘बुरे वक्त में युसूफ की करते थे मदद, पत्नी के साथ उसके घर पर गए थे’: उमेश कोल्हे के भाई ने बताया – मेरे ऑफिस में 15 साल रहा एक मुस्लिम स्टाफ

महाराष्ट्र के अमरावती में कत्ल हुए उमेश कोल्हे थे साजिशकर्ता इरफ़ान युसूफ के सुख-दुःख के साथी

महाराष्ट्र के अमरावती जिले में दवा व्यवसाई उमेश कोल्हे की हत्या 21 जून 2022 की रात को कुछ मुस्लिमों ने गला काट कर कर दी गई थी। इस मामले में पुलिस ने कुल 7 आरोपितों को गिरफ्तार किया है। आरोपित उमेश द्वारा नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया में एक पोस्ट फॉरवर्ड करने से नाराज थे। हत्या के मुख्य साजिशकर्ता के रूप में शेख इरफ़ान युसूफ का भी नाम सामने आया जो उमेश का पूर्व परिचित था। इस मामले में जानकारी निकल कर सामने आई है कि उमेश ने इरफ़ान युसूफ की कई बार जरूरत के समय मदद की थी।

‘आज तक’ के मुताबिक, मृतक उमेश ने युसूफ के बच्चे के एडमिशन और उसकी बहन की शादी में आर्थिक मदद की थी।

कुछ रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उमेश और युसूफ एक दूसरे से लगभग 16 साल से परिचित थे। युसूफ इस से पहले भी एक बार उमेश की हत्या का प्रयास कर चुका था लेकिन उसमें असफल रहा था। आख़िरकार 2 आटो ड्राइवर और अन्य मजदूरों को उसने अपनी एनजीओ में बुलाकर माइंड वॉश किया था। बाद में कथिततौर पर उन्हें 10-10 हजार रुपए देकर उनसे ये उमेश की हत्या करवाई।

काफी अच्छे व्यापारिक रिश्ते थे भाई और युसूफ के

ऑपइंडिया ने उमेश कोल्हे के भाई महेश कोल्हे से बात की। महेश ने कहा, “भैया (उमेश) के युसूफ से व्यापारिक रिश्ते काफी अच्छे थे। वो कई बार उसकी जरूरत के मुताबिक दवाओं के पैसे लेने में भैया समय आगे-पीछे कर लेते थे। भैया अपनी पत्नी के साथ युसूफ के घर पर एकाध बार कार्यक्रमों में भी गए थे। हालाँकि, युसूफ कभी हमारे घर नहीं आया। फिर भी जो हुआ वो सोच से भी परे है। कई मीडिया मेरी बयान को बढ़ा कर युसूफ को भैया का बेहद जिगरी यार बता रही हैं जो गलत है।”

इंसानो की सेवा को ही मानते थे सच्ची पूजा

महेश कोल्हे के मुताबिक, “कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में चल रहा कि भैया बहुत पक्के धार्मिक थे और वो हर दिन मंदिर जाते थे। ये दावा भी गलत है। वो इंसानों की सेवा को अपना धर्म मानते थे। ये शिक्षा हमें हमारे स्वर्गीय पिता से मिली है।”

खुद मेरे ऑफिस में था 15 साल पुराना मुस्लिम स्टाफ

महेश कोल्हे ने हमें बताया, “मैं ट्रेवेल्स का काम करता हूँ। हमारे परिवार में कभी हिन्दू-मुस्लिम का भाव नहीं रहा था। भैया तो दूर खुद मेरे ऑफिस में 15 साल तक एक मुस्लिम स्टाफ ने काम किया। पिछले ही साल उसने अपना हार्डवेयर का काम शुरू किया।”

पुलिस ने कभी हत्या को लूट नहीं कहा

महेश कोल्हे के मुताबिक, “पहले मीडिया में चला कि पुलिस ने मेरे भाई की हत्या को लूट बताया। मेरे भाई का पर्स और पैसा सब सुरक्षित था इसलिए हमने मीडिया की उन बातों को नहीं माना। पुलिस ने भी कभी हमसे भैया की हत्या को लूट नहीं बताया। बस कुछ मीडिया वालों ने अपनी मर्जी से लूट की खबर पब्लिश कर दी जिसको बाद में बाक़ी मीडिया वालों ने भी वही मान लिया। अमरावती पुलिस ने भी हमसे बताया है कि हमने किसी को भी लूट का न तो बयान दिया है और न ही इसकी कोई प्रेसनोट जारी की थी।”

अमरावती पुलिस कमिश्नर IPS आरती सिंह ने भी इस बावत बयान जारी किया है और किसी प्रकार से मामले को दबाने जैसी बात से इंकार किया है।

source – ANI

बेटा संभाल रहा पिता का काम

महेश कोल्हे ने ऑपइंडिया को आगे बताया, “भैया ने कोई मैसेज नूपुर के समर्थन में खुद से नहीं लिखा था। उन्होंने तो बस एक संदेश फारवर्ड कर दिया था। अब उनके घर में उनकी पत्नी, उनका बेटा और बहू बचे हैं। बेटे ने पिता के कारोबार में 2 साल पहले से ही हाथ बँटाना शुरू कर दिया था। अब वही दवा के व्यापार को संभाल रहा है।”

साल भर भी नहीं हुआ पिता को मरे हुए

उमेश के भाई महेश ने आगे कहा, “हमारे पिता जी की मृत्यु पिछले साल 2 जुलाई को हुई थी। इस साल 2 जुलाई को हम उनकी मृत्यु की पहली बरसी पर उन्हें याद करने वाले थे। अफ़सोस ये है कि उस दिन हमें अपने भाई की तेरहवीं करनी पड़ी थी।”

राहुल पाण्डेय: धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।