वामपंथी बाप ने छीना, वामपंथी सरकार में फरियाद रही अनसुनी, फिर भी लड़ती रही केरल की अनुपमा: 13 महीने बाद मिला बच्चा

अनुपमा को आखिरकार मिल गया अपना बच्चा (साभार: इंडियन एक्सप्रेस)

केरल की अनुपमा एस चंद्रन को आखिरकार वो बच्चा मिल ही गया जिसे उसने जन्म दिया था। 19 अक्टूबर 2020 को जन्म लेने वाले इस बच्चे की अनुपमा किलकारी भी नहीं सुन पाई थी, क्योंकि उसके वामपंथी पिता जयचंद्रन को उसका अजीत के साथ रिश्ता पसंद नहीं था। जयचंद्रन ने जन्म के बाद इस बच्चे को अनुपमा से छीन लिया था।

डीएनए टेस्ट में यह साबित होने के बाद कि बच्चा अनुपमा और अजीत का ही है, एक फैमिली कोर्ट ने बुधवार (24 नवंबर 2021) को उसे अनुपमा को सौंपने का निर्देश दिया। इस बच्चे को हासिल करने के लिए उसे लंबा संघर्ष करना पड़ा। अनुपमा के पिता जयचंद्रन सीपीआई (एम) के पेरूकाडा स्थानीय कमेटी का सदस्य हैं। तिरुवनंतपुरम सेंटर ऑफ इंडिया ट्रेड यूनियन के जनरल सेक्रेट्री भी। लिहाजा वामपंथी शासन वाले केरल के शासन-प्रशासन ने अनुपमा-अजीत की फरियाद नहीं सुनी। लेफ्ट पार्टी के नेता यहाँ तक कि मुख्यमंत्री एम विजयन ने भी संज्ञान में होने के बावजूद मामले में हस्तक्षेप नहीं किया।

इसके बावजूद अनुपमा नहीं टूटी। हर वो दरवाजा खटखटाया जहाँ से उसे अपना बच्चा वापस पाने में मदद मिल सकती थी। बुधवार को जब चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (CWC) ने फैमिली कोर्ट को बताया कि डीएनए टेस्ट से स्पष्ट हो चुका है कि अनुपमा और अजीत ही बच्चे ऐदान अनु अजीत के जैविक माता-पिता हैं, वह भावुक हो गई।

क्या है मामला?

अनुपमा और दलित समुदाय से आने वाले अजीत एक-दूसरे से प्यार करते थे। पिछले साल अनुपमा प्रेग्नेंट हो गई, जिसकी जानकारी उसके परिवार को नहीं थी। वह जानती थी कि घर वाले यह रिश्ता नहीं कबूल करेंगे। इस बीच एक दिन अजीत हिम्मत कर अनुपमा को अपने साथ ले गया। बाद में अनुपमा के घरवालों ने बहन की शादी, ‘घर की इज्जत’ के नाम पर उसे वापस बुलाया और गर्भपात की कोशिशों में जुट गए।

लेकिन अनुपमा के कोरोना पॉजिटिव होने के कारण ऐसा हो नहीं पाया। बच्चे को जन्म देने के तीन बाद घरवाले उसे बरगलाकर अस्पताल से ले गए। बीच रास्ते में बच्चा छीन कर कहा कि बहन की शादी के बाद वह उसे लौटा दिया जाएगा। जब बच्चा वापस नहीं मिला तो अनुपमा मार्च 2021 में किसी तरह घर से भागी और उसकी तलाश में जुटी। पता चला कि जयचंद्रन ने बच्चे को अनाथ बताकर ‘अम्मा थोट्टिल’ नामक संस्था को सौंप दिया था। प्रशासन से मदद नहीं मिलने पर अनुपमा ने हाई कोर्ट में याचिका दी। बाद में केरल बाल कल्याण परिषद ने बच्चे का पता लगाने के लिए डीएनए टेस्ट का निर्देश दिया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया