अनुपमा और अजीत का बेटा आज 19 अक्टूबर को 1 साल का हो गया। पिछले साल 2020 में इसी दिन उसकी किलकारी गूँजी थी। कायदे से देखें तो ये उस बच्चे का पहला जन्मदिन है। लेकिन पीड़ादायक बात ये है कि जो बच्चा ठीक एक साल पहले जन्मा था, उसका पता न उसकी माँ को है और न पिता को। दोनों दर-दर भटककर उसे ढूँढ रहे हैं।
वो कहाँ हैं कैसा है…ये सवाल सिर्फ एक व्यक्ति जानता है और वो है कम्युनिस्ट नेता जयचंद्रन। जयचंद्रन ने ही 3 दिन के मासूम को उसकी माँ से अलग कर न जाने किसे सौंपा कि उसका पता अब तक किसी को नहीं है। रिश्ते में यह कम्युनिस्ट नेता अनुपमा का पिता है और वह अजीत के साथ अपनी बेटी के रिश्ते के ख़िलाफ़ था।
दोनों में प्रेम था और इसी बीच अनुपमा 2020 में गर्भवती हुई। वो जानती थी कि उसके परिजन ये रिश्ता नहीं स्वीकारेंगे इसलिए उसने घर में रहते हुए किसी को अपनी प्रेगनेंसी की बात नहीं बताई। एक दिन अजीत आया और हिम्मत करके अनुपमा को अपने साथ ले गया। बाद में अनुपमा के घरवालों ने बहन की शादी, ‘घर की इज्जत’ के नाम पर उसे वापस बुलाया और गर्भपात की कोशिशों में जुट गए।
जब एबॉर्शन के लिए उसे अस्पताल ले जाया गया तो वहाँ वह कोरोना पॉजिटिव थी। नतीजन बच्चा एबॉर्ट होने से रुक गया। थोड़े दिन बाद अजीत को पता चला तो वो अनुपमा को साथ ले गया और घर नहीं भेजा। लेकिन डिलीवरी के समय जब वह दोबारा अस्पताल में भर्ती हुई तो बच्चा होने के 3 दिन बाद उसके घरवाले उसे बरगलाकर अपने साथ ले गए और बीच रास्ते में बच्चा छीन कर कहा कि बहन की शादी के बाद वह उसे लौटा दिया जाएगा।
द न्यूज मिनट के अनुसार, शादी हुई लेकिन बच्चा नहीं मिला। अनुपमा रोती रही लेकिन घरवालों ने उसे किसी से न बात करने दी और न घर से निकलने दिया। बड़ी मुश्किल से वह मार्च 2021 में घर से भागी और अजीत को सारी बातों के बारे में बताया। दोनों ने मिलकर कई जगह शिकायत की, मगर कोई सुनवाई नहीं हुई।
जयचंद्रन, सीपीआई (एम) के पेरूकाडा में स्थानीय कमेटी का सदस्य हैं और तिरुवनंतपुरम सेंटर ऑफ इंडिया ट्रेड यूनियन में जनरल सेक्रेट्री भी। शायद इसीलिए पार्टी नेताओं से लेकर अधिकारी और सीएम पिनराई विजयन तक ने इस मामले में अब तक हस्तक्षेप नहीं किया है। उलटा अनुपमा को मानसिक तौर पर अस्थिर कहकर समझाया जा रहा है कि बच्चे को गोद दिया गया लेकिन अनुपमा की सहमति से… क्योंकि वो बच्चा पालने की हालत में नहीं थीं।
दूसरी ओर अनुपमा है जो पूछती हैं, “मेरा बेटा कहाँ? मैं उसे दूध तक नहीं पिला पाई। कोई मेरी मदद करना नहीं चाहता। प्रशासन भी इच्छुक नहीं है।” बता दें कि अब बच्चे के माता-पिता उसे वापस पाने के लिए कोर्ट जाने को तैयार हैं। उनका तर्क है कि अनुपमा ने अपने बच्चे के लिए कोई ऐसी सहमति नहीं दी जिससे वो दूर हो। लेकिन अगर सीपीआई (एम) नेता अपनी बेटी को मानसिक रोगी कह भी रहे हैं तो क्या अजीत का बच्चे पर कोई हक नहीं था जो उनसे बिन पूछे बच्चा किसी को गोद दे दिया गया।