J&K में माहौल शांतिपूर्ण, जनता ने अनुच्छेद 370 पर सरकार के फ़ैसले का किया स्वागत

कश्मीरी नेताओं व अलगाववादियों से अलग है आम जनता की राय

जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन और अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाए जाने को लेकर अलगाववादी और कश्मीरी नेता जैसी अफवाहें फैला रहे थे या उससे पहले जिस तरह से खून-खराबे की धमकी दे रहे थे, वैसा कुछ भी नजर नहीं आ रहा है। राज्य में शांति है और लोग अपनी दिनचर्या में व्यस्त हैं। हाँ, आतंकियों के खतरनाक मंसूबों व माहौल बिगाड़ने वाले तत्वों को रोकने के लिए सुरक्षा ज़रूर बढ़ाई गई है लेकिन कश्मीर की जनता को भी यह पता चल गया है कि सरकार ने ये सारे निर्णय क्षेत्र के विकास को लेकर लिए हैं। इससे यह भी साफ़ हो गया है कि गीदड़-भभकी देने वाले नेता व अलगाववादी कश्मीर की जनता का प्रतिनिधित्व नहीं करते।

संसद द्वारा जम्मू कश्मीर से जुड़े बिल को बहुमत से पास किए जाने के बाद आज जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने क़ानून व्यवस्था का जायजा लिया। उन्होंने बैठक कर यह जाना कि अब तक क्षेत्र में क़ानून व्यवस्था की क्या स्थिति है? राज्यपाल ने घाटी में सभी जिलों के डिप्टी कमिश्नरों को अपने कर्मचारियों को भेज कर आम जनता की जरूरतें समझने व उन पर काम करने का निर्देश दिया। उन्होंने अपनी इस बात को दुहराया कि कश्मीर की जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करना उनकी पहली प्राथमिकता है।

राज्यपाल को अधिकारियों ने सूचना दी कि राज्य में स्थिति अभी संतोषप्रद है। बिजली और पानी से जुड़ी सेवाएँ सही से कार्य कर रही हैं और लोग रोजमर्रा की जरूरतों के सामान ख़रीदने के लिए घरों से निकल रहे हैं। बाजारों में भी रौनक है। राज्यपाल को यह भी बताया गया कि मेडिकल सेवाएँ सही से कार्य कर रही हैं और सभी अस्पतालों में नियमित क्रियाकलाप चल रहे हैं।

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न सिर्फ़ लद्दाख के सांसद जामयांग शेरिंग नामग्याल बल्कि क्षेत्र के शिक्षा सुधारवादी व अभियंता सोनम वांगचुक ने भी केंद्र सरकार के निर्णय का स्वागत किया। उधर कश्मीर की जनता ने भी सरकार के इस निर्णय पर ख़ुशी जताई। नीचे संलग्न किए गए इस वीडियो में आप एक कश्मीरी बुजुर्ग को सुन सकते हैं जिन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के बाद यहाँ रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

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जम्मू कश्मीर के ग्रामीण भी सरकार के इस निर्णय से खुश नजर आ रहे हैं। पूरे क्षेत्र में स्थिति सामान्य होने और जनता द्वारा सरकार के फैसले का स्वागत करने के बाद उन तमाम कश्मीरी नेताओं, अलगावादियों और कश्मीर के हक़ में बात करने का दावा करने वाले कथित सामाजिक कार्यकर्ताओं की पोल भी खुलती है, जो अपनेआप को जम्मू कश्मीर की जनता का प्रतिनिधि मानते हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया