अम्मा को मिली आँखें, सीमा को मिला नया जीवन: सरकार की वो योजना, जिसने बदली दी ज़िंदगियाँ

आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थी

पूरण कौर हरियाणा की रहने वाली महिला हैं। गरीब हैं। पति भी मेहनत-मजदूरी करने वाले हैं। लेकिन आमदनी इतनी ही कि घर चल जाता है किसी तरह से। सीमित आय के इस परिवार में किसी को सर्जरी/ऑपरेशन की जरूरत पड़ जाए तो सोचिए कहाँ जाएगा परिवार! पूरण कौर के साथ भी ऐसा ही हुआ। लेकिन उन्हें दिक्कत नहीं हुई। कारण है ‘आयुष्मान भारत योजना’।

‘आयुष्मान भारत योजना’ की वजह से ही पूरण कौर आज ढंग से देख पा रही हैं। वो भी बिना किसी ख़र्चे के। आइए जानते हैं उनकी कहानी, उन्हीं की जुबानी।

https://twitter.com/drharshvardhan/status/1093461978771800065?ref_src=twsrc%5Etfw

वीडियो में आप सुन सकते हैं कि कैसे एक परिवार अपनी आपबीती बता रहा है। वो बता रहा है कि कैसे ‘आयुष्मान भारत योजना’ से उसकी जिंदगी बदल गई। वीडियो से यह भी स्पष्ट है कि आम आदमी को दलगत राजनीति से कोई मतलब नहीं है। और यह भी कि कैसे मोदी सरकार की योजनाओं से आम आदमी को लाभ हुआ है जबकि कॉन्ग्रेस ने वादों के अलावा कुछ नहीं किया।

अब कहानी सीमा की। यह बिहार से हैं। प्रेगनेंसी में दर्द से कराह रही सीमा को गहने बेचने की नौबत आ गई थी क्योंकि पति के पास पर्याप्त पैसे नहीं थे। यहाँ भी ‘आयुष्मान भारत योजना’ ने अपना काम किया। सीमा का मुफ़्त में इलाज़ हुआ और उसने एक नया जीवन दिया।

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यह दोनों उदाहरण उस प्रचलित कहावत के मिथक को तोड़ता है कि केंद्र से चला एक रुपया गरीब तक पहुँचते-पहुँचते 10 पैसा रह जाता है। आम आदमी के हितों और उसके कल्याण के लिए चलाई जा रही ‘आयुष्मान भारत’ जैसी केंद्रीय योजनाएँ न सिर्फ चलाई जा रही है, बल्कि आम आदमी तक पहुँचाई भी जा रही है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया