बजट 2019: मोदी सरकार का ‘मास्टर स्ट्रोक’, जनता ताली पीट रही है और विपक्षी छाती पीट रहे

मोदी सरकार ने ‘सबका साथ, सबका विकास’ के तर्ज़ पर अपना अंतरिम बजट पेश किया (पीएम मोदी फाइल फोटो)

मोदी सरकार ने ‘सबका साथ, सबका विकास’ के तर्ज़ पर इस बार अपना अंतरिम बजट पेश किया। मध्यम वर्गीय नौकरी-पेशा वाले लोग अंतरिम बजट (Budget 2019) में मोदी सरकार की ओर उम्मीद की नज़र से देख रहे थे। जिसके बाद सरकार ने भी उन्हें निराश नहीं किया और आज बजट के जरिए उनकी झोली भरकर उनके चेहरे पर खुशियाँ ला दी।

हर बार की तरह इस बार भी सरकार ने मिडिल क्लास और गरीबों को राहत देने और उनके जीवन को बदलने के लिए कई सारी घोषणाएँ की हैं। अपने अंतरिम बजट में सरकार ने मिडिल क्लास, किसान वर्ग, मजदूर वर्ग को बड़ी राहत देते हुए टैक्स छूट की सीमा में बढ़ोतरी की है। बता दें कि जहाँ सरकार के इस फैसले से करीब 3 करोड़ मिडिल क्लास टैक्स पेयर्स को फायदा मिलेगा वहीं अंतरिम बजट के सुंतलन से विपक्ष क्लीन बोल्ड हो गया है।

सदन में मोदी-मोदी के नारे, विपक्ष में सन्नाटा

कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने गरीब और मध्यम वर्ग को राहत देते हुए टैक्स छूट की सीमा ₹2.5 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख करने का ऐलान किया। जिसके बाद सदन में न सिर्फ मोदी-मोदी के नारे लगे बल्कि विपक्ष के सन्नाटे को भी महसूस किया गया। यही कारण है कि विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने संसद में पेश बजट को खिसियाने अंदाज में भाजपा का चुनावी घोषणापत्र बता दिया। लेकिन वह भूल गए कि सरकार के इस फ़ैसले से करीब 3 करोड़ लोगों की जिंदगी आसान हो जाएगी।

किसानों और मजदूरों का रखा गया ख़याल

सरकार ने ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ के जरिए 2 हेक्टेयर तक भूमि वाले छोटी जोत के किसान परिवारों को 6,000 प्रति वर्ष की दर से प्रत्यक्ष आय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। यह आय सहायता 2,000 की तीन समान किस्तों में लाभ पाने वाले किसानों के बैंक खाते में भेजा जाएगा।

सरकार के इस कार्यक्रम से लगभग 12 करोड़ छोटे और सीमांत किसान परिवारों को लाभ मिलेगा। यह कार्यक्रम 1 दिसंबर, 2018 से लागू किया जाएगा और 31 मार्च, 2019 तक की अवधि के लिए पहली किस्त का इसी वर्ष के दौरान भुगतान कर दिया जाएगा। बता दें कि सरकार के इस फैसले से जो किसान गरीबी की समस्या से जूझ रहे हैं उन्हें काफी राहत मिलेगी।

अंतरिम बजट में सरकार ने वैसे तो हर वर्ग का ध्यान रखा लेकिन गरीब वर्ग, मजदूर, किसान को सरकार ने ध्यान में रखते हुए उन्ही बड़ी राहत दी। गरीबों के नाम पर आजतक वोट माँगने वाली कॉन्ग्रेस पार्टी को आईना दिखाते हुए सरकार ने मजदूरों को मासिक पेंशन देकर न सिर्फ़ उनका सम्मान किया, बल्कि इससे उनके जीवन में भी काफी बदलाव आएगा। ध्यान देने वाली बात यह है कि मजदूर हमारी इंफ्रास्ट्रचर और उद्योगों के आधार स्तम्भ हैं, लेकिन उनके लिए किसी भी तरह की योजना का अभाव बताता है कि कुछ पार्टियाँ अभिजात्य सोच के साथ गरीब को गरीब ही रखने में व्यस्त रहीं।

सरकार ने असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को सौगात देते हुए उनके लिए पेंशन स्कीम का ऐलान किया है। ‘प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजना’ के तहत मजदूरों को कम से कम 3 हज़ार महीने का पेंशन दिया जाएगा। योजना का लाभ लेने के लिए उन्हें प्रति माह 100 का अंशदान करना होगा और जब वह 60 वर्ष की आयु पूरी कर लेंगे तो उन्हें 3,000 प्रति माह मासिक पेंशन के रूप में इसका लाभ मिल सकेगा। बता दें कि, इस इस योजना के जरिए करीब 10 करोड़ मजदूरों को लाभ पहुँचेगा।

इसके साथ ही सरकार ने (एक्सीडेन्टल) मुआवजे की रकम को बढ़कर 6 लाख कर दिया है। यानी अगर अब काम के दौरान किसी मजदूर की मौत होती है तो उसके परिवार को ₹6 लाख का मुआवजा मिलेगा।

सरकार ने बजट से पहले विपक्ष के पैरों तले से खींची थी ज़मीन

बजट से पहले भी सरकार आम जन को राहत देने और उनके विकास को ध्यान में रखते हुए आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 10% आरक्षण देने का फैसला लिया था। मोदी सरकार ने आर्थिक तौर पर कमज़ोर लोगों के लिए 10% आरक्षण की व्यवस्था करके उनकी सामाजिक जरूरत को पूरा करने का काम किया है।

बात दें कि, जब से इस बिल को स्वीकृति मिली थी तब से विपक्ष में बेचैनी बढ़ती जा रही थी, जिसके बाद राहुल गाँधी ने एक ‘जुमला’ देश के सामने पेश किया जिसको हम ‘गरीब व्यक्ति को एक न्यूनतम आमदनी’ देने के नाम से जानते हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश में आम जनता और किसानों को कर्ज़माफ़ी के झूठे वादे से ठगने के बाद राहुल गाँधी ने इसकी घोषणा की थी।

आर्थिक सलाहकारों की मानें तो इस योजना को लागू करने के लिए सरकार के पास मोटी रकम होनी चाहिए जो देश की जीडीपी का 15-20% हो सकती है। सलाहकारों की मानें तो किसी एक योजना में इतना पैसा खर्च करने के लिए कई अन्य योजनाओं पर रोक लगानी पड़ेगी जो कि संभव नहीं है। बता दें कि एक आँकड़े के मुताबिक देश में करीब 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) जीवन यापन करते हैं। इनमें से शेड्यूल ट्राइब (एसटी) के 45.3% और शेड्यूल कास्ट (एससी) 31.5% के लोग इस रेखा के नीचे आते है।