नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध के नाम देश के कई हिस्सों में हिंसा हुई है। उत्तर प्रदेश के कानपुर सहित कई अन्य जिलों में हुई हिंसा के सिलसिले में चरमपंथी इस्लामी संगठन PFI (पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया) के पाँच सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। PFI पर कानपुर के बाबूपुरवा और यतीमखाना में हिंसा भड़काने का आरोप है। बता दें कि कानपुर में हुई हिंसा में दर्ज एफआईआर में कई आरोपी बनाए गए जिनमें इन पाँचों के नाम भी शामिल थे। पुलिस ने इन पाँचों के नाम मोहम्मद उमर, सैयद अब्दुल, फैज़ान, वासिफ और सरवर बताए हैं।
इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपनी जाँच के बाद दावा किया था कि CAA के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों में हिंसा भड़काने, आगजनी करवाने के लिए इस्लामिक कट्टरपंथी PFI ने ही अपना पैसा लगाया है। कथित तौर पर कपिल सिब्बल और इंदिरा जय सिंह जैसे कॉन्ग्रेसियों एवं सुप्रीम कोर्ट के वकीलों की भी भूमिका बताई गई थी। 73 सिंडिकेट बैंक अकॉउंट की पड़ताल से खुलासा हुआ था कि पूरी हिंसा को भड़काने में इनमें 120 करोड़ रुपए डाले गए। बाद में इन खातों से कुछ पैसे छोड़कर शेष रकम निकाल ली गई।
CAA विरोध के नाम पर 20 दिसंबर को मेरठ में भी हिंसा हुई थी। इसमें SDPI और PFI की अहम भूमिका सामने आई थी। बताया जा रहा है कि मेरठ में भी PFI ने 12 खातों में रकम भेजी थी। यह रकम रिहैबिलिटेशन इंडिया एनजीओ के माध्यम से फंडिंग की गई थी। पुलिस इस एनजीओ की भी पड़ताल कर रही है। एसएसपी अजय साहनी ने बताया कि अभी तक की जानकारी में ये बात सामने आई है कि PFI ने चार खातों में तीन करोड़ की रकम भेजी थी। इसके साथ ही हिंसा में अहम भूमिका निभाने वाले परवेज, आलम, अमजद, जावेद, अनीस खलीफा और अनस एवं SDPI के सदस्यों के खातों की डिटेल माँगी गई है।
आपको बता दें कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया एक उग्र इस्लामी कट्टरपंथी संगठन है जिसे पिछले ही वर्ष झारखंड में प्रतिबंधित किया गया था। ये कदम राज्य सरकार ने इस संगठन के राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की शिकायत के बाद उठाया था। झारखंड सरकार ने माना था कि पीएफआई एक ऐसा संगठन है जो आतंकवादी संगठन आईएस से प्रभावित है। केरल में भी इस संगठन को प्रतिबंधित करने को लेकर वर्ष 2018 में काफी बवाल हुआ था। हालाँकि, विरोध के बाद राज्य सरकार ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने से साफ इनकार कर दिया था।
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का गठन वर्ष 2006 में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट के सफल होने के बाद किया गया था। धीरे-धीरे इस संगठन से दूसरे कट्टरवादी सोच रखने वाले संगठन भी जुड़ते चले गए। वर्तमान में पीएफआई का असर 16 राज्यों में है और 15 से ज्यादा मुस्लिम संगठन इससे जुड़े हुए हैं। पीएफआई की एक महिला विंग भी है। यूपी और असम में हिंसक प्रदर्शनों में शामिल रहने से पहले भी यह संगठन कई तरह की गैर कानूनी गतिविधियों में शामिल रहा है।