1991 के बाद पहली बार! हाई कोर्ट के किसी वर्तमान जज पर CBI ने किया केस दर्ज, खुद CJI ने दी थी अनुमति

प्रतीकात्मक तस्वीर

केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) ने एक निजी मेडिकल कॉलेज प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (PIMS) में छात्रों को दाखिले में कथित गड़बड़ी के संबंध में दिल्ली और लखनऊ में कई जगहों पर छापे मारे। इस संबंध में एजेंसी की ओर से शुक्रवार (दिसंबर 6, 2019) को जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि एजेंसी ने निजी चिकित्सा संस्थान में दाखिले में अनियमितताओं के संबंध में रिश्वत सहित अन्य आरोपों में भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की संबंधित धाराओं के तहत सात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

इस मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस एन शुक्ला को भी नामजद किया है और उनके लखनऊ स्थित आवास पर छापेमारी की गई है। अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि एजेंसी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के न्यायाधीश शुक्ला के साथ छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आई एम कुद्दूसी, PIMS के बीपी यादव और पलाश यादव और सुधीर गिरि को भी मामले में नामजद किया है।

सीबीआई ने कहा कि उसने लखनऊ, मेरठ और दिल्ली में न्यायमूर्ति शुक्ला सहित सभी सात अभियुक्तों के परिसरों में कई बार छापेमारी की। इस दौरान जाँच एजेंसी ने संपत्ति से जुड़े कई दस्तावेज बरामद किए। उच्चतम न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने 31 जुलाई 2019 को आदेश जारी कर सीबीआई को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कार्यरत न्यायमूर्ति एसएन शुक्ला के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मुकदमा दर्ज करने की अनुमति दी थी। जिसके बाद 4 दिसंबर को एसएन शुक्ला के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया था।

बता दें कि 1991 के बाद यह यह पहला मामला है जब सीजेआई ने एक जाँच एजेंसी को किसी कार्यरत न्यायमूर्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति दी। इन पर प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के पक्ष में निर्णय देने के लिए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। न्यायमूर्ति शुक्ला पर छात्रों के प्रवेश की समय सीमा बढ़ाने, मौजूदा नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाकर PIMS का पक्ष लेने का आरोप है।

एजेंसी ने इससे पहले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आई एम कुद्दुसी को सितंबर 2017 में पहली एफआईआर दर्ज करने के एक दिन बाद गिरफ्तार किया था। यह मुकदमा जनवरी 2020 में शुरू होने की संभावना है। सीबीआई के अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि न्यायमूर्ति कुद्दुसी ने एक निजी व्यक्ति के साथ 25 अगस्त, 2017 को लखनऊ में अपने निवास पर न्यायमूर्ति शुक्ला से मुलाकात की और इस दौरान उन्हें अनैतिक लाभ पहुँचाया गया।

एफआईआर में कहा गया है कि मामले पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले में अंतर आने पर बीपी यादव ने न्यायमूर्ति शुक्ला को पहुँचाए गए अनैतिक लाभ को वापस पाने के लिए आई एम कुद्दुसी का सहारा लिया। इसके बाद कुद्दुसी ने जस्टिस शुक्ला से अनैतिक लाभ की वापसी के लिए संपर्क किया और इसका एक हिस्सा वापस कर दिया गया। इसके अलावा एफआईआर में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रिट याचिका को वापस लेने के लिए अभियुक्तों के बीच एक साजिश रची गई थी।

उल्लेखनीय है कि यह मेडिकल कॉलेज समाजवादी पार्टी के नेता बीपी यादव और पलाश यादव का है। 2017 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने मेडिकल संस्थान का निरीक्षण किया था। इस दौरान यहाँ बुनियादी सुविधाएँ कम पाई गई और मेडिकल की पढ़ाई के मानक भी पूरे नहीं हो रहे थे। जिसके बाद आदेश के तहत प्रसाद इंस्टिट्यूट समेत देश के 46 मेडिकल कॉलेजों में मानक पूरे न करने पर नए प्रवेशों पर रोक लगा दी गई थी।

नए प्रवेश पर रोक लगाए जाने के बाद प्रसाद इंस्टिट्यूट की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने मेडिकल कॉलेजों को राहत नहीं दी थी। इसके बाद प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। इस याचिका पर जस्टिस एसएन शुक्ला की बेंच ने सुनवाई की। जस्टिस एसएन शुक्ला ने सुनवाई के बाद प्रसाद इंस्टिट्यूट को नए प्रवेश लेने की अनुमति दे दी। इस फैसले को लेकर अन्य मेडिकल कॉलेजों के बीच हड़कंप मच गया। तभी से जस्टिस शुक्ला पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे थे।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया