ईसाइयों का लव जिहाद ऐसे: हिंदू लड़की को 4 महीने के भीतर आशीष से 2 बार करनी पड़ी शादी, फिर भी न धर्म बचा-न मिला परिवार

अपने पिता के घर में लव जिहाद पीड़िता आभा मिरे

तुझे हम लोग घर की बहू नहीं मानते। तू जब तक ईसाई नहीं बनेगी तुझे हम इस घर की बहू नहीं मानेंगे।

यह कहानी है आभा मिरे की। आभा छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की रहने वाली है। लव जिहाद की पीड़िता है। बिलासपुर का ही आशीष पात्रे हिंदू बनकर उसके संपर्क में आया। मंदिर में शादी की। फिर जबरन आभा का धर्म परिवर्तन करवाया। चर्च में दोबारा शादी की। लेकिन इससे भी आभा को टॉर्चर किया जाना नहीं रुका। आज वह 10 महीने की बच्ची के साथ अपने पिता के घर में रह रही है। लड़ रही है इस उम्मीद में कि एक दिन कानून उसे न्याय देगा। लेकिन, छत्तीसगढ़ पुलिस ने उसकी कहानी से धर्मांतरण और उसके नाम पर प्रताड़ना का चैप्टर ही गायब कर दिया है। इसे दहेज माँगने का सामान्य केस बना दिया है। आभा का दावा है कि इस मामले में भी आरोपितों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

फेसबुक से आशीष से हुआ संपर्क

आभा ने ऑपइंडिया को बताया, “आशीष फेसबुक के जरिए मेरे संपर्क में आया। मैं हिंदू हूँ। उसने भी खुद को हिंदू बताया था। 13 फरवरी 2019 को रायपुर के बैजनाथपारा स्थित आर्य समाज मंदिर में हमारी हिंदू परंपराओं के अनुसार शादी हुई। शादी के बाद मैं अपने ससुराल चली गई। वहाँ जाकर मुझे पता चला कि मेरे ससुराल वाले ईसाई बन चुके हैं। फिर ईसाई बनने के लिए वे मुझे प्रताड़ित करने लगे।”

पहली बार आर्य समाज मंदिर और दूसरी बार चर्च में हुई शादी की तस्वीरें और वीडियो ऑपइंडिया के पास उपलब्ध हैं।

आभा मिरे से आशीष ने पहली बार हिंदू बनकर मंदिर में की शादी

आभा का जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन किया गया। चर्च में आशीष के साथ उसकी दुबारा शादी भी करवाई गई। लेकिन इसके बाद भी ससुराल वालों ने उसे प्रताड़ित करना बंद नहीं किया। आभा ने ऑपइंडिया को बताया, “धर्म परिवर्तन करने के बाद मुझे चर्च जाने के लिए मारा-पीटा जाता था। गाली दी जाती थी। मुझे माँ-बाप से पैसे माँगकर लाने के लिए कहा जाता था। मेरे से 8 लाख रुपए की डिमांड की जा रही थी।” वह कहती है, “मेरे साथ ये सब इसलिए हुआ क्योंकि मैं हिंदू हूँ।”

हिंदू से कैसे ईसाई बनाई गई आभा

आभा ने बिलासपुर के आईजी और सिविल लाइन थाने में 22 दिसंबर 2021 को एक आवेदन दिया था। इसमें खुद के धर्मांतरण और प्रताड़ना के बारे में विस्तार से बताया है। इसके मुताबिक आर्य समाज मंदिर में शादी के एक सप्ताह बाद 26 फरवरी 2019 को उसकी सास विमला पात्रे ने उससे कहा, “तुझे हम लोग घर की बहू नहीं मानते। तू जब तक ईसाई धर्म नहीं अपनाएगी तुझे हम घर की बहू नहीं मानेंगे।” आभा के अनुसार इसके बाद धर्म परिवर्तन के लिए उस पर ससुर लक्ष्मण दास पात्रे, सास, पति और ननदें दबाव डालने लगीं। उसके साथ मारपीट की जाती। उसे गालियाँ दी जाती।

2019 के 23 मार्च को उसे जबर्दस्ती निपनिया नामक जगह पर ले जाया गया। वहाँ सुनील डेविड नाम के एक पास्टर के घर में उसे तीन दिनों तक बंधक बनाकर रखा गया। उससे जबर्दस्ती ईसाइयत से जुड़ी प्रार्थना करवाई जाती थी। उसकी मर्जी के बगैर ही निपनिया के गॉड्स फॉरगिवनेस चर्च में उसका बपतिस्मा कराया गया। इसके बाद 15 मई 2019 को जरहाभाठा के ओमनगर स्थित आईपीसी चर्च में उसकी आशीष के साथ दोबारा शादी करवाई गई।

दूसरी बार चर्च में आशीष के साथ आभा मिरे की करवाई गई शादी

जबर्दस्ती ईसाई बनाने के बाद भी करते रहे टॉर्चर

आभा के अनुसार इन सबके बाद भी जब प्रताड़ना बंद नहीं हुई तो वह 2020 में अपने मायके आ गई। जनवरी 2021 में आशीष ने एक बार फिर उसे अपने झाँसे में लिया। उसके साथ जो कुछ हुआ उसके लिए माफी माँगी और जल्द ही घर ले जाने का वादा किया। इस दौरान उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। मार्च 2021 में जब आभा के गर्भवती होने का पता चला तो उसने फिर से पल्ला झाड़ लिया। आभा के अनुसार, “आशीष ने कहा मैं तेरे बच्चे का पिता नहीं हूँ। मैं तो तुझे पहले ही छोड़ चुका हूँ।”

आभा का दावा है कि आशीष के कुछ और लड़कियों से भी संबंध है। उसने बाद में महिला थाना में 11 जून 2022 को भी एक शिकायत दी थी, जिसके आधार पर दहेज मामले की एफआईआर दर्ज की गई है। आभा द्वारा पुलिस अधिकारियों को दिए गए सभी आवेदनों और एफआईआर की कॉपी ऑपइंडिया के पास हैं।

उसने ऑपइंडिया से कहा, “मैं अपनी कहानी दुनिया को इसलिए बताना चाहती हूँ कि हिंदू लड़कियाँ सतर्क रहें। उन्हें पता चले कि वे किस खतरे में जी रही हैं। उन्हें शिकार बनाने के लिए कैसी साजिशें हो रही हैं। मैं पढ़ी-लिखी होकर भी बेवकूफ बन गई।”

आए दिन ऐसे मामले सामने आते रहते हैं जब मुस्लिम लड़के अपनी पहचान छिपाकर हिंदू लड़कियों को टारगेट करते हैं। छत्तीसगढ़ में ईसाई भी ऐसा कर रहे हैं। उनके साथ सहूलियत यह भी है कि धर्म परिवर्तन के बावजूद ज्यादातर के नाम हिंदुओं जैसे हैं। उन्हें अपनी फर्जी पहचान गढ़ने की जरूरत नहीं होती। जैसा कि आभा बताती है, “वह सौभाग्यशाली है कि ऐसे समय में भी माँ-बाप ने उसका साथ नहीं छोड़ा।” लेकिन, हम जानते हैं कि ऐसी बहुत सारी आभा हैं जिनकी कहानी किसी सूटकेस में लाश के रूप में बंद मिलती हैं या फिर वह प्रताड़नाओं तले सिसकती रहती हैं। उन्हें कभी आवाज नहीं मिलती। आभा चाहती है कि उसकी आवाज आप तक पहुँचे।

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