‘स्वामी’ चक्रपाणि की बकैती पर काशी विद्वत परिषद के मंत्री का बयान, जिसका मन होता है लाल कपड़ा पहनकर खुद को हिन्दू महासभा का अध्यक्ष बता देता है

सिर्फ 'दी प्रिंट' जैसे मीडिया गिरोह ही चक्रपाणि जैसे पाखंडियों की बात को गंभीरता से लेते हैं।

अक्सर देखा जाता है कि भारतीय मीडिया हिन्दू विरोध से लेकर हिन्दुओं की धार्मिक आस्था का मजाक बनाने का एक भी मौका नहीं छोड़ना चाहता है। सोशल मीडिया के दौर में मीडिया को ऐसे अवसर बहुत मिल जाते हैं और मीडिया को उसे सनसनी बनाते देर नहीं लगती। इस बार मीडिया द्वारा तैयार की गई सनसनी का नाम है- चक्रपाणि महाराज।

मीडिया द्वारा चक्रपाणि महाराज नाम के किसी व्यक्ति को लगातार हिन्दू महासभा के अध्यक्ष के रूप में सम्बोधित किया गया है। लेकिन काशी विद्वत परिषद की इस बारे में राय कुछ और ही है। ऑपइंडिया ने चक्रपाणि महराज की वास्तविकता जानने के लिए जब काशी विद्वत परिषद के डॉ. रामनारायण द्विवेदी से सम्पर्क किया तो उन्होंने चक्रपाणि महाराज को स्पष्ट शब्दों में तथाकथित महात्मा बताया।

ऑपइंडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “ये गाजीपुर के रहने वाले श्रीवास्तव जी हैं, ये चक्रपाणि महराज कब और कैसे बन गए किसी को पता नहीं। इसी प्रकार से कई तथाकथित संत हमारे धर्म और हिंदुत्व को बदनाम करते आए हैं। गोमूत्र निश्चित रूप से कई सारी व्याधियों से सुरक्षा करता है। लेकिन कोरोना वायरस के उपचार जैसी बातें कर के इसका उपहास करना, हमें इस तरह से, इस तरह की हल्की बातें और मजाक करने से बचाना चाहिए। उनके पास ऐसी बात कहने का क्या आधार है? उन्हें बताना चाहिए अगर इस तरह की कोई रिसर्च उन्होंने की है और उसके बाद उन्होंने यह बात कही हो। इस तरह के ढोंगी लोगों से हमारे देश के लोगों को सावधान रहने की जरूरत है।”

उन्होंने कहा कि वो प्रधानमंत्री मोदी को भी इस सम्बन्ध में पत्र लिखने जा रहे हैं कि देश में जिसे मन होता है वो अपने नाम के साथ संत लगाकर देश में अनाचार-कदाचार फैलाते हैं, इन पर भी प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे फर्जी संतों से हिंदुत्व की बदनामी को रोकने के लिए जरुरी है कि इन तथाकथित संतों का भी प्रमाण पात्र हो, उनका अखाड़ा क्या है, उन्होंने किस परम्परा से दीक्षा ली है, इन सभी बातों की जानकारी के बाद ही कोई निर्णय लिया जाना चाहिए।

डॉ. द्विवेदी ने कठोर शब्दों में कहा कि जिसका मन हो रहा है वो लाल कपड़ा पहनकर संत बन रहा है और बाद में पूरा हिन्दू समाज बदनाम हो रहा है। प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी वर्तमान में काशी विद्वत परिषद में मंत्री हैं और इसके साथ ही काशी विश्वविद्यालय में संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में प्रोफेसर के पद पर हैं।

एक अन्य कार्यकर्ता ने बताया कि चक्रपाणि महाराज जैसे ही कुछ लोगों के कारण हिन्दू महासभा अलग-अलग गुटों में बँट रही है और सभी खुद को महासभा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने को लेकर झगड़ा करते रहे हैं।

वास्तव में चक्रपाणि महाराज जैसी हस्तियाँ सिर्फ वामपंथी मीडिया की ही खोज हुआ करती हैं। क्योंकि ऐसे लोग इनके मकसद को, जिसमें कि हिंदुत्व की गरिमा को ठेस पहुँचाना सबसे ऊपर है, साधने में इनकी मदद करते हैं। चक्रपाणि महाराज की वास्तविकता पर अक्सर प्रश्नचिन्ह लगते रहे हैं। सोशल मीडिया पर उन्हें समाजवादी पार्टी का एजेंट भी बताया जाता है, हालाँकि, ऐसे आरोपों पर एक ही बार में यकीन करना भी उचित नहीं है लेकिन फिर वामपंथी मीडिया गिरोह भी इसी प्रणाली पर काम करते देखे जाते हैं, यानी बेहद अप्रासंगिक से किसी एक व्यक्ति के वाहियात से मत को भुनाने का! इनका उद्देश्य सिर्फ एक ही होता है- अपने हिन्दू विरोधी प्रोपेगैंडा को हवा देना।

आमतौर पर हिंदुत्व के साथ ही तमाम हिन्दू साधुओं को नकारने वाले वामपंथी मीडिया गिरोह चक्रपाणि महाराज जैसे पाखंडियों की ओर दौड़े-दौड़े फिरते हैं, जिसका उदाहरण दी प्रिंट जैसे तमाम अन्य मीडिया गिरोह हैं।

दरअसल दी प्रिंट के साथ ही कुछ अन्य मीडिया गिरोहों ने भी कोरोना वायरस पर चक्रपाणि महाराज को हिन्दू महासभा का अध्यक्ष बताते हुए खबर प्रकाशित की है कि वो कोरोना से लड़ने के लिए गोमूत्र पार्टी करने जा रहे हैं, जिससे कि कोरोना वायरस से उपचार मिल सकेगा। इसमें दावा किया गया है कि इस पार्टी में गाय के गोबर से बना केक काटा जाएगा।

https://twitter.com/KanchanGupta/status/1234885004079116289?ref_src=twsrc%5Etfw

वामपंथी प्रोपेगैंडा मीडिया के इस कारनामे में उनका साथ देने के लिए एक पूरी बटालियन हर समय तैयार रहती है –

चक्रपाणि महाराज के चुटकुलों को गंभीरता से लेने वाले कम से कम 2 मीडिया गिरोह तो रोजाना तत्परता से अपने काम में लगे हैं –

सोशल मीडिया पर रोज ही लोग दी प्रिंट के इस फर्जी खबर पर स्पष्टीकरण देते हुए देखे जाते हैं कि यह चक्रपाणि महाराज मात्र एक पाखंडी और ढोंगी है, जिसे कि हिन्दू महासभा पहले ही नकार चुकी है। इसके बावजूद भी मीडिया उसे हिन्दू महसभा का अध्यक्ष बताते हुए ही खबर प्रकाशित कर रहा है। क्योंकि वह भी जानता है कि बिना हिन्दू महसभा के साथ इस नाम को जोड़े, चक्रपाणि की बात इतनी गंभीर नहीं है कि उसे लेकर एक रिपोर्ट ही प्रकाशित कर दी जाए। लेकिन मीडिया प्रमुखों का वास्तविक मकसद हिंदुत्व और उससे जुड़ी संस्थाओं की छवि को नुकसान पहुँचाना मात्र है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया