‘ईसाइयों का कभी नहीं हो सकता भारत से सफाया’: केरल कैथोलिक बिशप क्लेमिस के बोल, मणिपुर हिंसा पर PM से कहा- चुप्पी तोड़ो

आर्कबिशप क्लेेमिस (साभार: सोशल मीडिया)

पिछले ढाई महीनों से पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा है। इसमें अब केरल का ईसाई संगठन कूद पड़ा है। केरल कैथोलिक बिशप काउंसिल (KCBC) के अध्यक्ष कार्डिनल मार बेसिलियोस क्लेमिस ने इस धार्मिक चश्मे से देखते हुए कहा कि किसी को ये नहीं सोचना चाहिए कि वह भारत से ईसाई धर्म को खत्म कर सकता है।

साइरो-मलंकारा कैथोलिक चर्च के आर्कबिशप क्लेमिस (Cardinal Mar Baselios Cleemis) ने रविवार (9 जुलाई 2023) को केरल में कही। दरअसल, मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर कॉन्ग्रेस विधायक के नेतृत्व में एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया था। केरल में आयोजित इस विरोध प्रदर्शन में आर्कबिशप बोल रहे थे।

क्लेमिस ने केंद्र सरकार से पूछा कि मणिपुर में दो समुदायों के बीच 65 दिनों से दंगे हो रहे हैं, लेकिन जो सरकार सर्जिकल स्ट्राइक करने के लिए जानी जाती है, वह इन दंगों को नियंत्रित करने में सक्षम क्यों नहीं है। केरल के अन्य ईसाई बिशपों ने इस मामले में केंद्र की मोदी सरकार से हस्तक्षेप करने की माँग की है।

आर्कबिशप क्लेमिस ने कहा, “हमारे संविधान में लिखा धर्मनिरपेक्षता कोई सजावटी शब्द नहीं है, बल्कि एक अधिनियमित दर्शन है। हमारा महान संविधान ,जो किसी भी धर्म को मानने और आचरण करने का अधिकार देता है, उसे छुपाया क्यों जा रहा है? मणिपुर में शांति बहाल करने में हस्तक्षेप करना चाहिए।”

एर्नाकुलम जिले के मुवत्तुपझा में कॉन्ग्रेस विधायक मैथ्यू कुझालनदान द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन में बोलते हुए क्लेमिस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए। पीएम मोदी के लिए यह दुनिया को संदेश देने का सबसे अच्छा मौका है कि भारत में लोकतंत्र कायम है।

बताते चलें कि मणिपुर में मेइती समुदाय अपने लिए अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जा देने की माँग कर रहा है। इस माँग को लेकर उसने 3 मई 2023 को आदिवासी आदिवासी एकजुटता मार्च निकाला गया था। इसके बाद राज्य में हिंसा भड़क उठी।

आदिवासी कुकी और मेइती समुदाय आमने-सामने आ गए और एक-दूसरे को निशाना बनाना शुरू कर दिया। इस हिंसा में अब तक लगभग 125 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 3000 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। हिंसा को देखते हुए हजारों परिवार अपने घरों से विस्थापित हो गए हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया