ताहिर हुसैन के गुंडों से बचा नाबालिग: दंगाइयों ने हमें पकड़ा, मैं हाथ छुड़ा भागा… पीछे देखा तो तीनों गायब थे

ताहिर हुसैन (दाएँ) की बहुमंजिला इमारत (बाएँ) से बमबारी करते दंगाई

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंदू विरोधी दंगों में जो लोग मारे गए उनके घरों में चीख-पुकार मची हुई है। जो इस हिंसा की चपेट में तो आए, लेकिन किसी भी तरह से जिंदा बच गए वह उस पल को याद कर बार-बार बदहवास हो जाते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है उस नाबालिग लड़के की, जिसने IB के अंकित शर्मा के साथ दो लोगों को घसीटकर ताहिर हुसैन के घर ले जाते दंगाइयों को देखा। दंगाइयों ने इस नाबलिग को भी पकड़ लिया था। लेकिन वह भागने में कामयाब रहा और जब पीछे मुड़कर देखा तो तीनों गायब थे। इतना बताते ही वह आगे कुछ बोल नहीं पाता है और फूट-फूट कर रोने लगता है।

दंगाइयों के चुंगल से छूटकर भागा (चौथा पाड़ित) नाबालिग लड़का रोते-बिलखते हुए ऑपइंडिया को बताता है, “चाँदबाग में हिंसा भड़क रही थी। दंगाइयों की भीड़ बड़ी संख्या में ताहिर हुसैन के मकान के पास इकट्ठा हो रही थी। दंगाइयों ने शिव मंदिर पर हमला कर दिया इससे कुछ हिंदुओं में उबाल आया, लेकिन मुस्लिमों की भीड़ को देखकर कोई उन पर वार करने की हिम्मत तक नहीं जुटा सका। इसी बीच ड्यूटी से लौट रहे अंकित शर्मा ने देखा तो वह चाँदबाग का दृश्य को देख दंग रह गए। उन्होंने दंगों के बीच जिसे भी देखा बस यही क्या ‘तुम लोग क्या कर रहे हो आप हम सबको यहीं रहना है।’ इसके बाद भी दंगाई न तो सुनने को तैयार थे और न ही किसी की बात मानने को। अंकित शर्मा लोगों को समझाते हुए चाँदबाग से करावल नगर की ओर आगे बढ़ गए। उनके साथ और भी लोग थे, जिसमें मैं भी शामिल था।”

चश्मदीद(नाबालिग लड़के) के मुताबिक, “अंकित शर्मा और उनके साथ कुछ लोग ताहिर के मकान के पास पहुँचे ही थे कि दंगाइयों की भीड़ झपट पड़ी। हमें ताहिर के घर में खींचने की कोशिश की। इस बीच मैंने अपना हाथ झटके से छुड़ा लिया और वहाँ से दौड़ पड़ा। दंगाई अंकित शर्मा के साथ दो और लोगों को घर की खींच ले गए। मैंने पीछे मुड़कर देखा तो वह तीनों ग़ायब थे। मुझे तभी अहसास हो गया था कि अब वह लौटकर नहीं आएँगे। मैं किसी भी तरह वहाँ से भाग कर अपने घर पहुँच गया और अपने घर का दरवाजे को बंद कर लिया।” उस पल को याद करते ही नाबालिग सिहर उठा और रोने लगा।

नाबालिग ने बताया कि अंकित से उसकी कोई जान-पहचान नहीं थी। लेकिन, वह जानता था कि वे कौन हैं और क्या काम करते हैं। इसलिए जब वे दंगाइयों को समझाने निकले तो वह भी साथ हो गया। लेकिन, उस घटना के बाद से नाबालिग और उसका परिवार काफी भयभीत है। वे लोग घर से निकल पाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे। उन्हें खौफ है कि यदि उनकी पहचान सार्वजनिक हो गई तो अब भी दंगाई उन्हें मार डालेंगे। नाबालिग ने रोते हुए बताय वे मेरे सामने तीन लोगों को खींच ले गए और मैं कुछ नहीं कर सका। अंकित शर्मा का शव तो नाले से बरामद किया जा चुका है। उन्हें किस कदर प्रताड़ित कर मारा गया यह भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट से सामने आ चुकी है। लेकिन, उनके साथ जिन दो और लोगों को दंगाई ताहिर के घर ले गए थे उनके साथ क्या हुआ होगा यह सोचकर ही सिहरन पैदा हो जाती है।

स्थानीय लोगों ने ऑपइंडिया को बताया कि ताहिर की इमारत में करीब तीन हजार गुंडे जमा थे। वहीं से हिंदुओं पर पत्थर और पेट्रोल बम फेंके गए। गोली चलाई गई। कुछ विडियो सामने आए हैं जिसमें ताहिर भी डंडे के साथ दिख रहा है। एफआईआर दर्ज होने के बाद आप का निगम पार्षद रहा ताहिर फरार है।

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रवि अग्रहरि: अपने बारे में का बताएँ गुरु, बस बनारसी हूँ, इसी में महादेव की कृपा है! बाकी राजनीति, कला, इतिहास, संस्कृति, फ़िल्म, मनोविज्ञान से लेकर ज्ञान-विज्ञान की किसी भी नामचीन परम्परा का विशेषज्ञ नहीं हूँ!