व्रत था, कहा- मुझे जल्दी जाना होगा… क्या पता था कि वो सदा के लिए चले जाएँगे

बलिदानी रतनलाल की पत्नी पूनम (साभार: पत्रिका)

उत्तर-पूर्वी दिल्ली के हिंदू विरोधी दंगों में अब 53 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। 200 से अधिक जख्मी हैं। दंगों दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल की भी जान चली गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट बताती है कि उन्हें गोली मारी गई थी।

रतनलाल की पत्नी पूनम ने बताया कि जिस दिन उनकी मौत हुई, उन्होंने सोमवार का व्रत रखा हुआ था। पत्रिका से बात करते हुए वो कहती हैं, “सुबह से भूखे थे। सुबह साढ़े आठ बजे घर से निकलते हुए उन्होंने कहा था कि उनके बॉस फील्ड में अकेले हैं। दंगे भड़क गए हैं। मुझे जल्दी जाना होगा…और चले गए। मुझे क्या पता था कि वो सदा के लिए चले जाएँगे। उस दिन उनकी तबीयत खराब थी, लेकिन फिर भी ड्यूटी चले गए।”

पूनम कहती हैं कि जब वह ड्यूटी पर गए तो उन्होंने खैरियत जानने के लिए उनको फोन भी किया था। लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। उसके बाद उनका फोन बंद आने लगा। दोपहर बाद जैसे ही रतनलाल की पत्नी ने टीवी पर हेडलाइन देखी तो बेहोश हो गईं। लोगों ने उन्हें दिलासा दिलाने की कोशिश की कि चोटें लगी हैं, मगर कुछ ही समय में पुष्टि हो गई कि अब रतनलाल इस दुनिया में नहीं रहे। इसके बाद उनके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।

बता दें कि रतनलाल ने घटना से दो दिन पहले ही माँ संतरा देवी व भाई दिनेश से फोन पर बात की थी। उन्होंने माँ से हाल-समाचार पूछने के साथ ही इस बार होली पर गाँव आने का वादा किया था, लेकिन बेबस माँ को क्या पता था कि उनकी बेटे से आखिरी बार बात हो रही है। रतनलाल का कभी किसी से लड़ाई-झगड़े की बात तो दूर, ‘तू तू मैं मैं’ से भी वास्ता नहीं रहा। फिर भी उपद्रवियों ने उन्हें मार डाला और हँसते-खेलते परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।

बलिदानी रतनलाल की पत्नी भावुक होते हुए कहती हैं कि वो अपने तीनों बच्चों को अब अकेले कैसे सँभालेंगी? 42 वर्षीय रतनलाल परिवार में कमाने वाले इकलौते सदस्य थे। वे मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले थे और 1998 में दिल्ली पुलिस में बहाल हुए थे।

24 फरवरी को चॉंदबाग इलाके में हुई हिंसा में रतनलाल की मौत हुई थी। कुछ विडियो सामने आए हैं जो इस हिंसा के सोची-समझी साजिश होने की गवाही देते हैं। विडियो में हिंसा भड़कने से पहले कुछ लोग सीसीटीवी को तोड़ते साफ तौर पर दिखाई पड़ते हैं। इसके बाद पुलिस को कॉल कर बुलाया जाता है। डीसीपी अमित शर्मा, एसीपी अनुज, हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल व अन्य पुलिसकर्मी जब वहाँ पहुँचे, तो हिंसक भीड़ ने हमला कर दिया। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार सीसीटीवी फुटेज के आधार पर क्राइम ब्रांच हमलावरों की पहचान कर चुकी है। जल्द ही इनके गिरफ्त में होने की बात कही जा रही है।

इसी हमले में रतनलाल को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। एसीपी अनुज घायल हुए और डीसीपी अमित शर्मा को गंभीर चोटें आईं। हमले का जो विडियो सामने आया है उसमें दंगाई भीड़ दिल्ली पुलिस पर लाठी और पत्थर से हमला करती नजर आ रही है। भीड़ में शामिल बुर्का धारी महिलाएँ भी पुलिस पर हमला करते हुए नजर आती हैं। गोली चलने की आवाज भी सुनाई पड़ती है। डीसीपी अमित शर्मा की पत्नी ने भी कहा है कि उनके पति महिला प्रदर्शनकारियों से बात करने गए थे। लेकिन, वहॉं उन पर हमला कर दिया गया। एसीपी अनुज कुमार ने भी उस भीड़ की हिंसा के बारे में बताते हुए कहा था, “डीसीपी अमित शर्मा के मुँह से खून निकल रहा था। आँखें ऊपर की ओर हो चुकी थी। भीड़ 5-10 मीटर पर थी। हम पर पथराव हो रहा था। फिर मैंने जब डीसीपी को देखा तो आशाहीन हो गया। जैसे-तैसे मैंने खुद को सॅंभाला और डीसीपी को डिवाइडर पर लगी ग्रिल के उस पार किया।”

उन्होंने बताया था, “24 फरवरी को मैं शाहदरा के डीसीपी अमित शर्मा को जख्मी होने के बाद अस्पताल ले जा रहा था। इस दौरान भी प्रदर्शनकारी पथराव कर रहे थे और मुझे भी सिर पर चोट लगी। हमें नहीं पता था कि रतनलाल को गोली लग गई थी। हम रतनलाल को जीटीबी अस्पताल ले गए, जहाँ उसे बचाया नहीं किया जा सका और फिर बाद में हम डीसीपी को मैक्स अस्पताल में ले गए।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया