दिल्ली की एक अदालत ने साल 2020 के हिन्दू विरोधी दंगों में हत्या के एक मामले में 4 आरोपितों को बरी कर दिया है। बरी होने वाले आरोपितों के नाम अशोक, अजय, शुभम और जितेंद्र हैं। इन चारों पर अशफाक हुसैन और ज़ाकिर की हत्या करने का आरोप था। अपने फैसले में अदालत ने कहा कि पुलिस इस बात के ठोस सबूत नहीं दे पाई कि चारों आरोपित दंगाई भीड़ का हिस्सा थे। यह फैसला शुक्रवार (16 फरवरी, 2024) को सुनाया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मामला 25 फरवरी, 2020 का है। तब थाना क्षेत्र दयालपुर के अंतर्गत आने वाली बृजपुरी क्षेत्र में साम्प्रदायिक हिंसा के दौरान अशफाक हुसैन और ज़ाकिर नाम के 2 युवकों की हत्या हो गई थी। पुलिस ने इस मामले में 2 अलग-अलग FIR दर्ज की थी। इन FIR में अशोक, अजय, शुभम और जितेंद्र को आरोपित किया गया। जाँच के बाद विवेचक ने भी इन्हीं 4 आरोपितों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट भेजी। आखिरकार लगभग 4 साल बाद इस मामले की सुनवाई दिल्ली के नॉर्थ ईस्ट डिस्ट्रिक कोर्ट में पूरी हुई।
16 फरवरी को दोनों पक्षों की दलीलों के साथ तमाम सबूतों और गवाहों के आधार पर सेशन जज पुलत्स्य प्रमाचला ने अपना फैसला सुनाया। उन्होंने बताया कि पुलिस ऐसा कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाई है जिस से यह साबित हो रहा हो कि घटना के समय चारों आरोपित वहाँ मौजूद थे। अदालत ने इस बात का भी जिक्र किया कि घटना के चश्मदीद गवाह ने भी बाद में आरोपों के विपरीत गवाही दी। हालाँकि, पुलिस ने कॉल डिटेल के साथ तलवारों व कपड़ों आदि की बरामदगी के आधार पर चारों आरोपितों को सजा देने की माँग की थी।
अदालत ने इन सबूतों को अजय, शुभम, अशोक और जितेंद्र को दंडित करने के लिए नाकाफी माना। टिप्पणी में कोर्ट ने यह कहा कि किसी के पास तलवार बरामद होने का अर्थ ये नहीं है कि उसी से मृतक की हत्या हुई हो। कपड़ों की बरामदगी के बारे में अदालत ने टिप्पणी में कहा कि अभियोजन पक्ष ने इन सबूतों की फॉरेंसिक जाँच नहीं करवाई थी। अंत में अदालत ने सभी 4 आरोपितों को पुलिस FIR में लगाए गए सभी आरोपों से बरी कर दिया।