गोरखपुर के अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत के मामले में यूपी सरकार ने डॉक्टर कफील खान को बर्खास्त कर दिया है। डॉक्टर कफील खान को पहले ही निलंबित किया जा चुका था। बता दें कि गोरखपुर के ‘बाबा राघव दास (BRD) हॉस्पिटल’ में अगस्त 2017 में ऑक्सीजन की कमी से 60 से अधिक बच्चों की मौत का मामला सामने आया था। इस मामले में डॉक्टर कफील खान पर लगे आरोपों की जाँच के लिए एक समिति का गठन किया गया था।
अब राज्य की चिकित्सा शिक्षा विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें बर्खास्त किए जाने का आदेश दिया है। अपने निलंबन के विरुद्ध डॉक्टर कफील खान ने ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA)’ का दरवाजा खटखटाया था। उन्हें मिला कर इस मामले में कुल 9 लोगों पर आरोप हैं। 24 फरवरी, 2020 को राज्य सरकार ने दोबारा विभागीय जाँच के आदेश जारी किए थे, लेकिन उसे अगस्त 2021 में वापस ले लिया गया था। 15 अप्रैल, 2019 को जाँच अधिकारी की रिपोर्ट दायर हुई थी।
डॉक्टर कफील खान पर भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोप लगे थे। डॉक्टर कफील खान इस मामले में जेल भी जा चुके हैं। वो CAA और NRC के विरुद्ध हुए विरोध प्रदर्शनों में भी खासे सक्रिय रहे थे और शाहीन बाग़ जैसे उपद्रवों में हिस्सा लिया था। जब गोरखपुर के BRD अस्पताल में ये घटना हुई थी, तब योगी सरकार को सत्ता में आए 5 महीने ही हुए थे। सस्पेंशन के बाद डॉ. कफील को डीजीएमई के दफ्तर से अटैच कर दिया गया था। डॉक्टर कफील खान फिर हाईकोर्ट पहुँचे।
बता दें कि विभागीय जाँच की रिपोर्ट लोक सेवा आयोग को भेजी गई, जिसके आधार पर आयोग ने डॉक्टर कफील को बरख़ास्त कर दिया। अब डॉक्टर कफील खान ने इसके खिलाफ अदालत में अपील करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि मामला उच्च-न्यायालय में चल रहा है और 17 दिसंबर, 2021 को सुनवाई की अगली तारीख़ है। बता दें कि योगी सरकार के प्रयासों के कारण राज्य में इंसेफ्लाइटिस पर काबू पाने में बड़ी सफलता मिली है। डॉक्टर कफील खान पहले इन्सेफेलाइटिस वार्ड के नोडल ऑफिसर थे।
गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के मामले में आरोपी डॉ. कफील खान पर हुई कार्रवाई, कफील को किया गया बर्खास्त। ये कार्रवाई चिकित्सा शिक्षा विभाग ने की है। अगस्त 2017 में ऑक्सीजन की कमी से हुई थी 60 से ज्यादा बच्चों की मौत।#Gorakhpur #KafeelKhan #ब्रेकिंग_यूपीतक pic.twitter.com/KyvyljjNvI
— UP Tak (@UPTakOfficial) November 11, 2021
साथ ही उन पर सरकारी नौकरी से इतर प्राइवेट प्रैक्टिस करने के भी आरोप लगे थे। उन्हें निलंबित हुए 4 वर्ष हो गए हैं। शाहीन बाग़ जैसे अन्य आंदोलन खड़ा करने के आरोप में यूपी एसटीएफ ने भी उन्हें गिरफ्तार किया था। साथ ही उन पर ‘अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU)’ में घृणास्पद भाषण देने के आरोप भी हैं। डॉक्टर कफील खान अक्सर वामपंथी मीडिया के जरिए मोदी सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार करते रहते हैं। सोशल मीडिया पर भी वो खासे सक्रिय हैं।