‘राजीव गाँधी की तरह होनी थी PM मोदी की हत्या, लोकतंत्र खत्म करने की साजिश’: एल्गार परिषद केस में बेल से कोर्ट का इनकार

तीनों आरोपित सागर गोरखे (Sagar Gorkhe), रमेश गाईचोर (Ramesh Gaichor) और ज्योति प्रताप (Jyoti Jagtap) (फाइल फोटो)

महाराष्ट्र (Maharashtra) के पुणे की एल्गार परिषद (Elgar Parishad) के नक्सलियों से लिंक के मामले में सुनवाई करते हुए मुंबई में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने तीन आरोपितों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट कहा कि मौजूद तथ्यों से स्पष्ट है कि तीनों ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के साथ मिलकर देश में अशांति फैलाने और PM मोदी की हत्या करने की गंभीर साजिश रची थी।

NIA कोर्ट के स्पेशल जस्टिस डीई कोठालीकर ने जिन तीन लोगों को जमानत देने से इनकार कर दिया वो सागर गोरखे, रमेश गायचोर और ज्योति जगताप हैं। कोर्ट में पेश किए गए एक पत्र में बताया गया है कि सीपीआई (एम) ‘मोदी राज’ को किसी भी सूरत में खत्म करना चाहता था। अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो को निशाना बनाकर पूर्व पीएम राजीव गाँधी के हत्या जैसी एक और घटना को अंजाम देने की फिराक में थे।

गुरुवार (17 फरवरी 2022) को जारी किए गए विस्तृत आदेश में कोर्ट ने कहा, “रिकॉर्ड पर रखे गए पत्रों और दस्तावेजों से प्रथम दृष्टया यह पता लगता है कि प्रतिबंधित संगठन के लोगों के साथ मिलकर आवेदकों ने देशभर में अशांति पैदा करने और सरकार को राजनीतिक रूप से सत्ता से हटाने के लिए गंभीर साजिश रची थी।”

रिकॉर्ड से ये स्पष्ट होता है कि तीनों आरोपित सागर गोरखे (Sagar Gorkhe), रमेश गाईचोर (Ramesh Gaichor) और ज्योति प्रताप (Jyoti Jagtap) न केवल सीपीएम के मेंबर थे, बल्कि ये उन कार्यों में लिप्त थे, जो कि देश के लोकतंत्र को उखाड़ फेंकने के अलावा और कुछ नहीं है। बता दें कि तीनों आरोपित कबीर कला मंच से जुड़े थे।

कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर इन आरोपों को ध्यान में रखा जाए तो ये स्पष्ट हो जाता है कि इन लोगों ने देश की एकता, अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता को खतरे में डालने या संभावित रूप से खतरे में डालने के इरादे से कार्य किया है।

जेल में बंद याचिकाकर्ता पुणे के एल्गार परिषद के सम्मेलन में सक्रिय तौर पर शामिल थे और इन तीनों को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था, तभी से ये जेल की हवा खा रहे हैं।

क्या है मामला

गौरतलब है कि 31 दिसंबर 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में एल्गार परिषद सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसमें देश विरोधी और भड़काऊ भाषण दिए गए। इसके अगले ही दिन भीमा-कोरेगाँव युद्ध स्मारक के पास हिंसा की वारदात हुई। पुणे पुलिस ने दावा किया था कि इसमें नक्सलियों का हाथ था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया