बेअदबी के नाम पर पंजाब में बढ़ीं मॉब लिंचिंग की घटनाएँ: 6 साल में 5 बार हुई ऐसी वारदातें, सिखों ने सेना के जवान को भी नहीं छोड़ा

प्रतीकात्मक तस्वीर (साभार: द वीक)

पंजाब के अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) में 18 दिसंबर 2021 को श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी (Guru granth sahib sacrileg) के आरोप में सिख संगत (सिख भक्तों) द्वारा एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। सीसीटीवी फुटेज में देखा गया कि गर्भगृह में जहाँ पर गुरु ग्रंथ साहिब को रखा गया था, वहाँ चला गया। उसने वहाँ रखे कृपाण को उठा लिया। इस बीच सिख संगतों ने उसे पकड़ लिया और उसकी पीट-पीटकर हत्या कर दी। संगतों का आरोप था कि उक्त व्यक्ति ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने की कोशिश की थी।

व्यक्ति की हत्या करके उसे गुरुद्वारा परिसर के बाहर फेंक दिया गया, लेकिन हैरत की बात यह है कि इस मामले में पुलिस या राजनीतिक पार्टियों ने एक भी शब्द नहीं बोला। हालाँकि, ये कोई पहली बार नहीं है जब गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के आरोप में किसी की मॉब लिंचिंग की गई हो। हाल के दिनों में इस तरह की कई लिंचिंग हो चुकी हैं।

सिंघू बॉर्डर लिंचिंग केस (Singhu border lynching case)

सिंघू बॉर्डर किसान प्रदर्शन स्थल पर श्री गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी के आरोप में 14 -15 अक्टूबर 2021 को पंजाब के ही रहने वाले लखबीर सिंह नाम के व्यक्ति की सिखों ने बेरहमी से हत्या कर दी थी। उसका दाहिना हाथ काट दिया गया था और उसके शव को निहंगों ने कुंडली सीमा पर एक बैरिकेड्स पर लटका दिया था।

हालाँकि, लखबीर सिंह (दलित सिख) की मौत को लेकर अभी भी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि आखिर वो अपने परिवार को बताए बिना कैसे सिंघू बॉर्डर पर चला गया था। बहरहाल, इस मामले में कई गिरफ्तारियाँ भी की गई थीं। निहंग सिखों के इस कृत्य का कई लोगों ने समर्थन करते हुए दावा किया था कि सरकारें उनकी पवित्र पुस्तकों की बेअदबी करने के आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रही है।

गुरदासपुर लिंचिंग केस (Gurudaspur lynching case)

इसी तरह से 1 और 2 जुलाई 2021 की मध्यरात्रि को पंजाब के गुरदासपुर (Gurudaspur) में एक गाँव में एक गुरुद्वारे में सेना के जवान दीपक कुमार की मॉब लिंचिंग कर दी गई थी। दीपक पर भी श्री गुरु ग्रंथ साहिब की कथित बेअदबी का आरोप लगाया गया था। वारदात के बाद पुलिस ने इस मामले में दलजीत सिंह कश्मीर उर्फ ​​बॉबी समेत अन्य को मुख्य आरोपित बनाया था। वहीं दमदमी टकसाल जत्था राजपुरा, अभिनेता से कार्यकर्ता और गणतंत्र दिवस दंगों के आरोपित दीप सिंधु समेत कई और लोगों ने उसका समर्थन करते हुए मॉब लिंचिंग को सही ठहराया था।

सीसीटीवी फुटेज से पता चला था कि दीपक सिंह गलत बस स्टॉप पर बस से उतर गए थे। उन्हें प्यास लगी थी तो वे वहीं पास में स्थित गुरुद्वारा लाल सिंह कुल्ली वाले में पानी पीने के लिए चले गए। एसपी हरविंदर सिंह के मुताबिक, गुरुद्वारे के ग्रंथी जसपिंदर सिंह ने उसे परिसर के अंदर देख वहाँ से जाने के लिए कहा और वो वहाँ से बाहर आ गया। लेकिन बाद में मुख्य आरोपित दलजीत सिंह समेत गुरुद्वारे के अन्य लोगों ने बेअदबी के आरोप में दीपक सिंह की पीट-पीट कर अधमरा कर दिया।

सीसीटीवी फुटेज में ये भी देखा जा सकता था कि जसपिंदर सिंह और दलजीत सिंह कश्मीरी गुरुद्वारा तहल सिंह के सामने दीपक को थप्पड़ मार रहे थे। फुटेज के मुताबिक, दीपक सड़क के किनारे खड़े थे उसी दौरान बाइक से वहाँ पहुँचे आरोपित ने उनके साथ मारपीट की। उसे खींचकर गुरुद्वारे के अंदर ले गए और उसे बेरहमी से पीटा। गुरजीत सिंह, हरजीत कौर और दारकीरत सिंह तीनों एक ही परिवार के हैं और तिबरी चौक स्थित गुरुद्वारे की जिम्मेदारी इन्हीं के पास है। दीपक की हत्या के मामले में एक किशोर समेत सभी आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

बरगाड़ी बेअदबी के मुख्य आरोपित की जेल में हत्या

2015 के बरगाड़ी बेअदबी कांड के मुख्य आरोपित मोहिंदर पाल सिंह बिट्टू की 22 जून, 2019 को पटियाला के नाभा जेल में दो कैदियों ने ही हत्या कर दी थी। बिट्टू डेरा सच्चा सौदा का समर्थक भी था। जिन दो कैदियों ने उसकी हत्या की थी वो गुरसेवक सिंह और मनिंदर सिंह थे। आरोपितों ने उस पर रॉड से हमला कर उसकी हत्या कर दी थी। उसे अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन उसे मृत घोषित कर दिया गया था।

उल्लेखनीय है कि 49 वर्षीय मोहिंदर पाल बिट्टू पर 2015 में फरीदकोट जिले के बरगाड़ी में बेअदबी का आरोप लगाया गया था। बिट्टू को 9 जून 2018 को पंजाब पुलिस की एसआईटी ने कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने, अवैध हथियार रखने और गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया था।

घवड्डी बेअदबी मामले के मुख्य आरोपित की हत्या

ऐसी ही एक घटना 26 जुलाई 2016 को भी हुई थी, जब 47 वर्षीय बलविंदर कौर नाम की अमृतधारी सिख जैसे दिखने वाले दो बाइक सवार हमलावरों ने दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी थी। कौर अक्टूबर 2015 में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी मामले की मुख्य आरोपित थीं। हमलावरों ने उसके बेटे पर भी गोली चलाई थी, लेकिन निशाना चूक गया। वहीं वारदात को अंजाब देने वाले हमलावरों ने एक लेटर फेंक दिया था, जिसमें उन्होंने उसे बेअदबी का बदला बताया था।

सीसीटीवी फुटेज से दोनों हमलावरों की पहचान संगरूर के अमरगढ़ के गुरप्रीत सिंह जगोवाल और पटियाला के निहाल सिंह के तौर पर हुई थी। बाद में पुलिस ने खुलासा किया था कि माँ-बेटे को रिहैबिलिटेशन के बहाने बुलाया गया था।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक तत्कालीन पुलिस कमिश्नर जतिंदर सिंह औलख ने बताया था, “उन्होंने महिला को पैसे की मदद के बहाने गुरुद्वारे में बुलाया था। सुबह 8 बजे वो आई। करीब आधे पहले से उसका वहाँ इंतजार कर रहे जगोवाल और निहाल रंजोत के तिपहिया गाड़ी में बैठे और कुछ देर बाद देसी पिस्टल से महिला के सीने में गोली मार दी और दूसरी बाइक पर बैठ गए।

रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2015 में घवड्डी गुरुद्वारा में श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 20 अंग (ग्रंथ के पन्नों को अंग कहा जाता है) बिखरे हुए मिले थे। बाद में कौर ने कथित तौर पर पन्ने फाड़ने के अपने जुर्म को भी कबूल कर लिया। कुछ रिपोर्टों में यह भी दावा किया गया था कि महिला ने ऐसा ग्रंथी को फंसाने के लिए किया था।

महिला की मौत के बाद उसकी बेटी राजवंत कौर ने गाँव के सरपंच पर अपनी माँ को फंसाने का आरोप लगाया था। उसने कहा, “मेरी माँ एक अमृतधारी सिख थीं। एक महिला जिसने गुरुद्वारे की सेवा करते हुए सात साल बिताए, वह गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान कैसे कर सकती है? जाँच से बचने के लिए पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और जमानत पर छूटने के बाद सरपंच ने उसे गाँव में जाने से रोक दिया।”

देखा जाय तो साल 2015 के बाद से पंजाब में न केवल सिख, बल्कि दूसरे धर्मों के लोगों द्वारा भी बेअदबी के कई मामले सामने आए थे। लेकिन, श्री गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी का मामला बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। 2017 में चुनाव के दौरान पार्टयों ने भी इस मुद्दे को भुनाने की कोशिशें की थीं। कॉन्ग्रेस ने भी बेअदबी के मामलों को सुलझाने का वादा किया था, लेकिन वो ऐसा कर नहीं पाई। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आगामी चुनाव में भी बेअदबी बड़ा मामला रहेगा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया