नीरज चोपड़ा का बिहार कनेक्शन, जमुई के ‘सुदामा’ के लिए ‘कृष्ण’ बने भारत के गोल्डन बॉय, हैं कई जैवलिन प्लेयर्स के आदर्श

बिहार के जमुई के सुदामा कुमार यादव (बाएं) और नीरज चोपड़ा (दाएं) (फोटो : मिलाप/इकोनॉमिक टाइम्स)

हाल ही में संपन्न हुए टोक्यो ओलंपिक में ट्रैक एंड फील्ड अर्थात एथलेटिक्स इवेंट्स में भारत को पहली बार गोल्ड मेडल दिलाने वाले जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा वैसे तो हरियाणा के पानीपत के रहने वाले हैं, लेकिन उनका एक अनोखा संबंध बिहार के जमुई से भी है, जहाँ वो कभी गए भी नहीं।

पूरे बिहार में सबसे अधिक जैवलिन थ्रोअर की संख्या जमुई में ही है। यहाँ कई ऐसे जैवलिन थ्रोअर हैं, जो जूनियर प्रतियोगिताओं में मेडल जीत चुके हैं। इन्हीं में से एक हैं, जमुई के ही रहने वाले ‘सुदामा’ कुमार यादव, जो गोल्ड मेडल विजेता नीरज को अपना ‘कृष्ण’ मानते हैं। 2019 में जब सुदामा घायल हुए थे तब उन्हें सहायता मिलने में कठिनाई आ रही थी, ऐसे में नीरज ने उनकी न केवल सहायता की बल्कि उन्हें दोबारा भाला पकड़ने के लिए प्रेरित भी किया।

कर्नाटक के इंस्पायर इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स में प्रशिक्षण हासिल कर रहे सुदामा ने दैनिक जागरण से बातचीत करते हुए नीरज से अपने खास संबंध के बारे चर्चा की। दरअसल, हॉन्गकॉन्ग में 2019 में आयोजित यूथ एशियन चैंपियनशिप के दौरान सुदामा घायल हो गए थे और उनके लिगामेंट में समस्या आ गई थी। सुदामा के ऐसे कठिन समय में आगे आए नीरज चोपड़ा, जिन्होंने उनकी सहायता की और उन्हें दोबारा जैवलिन थ्रो में बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित भी किया। हालाँकि, पिछली कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद ने भी सुदामा की मदद करने का वादा किया था।

सुदामा ने कहा कि जमुई के जैवलिन थ्रो के खिलाडियों को यदि बेहतर सुविधाएँ मिलें तो वो भी कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में मेडल जीत सकते हैं। सुदामा खुद 2018 में अंडर-18 एज ग्रुप में वर्ल्ड की नंबर एक रैंकिंग हासिल कर चुके हैं। हॉन्गकॉन्ग में 2019 में आयोजित यूथ एशियन चैंपियनशिप में चोट के बावजूद उन्होंने 75.80 मीटर भाला फेंका था। जमुई की ही अंजनी कुमारी और मीनू सोरेन भी नीरज को अपना आदर्श मानती हैं। अंजनी अब तक 11 तो मीनू 9 मेडल जीत चुकी हैं। वहीं, जमुई के ही आशुतोष कुमार सिंह भाला फेंक में 21 मेडल जीत चुके हैं।

ज्ञात हो कि 07 अगस्त 2021 को भारत के स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने इतिहास रचते हुए टोक्यो ओलंपिक में देश को पहला गोल्ड मेडल दिलाया था। ट्रैक एंड फील्ड अर्थात एथलेटिक्स इवेंट्स में ओलंपिक के इतिहास में यह भारत का पहला गोल्ड मेडल था। हरियाणा के एक छोटे से गाँव से निकलकर भारत के लिए ओलंपिक जैसे खेल में मेडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा आज देश के कई युवा खिलाडियों के लिए प्रेरणास्तोत्र बन चुके हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया