मंदिर में तोड़फोड़, मूर्ति को पहनाई जूतों की माला… मजदूरों को जिंदा जलाने की कोशिश करने वाला मोहम्मद रफीक गुजरात दंगों में भी था एक्टिव

मजदूरों की झोपड़ियों को जलाने वाला रफीक दंगों के समय भी था एक्टिव (फोटो साभार: दिव्य भास्कर)

गुजरात के कच्छ जिले के अंजार में रविवार (17 मार्च 2024) को मजदूरी माँगने पर ठेकेदार मोहम्मद रफीक ने 12 मजदूरों को उनके परिवार सहित जिन्दा जलाने का प्रयास किया था। एक दर्जन झोपड़ियों में आग लगाने वाले मोहम्मद रफीक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। अब जाँच में रफीक के कई पुराने कारनामे भी सामने आए हैं। गुजरात में 2002 में हुए दंगों में सक्रिय रहे रफीक ने एक मंदिर में बजरंग बली की मूर्ति तोड़ कर जूतों की माला पहना दी थी। इस मामले में उसे सजा भी हो चुकी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कच्छ के अंजार में हिंदू मजदूरों की झोपड़ियों में जानबूझकर आग लगाने का आरोपित रफीक का आपराधिक रिकॉर्ड सामने आया है। साल 2002 में वह हिन्दू आस्था को ठेस पहुँचाने के एक केस में जेल भी जा चुका है। तब 2002 के दंगों में सक्रिय रहा मोहम्मद रफीक अपने साथियों सहित अंजार के एक मंदिर में घुस गया था। यहाँ उसने न सिर्फ मंदिर में तोड़फोड़ की थी, बल्कि बजरंग बली की मूर्ति की आँखें फोड़ दी थीं। इसके बाद उसने बजरंग बली की मूर्ति को जूतों की माला पहनाई थी।

साल 2002 के दंगों में पुलिस ने रफीक के खिलाफ इसी मामले को ले कर FIR भी दर्ज की थी। इस FIR में हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुँचाने सहित अन्य धाराओं में कार्रवाई हुई थी। बाद में केस का ट्रायल कोर्ट में चला था। अदालत ने रफीक को 3 साल की सजा भी सुनाई थी। अदालत के इस आदेश की कॉपी ऑपइंडिया के पास मौजूद है। इस आदेश के मुताबिक 2 अप्रैल 2002 की रात मोहम्मद रफीक अपने साथियों कासम और दिलावर के साथ अंजार के तुरियावाड इलाके में आने वाले एक हिन्दू मंदिर में घुसा था।

इस घटना के समय मोहम्मद रफीक महज 19 साल का था। अदालत में यह आरोप सिद्ध हुआ था कि रफीक ने साथियों के साथ बजरंग बली की मूर्ति की आँखें निकाली थी। मूर्ति को कई तरफ से क्षतिग्रस्त कर दिया था। मूर्ति तोड़ने के बाद रफीक ने पहले उस पर हरा रंग डाला और बाद में जूतों की माला भी पहना दी थी। तब मंदिर की सुरक्षा में तैनात होमगार्ड जवान किसी काम से बाहर गया था। वापस लौटने के बाद हुई जाँच पड़ताल में इस करतूत के पीछे रफीक का हाथ निकला था।

उस समय श्रद्धालुओं की तरफ से दी गई शिकायत का आधार पर रफीक और उसके साथियों पर आईपीसी की धारा 457, 295, 295-K, 153-K, 120-B के तहत FIR दर्ज हुई थी। अदालत में रफीक अपने गुनाह को कबूल करने से बचता रहा। हिंदू पक्ष के गवाहों के अलावा 28 सबूत कोर्ट के सामने पेश किए गए थे। अंत में अदालत ने तीनों आरोपितों को दोषी माना था। अंजार कोर्ट ने 28 अगस्त 2014 को रफीक, कासम और दिलावर को 3-3 साल की सजा सुनाई थी। इन सभी पर 5-5 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था।

बताया जा रहा है कि रफीक साल 2017 में जेल काट कर बाहर आ गया था। फिलहाल उसे 12 मजदूरों और उनके परिवारों को जान से मार डालने की नीयत से की गई आगजनी मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।

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