सीता, लक्ष्मी, राखी, मंजू… ज्ञानवापी में श्रृंगार-गौरी माता के नियमित दर्शन के लिए लड़ने वाली महिलाओं के बारे में जानिए सब कुछ

श्रृंगार-गौरी दर्शन के लिए कोर्ट पहुँची महिलाएँ (फोटो साभार: India Today)

वाराणसी में ज्ञानवापी विवादित ढाँचे के सर्वे का तीन दिन का काम पूरा होने के बाद 19 मई तक रिपोर्ट पेश की जाएगी। इसके साथ ही वाराणसी कोर्ट ने सर्वे करने गई टीम के कोर्ट कमिश्नर को हटा दिया है। अब मस्जिद का सर्वे विशाल सिंह और अजय सिंह करेंगे। ज्ञानवापी विवादित ढाँचे को कोर्ट में ले जाने वाली पाँच महिलाएँ हैं। इन महिलाओं ने मस्जिद परिसर में श्रृंगार-गौरी स्थल पर प्रार्थना की अनुमति माँगी है। 

इनमें कोई ब्यूटी पार्लर चलाती है, कोई जनरल स्टोर चलाती है तो कोई गृहिणी है। कोर्ट में याचिका लगाने वाली महिलाओं में लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक वाराणसी में रहती हैं, जबकि पाँचवी और मुख्य याचिकाकर्ता राखी सिंह दिल्ली में रहती हैं।

राखी सिंह

राखी सिंह सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वह विश्व वैदिक सनातन संघ की संस्थापक सदस्य हैं। इसके अध्यक्ष उनके चाचा जितेंद्र सिंह हैं। वह कई बार वाराणसी आ चुकी हैं और देवी माँ श्रृंगार गौरी की उपासक हैं। सनातन संघ के कार्यक्रम के दौरान राखी सिंह की मुलाकात लक्ष्मी, सीता साहू, मंजू और रेखा पाठक से हुई थी। विश्व वैदिक सनातन संघ के यूपी संयोजक संतोष सिंह का कहना है कि संगठन ने वाराणसी की चार महिलाओं के साथ समन्वय किया और अगस्त 2021 में याचिका दायर करने के लिए उन्हें एक साथ लाया गया।

लक्ष्मी देवी

लक्ष्मी देवी के पति विहिप नेता सोहन लाल आर्य का कहना है कि उनकी पत्नी मुश्किल से ही घर से निकलती हैं। घरेलू महिला होने के बाद भी लक्ष्मी देवी अदालत की सुनवाई के दौरान उपस्थित रहती हैं। दंपति वाराणसी के महमूरगंज इलाके में रहता है। 

लक्ष्मी देवी के पति और वाराणसी में विहिप के एक वरिष्ठ पदाधिकारी सोहन लाल आर्य का दावा है कि उन्होंने ही पाँचों महिलाओं को प्रेरित किया और एक साथ लाए। बचपन से आरएसएस से जुड़े रहने वाले सोहन लाल ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया था कि उन्होंने 1985 में वाराणसी की एक अदालत में काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मामले के बारे में अपनी पहली याचिका दायर की थी। इस बार उन्होंने महिलाओं को सामने रखने का फैसला लिया। ये महिलाएँ परिसर में देवी माँ के श्रृंगार स्थल पर प्रार्थना करना चाहती हैं। उन्होंने कहा, “मैंने चार महिलाओं को चुना क्योंकि मुझे याचिका दायर करने के लिए उनकी आवश्यकता थी। मेरे पास और कोई नाम नहीं था, इसलिए मैंने उन्हें चुना।”

मंजू व्यास

मंजू व्यास ज्ञानवापी परिसर से 1.5 किमी दूर अपने घर पर ही ब्यूटी पार्लर चलाती हैं। वे किसी भी संगठन से जुड़ी हुई नहीं हैं। श्रृंगार गौरी स्थल पर प्रार्थना करने में उनकी रूचि है।

राखी पाठक

काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के समीप ही स्थित हनुमान पाठक क्षेत्र की निवासी रेखा पाठक भी गृहिणी हैं। वह कहती हैं कि वह अपनी देवी के लिए याचिका का हिस्सा बनीं। उन्हें इस बात का बुरा लगा कि मंदिर में पूजा के लिए जाने वाली महिलाओं को बैरिकेडिंग के पार जाने की अनुमति नहीं है, इसलिए वो याचिका का हिस्सा बनी। याचिका दायर करने का निर्णय उन्होंने मंदिर के एक सत्संग के दौरान लिया क्योंकि वह सभी देवी माँ की पूजा करना चाहती हैं।

सीता साहू

सीता साहू ज्ञानवापी परिसर से महज 2 किमी दूर वाराणसी के चेतगंज इलाके में अपने घर से एक छोटा सा जनरल स्टोर चलाती हैं। वह भी कभी किसी संगठन या संगठन से नहीं जुड़ी हैं। उनका कहना है कि उन्हें मंदिर में अपनी देवी की ठीक से पूजा करने की अनुमति नहीं है। इसी कारण से उन्होंने याचिका दायर कर रखी है। सीता साहू ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए बताया कि जब वह दर्शन करने जाती थी, तब उनके साथ अभद्रता की जाती थी। वह बताती हैं कि सभी महिलाएँ विवादित ढाँचे के पास वाली माता का नियमित दर्शन करना चाहती हैं, इसलिए उन्होंने कानून का सहारा लेने का फैसला लिया। वह बताती हैं, “हम लोग इस मामले को लेकर हरिशंकर जैन से मिले। हमें दर्शन न करने का दुख था। इसलिए उन्हें बताया। फिर हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन की मदद से हमने याचिका दायर की।” याचिका में शामिल सभी महिलाओं का कहना है कि उनकी मुलाकात दर्शन पूजन के दौरान हुई थी। फिर दोस्ती हो गई और उसके बाद याचिका दायर किया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया