हाथरस मामले में SC ने किया फैसला सुरक्षित: CRPF सुरक्षा सहित यूपी से बाहर केस ट्रांसफर करने की माँग

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

उत्तर प्रदेश के हाथरस में कथित गैंगरेप केस और मौत के मामले में आज यानी गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने हाथरस मामले में दायर कई दलीलों पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। अदालत ने सुनवाई के दौरान, दलीलों में उल्लिखित कई बिंदुओं पर चर्चा की- जिसमें उत्तर प्रदेश के बाहर मामले को स्थानांतरित करना, पीड़ित के परिवार की सुरक्षा, मामले की जाँच में प्रशासन की भूमिका और बहुत सी बातें शामिल हैं।

दिल्ली में ट्रायल की माँग

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया है कि पीड़ित परिवार ने एडवोकेट सीमा कुशवाहा को अपना निजी वकील तय किया है। उन्होंने कहा कि परिवार ने सरकार द्वारा नियुक्त एक अतिरिक्त वकील के लिए भी कहा है। पीड़ित परिवार की ओर से पेश वकील सीमा कुशवाहा ने माँग की है कि जाँच पूरी होने के बाद इस मामले का ट्रायल दिल्ली में हो। उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि राज्य सरकार ने गवाहों को प्रदान की गई सुरक्षा के संबंध में अनुपालन हलफनामा प्रस्तुत किया था।

https://twitter.com/LiveLawIndia/status/1316593104279887872?ref_src=twsrc%5Etfw

उत्तर प्रदेश राज्य में निष्पक्ष परीक्षण की उम्मीद नहीं: अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह

वहीं इस मामले में अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि उन्हें उत्तर प्रदेश में निष्पक्ष परीक्षण की उम्मीद नहीं है। राज्य में जाँच को पहले ही विफल कर दिया गया और पुलिस मामले में दर्ज एफआईआर के लिए एक नंबर लिखने में फेल रही है। इस प्रकार मामले की निगरानी एक संवैधानिक अदालत द्वारा की जानी चाहिए। जयसिंह ने अदालत से मामले को इलाहाबाद से दिल्ली स्थानांतरित करने के लिए कहा और उल्लेख किया कि वकील कुशवाहा ने पहले ही इस संदर्भ में अनुरोध प्रस्तुत कर दिया है।

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उन्होंने इस मामले पर बहस के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त करने की भी माँग की। इसके अलावा उन्होंने उन्नाव मामले का उल्लेख किया और गवाह के लिए सीआरपीएफ सुरक्षा माँगी। वहीं सीआरपीएफ सुरक्षा के अनुरोध को लेकर उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक की ओर से पेश अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि गवाह के लिए सीआरपीएफ सुरक्षा को लेकर किए गए अनुरोधों पर राज्य को कोई आपत्ति नहीं है। फिर भी इसे यूपी पुलिस पर प्रतिबिंबित नहीं करना चाहिए और न्यायालय से आदेश में इसे स्पष्ट करने का अनुरोध किया।

गौरतलब है कि 19 वर्षीय पीड़िता का उसके गाँव में 14 सितंबर को चार लोगों द्वारा कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार और हमला किया गया था। हालाँकि, यूपी पुलिस ने बलात्कार या सामूहिक बलात्कार के आरोपों से इंकार किया था और फोरेंसिक रिपोर्ट में भी यही बात सामने आई है।

मंगलवार (सितम्बर 29, 2020) की सुबह दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में पीड़िता की मौत के बाद से हाथरस मामले को लेकर काफी बहस और राजनीतिक उथल-पुथल देखी जा सकती हैं। हाथरस पुलिस ने कहा कि ‘जबरन यौन क्रिया’ की अभी तक भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पुष्टि नहीं हो पाई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला घोंटने से मौत को मौत का कारण बताया गया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया