गुजरात में बांध की जमीन पर अवैध कब्जा कर बना दी दरगाह: पानी में इत्र मिलाने से चर्मरोग का शिकार हो रहे लोग, प्रशासन से शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं

गुजरात के जामनगर स्थित रंजीत सागर डैम पर बना दी दरगाह

गुजरात के जामनगर में रणजीत सागर बांध में अवैध इस्लामी निर्माण किया गया है। हैरानी की बात तो यह है कि प्रशासन द्वारा वर्ष 2022 में अवैध कब्जा हटाने का लिखित आदेश जारी होने के बाद भी निर्माण अभी भी जस का तस है। मामले को लेकर स्थानीय हिंदू कार्यकर्ताओं में आक्रोश है। उनका आरोप है कि प्रशासन की निगरानी में इस निर्माण को नहीं हटाया जा रहा है। वहीं पुलिस-प्रशासन ने अपने संज्ञान में इस मामले के आने के बाद कार्रवाई का भरोसा दिया है।

जामनगर जिले के हर्षदपुर और नवा मोखाना गाँव के बीच रणजीत सागर बांध के अंदर एक दरगाह बनी हुई है। इस दरगाह का नाम ‘हजरत पंजूपीर दरगाह शरीफ’ है। नियमों के मुताबिक, सार्वजनिक जलस्रोतों पर निजी निर्माण करना कानूनी अपराध है। हालांकि, बांध की सरकारी जमीन पर 10,000 से 15,000 वर्ग फुट क्षेत्र पर एक दरगाह बनाई गई है। इस मामले में जामनगर के हिंदू कार्यकर्ताओं ने 2022 में प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा था और दबाव हटाने की माँग की थी।

प्रशासनिक सर्वे से साबित हुआ कि जिस दरगाह का निर्माण किया गया है वह सरकारी जगह है और निर्माण अवैध है। इसके बाद सितंबर 2022 में मामलतदार ने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने वाले कासम हसन उड़िया के खिलाफ लिखित में अतिक्रमण हटाने का आदेश जारी किया। इस आदेश में कहा गया था कि यदि प्रवर्तक कसम परिसर को नहीं खोलता है, तो राजस्व संहिता की धारा 202 के तहत नोटिस जारी की जाएगी और फिर परिसर को खोलने और अवैध कब्ज़ा हटाने का खर्च भी उसी से वसूला जाएगा।

संघर्ष समिति के कार्यकर्ता युवराज सोलंकी ने ऑपइंडिया को बताया, “बांध के पीछे एक विशाल दरगाह बनाई गई है। इसमें 31-31 फीट की तीन दरगाहें हैं और एक नवनिर्मित साइड दरगाह भी इतनी ही लंबाई की है। वर्ष 2022 में हमने कब्जा हटाओ संघर्ष समिति द्वारा कलेक्टर को एक आवेदन प्रस्तुत किया।

युवराज ने कहा, ”जामनगर रणजीत सागर बांध में यह दरगाह पिछले 30-35 वर्षों में बनाई गई है। मानसून के दौरान जब बांध के इस क्षेत्र में पानी आता है तो ये संरचनाएँ डूब जाती हैं। साथ ही अब जामनगर में पानी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए बांध को सौनी योजना द्वारा भरा जा रहा है, इसलिए यह जगह लगभग 6 महीने तक पानी में डूबी रहती है। महत्वपूर्ण बात यह है कि आसपास के सभी गाँवों में हिंदू आबादी है।”

इससे होने वाली समस्या के बारे में उन्होंने ऑपइंडिया को बताया, “इस दरगाह में इत्र का प्रयोग बहुतायत में किया जाता है। जब पानी नहीं होता तो बड़ी मात्रा में इत्र चढ़ाया जाता है। पानी आने के बाद उसकी खुशबू पानी में मिल जाती है और जो लोग उस पानी का इस्तेमाल करते हैं उन्हें चर्म रोग हो जाते हैं। परफ्यूम इतना तेज़ होता है कि मुँह या हाथों पर चिपक जाए तो जलन होता है, इस पानी को पीना तो दूर की बात है।”

Krunalsinh Rajput: Journalist, Poet, And Budding Writer, Who Always Looking Forward To The Spirit Of Nation First And The Glorious History Of The Country And a Bright Future.