जहाँगीरपुरी की जामा मस्जिद का अवैध गेट भी ध्वस्त, सरकारी जमीनों को बना रखा है कबाड़खाना: पार्क भी अवैध कब्जे से नहीं बचे

जहाँगीरपुरी में स्थित जामा मस्जिद का दरवाजा भी अवैध अतिक्रमण की जद में था, जिसे ध्वस्त कर दिया गया

दिल्ली के जहाँगीरपुरी में जिस तरह से हनुमान जन्मोत्सव शोभा यात्रा पर पत्थरबाजी और गोलीबारी हुई, फिर उसके बाद भड़की हिंसा ने पूरे इलाके को अपनी चपेट में ले लिया। दंगाई इस्लामी भीड़ ने जिस तरह से कहर बरपाया, उसके बाद दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तारियाँ शुरू की। फिर ‘नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC)’ ने जहाँगीरपुरी के अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए बुलडोजर से कार्रवाई शुरू की। हालाँकि, शुरू होने के कुछ ही देर बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे रोक दिया।

जमीनी स्थिति को समझने के लिए ऑपइंडिया की टीम भी घटनास्थल पर पहुँची। जहाँगीरपुरी में स्थित जामा मस्जिद का एक दरवाजा भी अतिक्रमण की जद में था, जिसे NDMC के बुलडोजर ने ध्वस्त कर दिया। इसके साथ ही आसपास की कई दुकानों को भी ध्वस्त किया गया है। घरों के उन्हीं हिस्सों पर कार्रवाई की गई है, जो सरकारी जमीन के अतिक्रमण की जद में थे। बाकी के हिस्सों को छोड़ दिया गया है। बुलडोजर अब भी वहाँ लगे हुए हैं, लेकिन फ़िलहाल उनका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा।

हाँ, हमें जहाँगीरपुरी के स्थानीय मुस्लिम ज़रूर आक्रोशित दिखे। एक मुस्लिम व्यक्ति ने दिखाया कि उसकी दुकान के ऊपर बनी छत, जिसे गर्मी से बचने के लिए आगे बढ़ा दिया गया था, उसे भी ध्वस्त कर दिया गया है। ‘आप इसे बनवाएँगे कब’ – इसका जवाब वो देते हैं कि उन्हें अब कुछ नहीं पता। वहीं एक मुस्लिम बुजुर्ग चिल्लाते हुए वहाँ से निकले, “कमजोरों से क्यों लड़ रहे हो, ताकतवर से लड़ कर दिखाओ।” उन्होंने वहाँ मौजूद सुरक्षाकर्मियों से ये बात कही।

जहाँगीरपुरी के सी ब्लॉक में तमाम बड़े अधिकारी मौजूद हैं। छोटे-छोटे अस्थायी टेंट बनाए गए हैं, जहाँ से अधिकारी घटनास्थल पर नजर रख रहे हैं। बैरिकेडिंग भी लगाई गई है। दिल्ली पुलिस के अलावा ‘रैपिड एक्शन फोर्स (RAF)’ और ‘केंद्रीय रिजर्व सुरक्षा बल (CRPF)’ के कई जवान तैनात हैं। अधिकारियों ने कहा कि बुलडोजर वाली कार्रवाई NDMC ने की है, दिल्ली पुलिस शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात है।

वहाँ मौजूद हिन्दुओं से भी हमने बात की। एक युवक ने कहा कि जिस भी व्यक्ति ने पहला पत्थर फेंका, वो सबसे नीच किस्म का आदमी है। वहीं कुछ लोग भाईचारा की बात करते भी दिखे। सबसे बड़ी बात ये है कि जहाँगीरपुरी में अतिक्रमण अभी ख़त्म नहीं हुआ है। एक बड़ा सा सरकारी पार्क कबाड़ से भर दिया गया है। वहाँ से बदबू आती है और अंदर पाँव रखने तक की जगह नहीं है। इससे पूरे इलाके में गंदगी फैलती रहती है।

जहाँगीरपुरी में अतिक्रमण किए गए ध्वस्त

सड़क के किनारे जहाँ एक तरफ हमें अतिक्रमण में ध्वस्त किए गए घरों-दुकानों के अवैध हिस्से दिखे, वहीं सड़क के दूसरी तरफ हमें फुटपाथ पर बड़ी मात्रा में कबाड़ रखा हुआ मिला। दंगे के प्रमुख आरोपितों में से एक अंसार का भी कबाड़ का ही व्यापार है। वो BMW, सोने और शराब का शौक़ीन है, जिस पर पहले भी महिला का शील भंग करने से लेकर पुलिस पर हमला, जुए के रैकेट चलाने और आर्म्स एक्ट के मामले दर्ज हैं। जहाँगीरपुरी के सी ब्लॉक में अधिकतर अतिक्रमण कबाड़ से ही है।

‘इलियास कम्युनिकेशन’ नाम की एक दुकान के ऊपर से कुछ हिस्से भी ध्वस्त किए हुए दिखे। मस्जिद के सामने ही एक शराब की दुकान भी है, जो फ़िलहाल बंद है। याद दिला दें कि दंगे के दौरान पत्थरों के साथ-साथ बोतलों का इस्तेमाल भी किया गया था। इलाके में कुछेक दुकानें खुली हुई हैं, जिनकी भीड़भाड़ के कारण अच्छी कमाई हो रही है। मीडिया और पुलिस के जमावड़े के कारण भीषण गर्मी में उनके पेय पदार्थ बड़ी मात्र में बिक रहे हैं। अब सभी कि नजरें सुप्रीम कोर्ट कि अगली सुनवाई पर है।

अनुपम कुमार सिंह: चम्पारण से. हमेशा राइट. भारतीय इतिहास, राजनीति और संस्कृति की समझ. बीआईटी मेसरा से कंप्यूटर साइंस में स्नातक.