जामिया मिलिया इस्लामिया में पढ़ने वाली लॉ की छात्रा महूर परवेज (Mahoor Parvez) ने सोशल मीडिया पर हंदवाड़ा में बलिदान हुए 5 भारतीय सैनिकों को ‘वार क्रिमिनल’ यानी ‘युद्ध के अपराधी’ बताया है। परवेज ने अपने सोशल मीडिया पर देश की सुरक्षा में तैनात वीरकर्मियों के वीरगति प्राप्त होने पर उन्हें श्रद्धांजलि मिलता देख रविवार को आश्चर्य जताया और पूछा कि लोग युद्ध अपराधियों का महिमामंडन क्यों कर रहे हैं।
https://twitter.com/priyaakulkarni2/status/1257413694599966720?ref_src=twsrc%5Etfwमहूर परवेज (Mahoor Parvez) ने लिखा, “आप सभी युद्ध अपराधियों का महिमामंडन क्यों कर रहे हैं? इन ताकतों ने कश्मीर में 70+ वर्षों से अवैध रूप से घोर मानव अधिकारों का उल्लंघन किया है। और फिर भी कश्मीर को आज़ाद कराने के लिए बंदूक उठाने वाला आप ही के लिए आतंकवादी है और ये शहीद हैं? ये कैसी बात है।”
https://twitter.com/KhaitanCo/status/1257309974583107585?ref_src=twsrc%5Etfwबता दें कि परवेज ने ये पोस्ट अपने इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया साइटों पर शेयर किया। लेकिन जैसे ही ये पोस्ट वायरल होना शुरू हुआ, उसने इसे डिलीट कर दिया। मगर, लोग इसका स्क्रीनशॉट लेकर इस पर टिप्पणी करने लगे।
इस बीच परवेज की इस हरकत की जानकारी मिलते ही Khaitan & Co नाम की कंपनी, जहाँ वो बतौर इंटर्न काम करती थी, उसने उससे दूरी बना ली और स्पष्ट किया कि उसकी टिप्पणी का उनसे कोई लेना-देना नहीं है। वह केवल उनकी लॉ फर्म में बतौर इंटर्न काम कर रही थी, और अब वहाँ नहीं है।
लेकिन, यहाँ इस्लामिक कट्टरपंथी फौरन महूर परवेज (Mahoor Parvez) के सपोर्ट में आ गए। इन लोगों ने अभिव्यक्ति की आजादी का हवाला देकर उसका समर्थन किया। जब किसी ने परवेज को उसके विचारों के लिए आतंकी बताया तो अरशद नाम के यूजर ने उस शख्स को ‘गोबर’ कह दिया।
2 दिन पहले हंदवाड़ा में 5 सुरक्षाकर्मियों ने आतंकियों की कैद में फँसे नागरिकों की जान बचाने के लिए खुद को बलिदान कर दिया था। मगर, फिर भी इस्लामिक कट्टरपंथियों ने उनको श्रद्धांजलि देने के बजाय अपनी मानसिकता प्रदर्शित करते हुए उनसे संबंधित खबरों पर हाहा रिएक्ट किया। और परवेज के पोस्ट पर तो कट्टरपंथियों ने आतंकियों की मौत को मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया और लिखा कि क्या सरकार से मानवाधिकार उल्लंघन पर बात पूछना गलत है?