जहाँगीरपुरी के दंगाई अंसार का केस लड़ेगा जमीयत, बताया ‘सामाजिक कार्यकर्ता’: कहा – धार्मिक जुलूस में शामिल थे अराजक तत्व

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के पाँच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने जहाँगीरपुरी में मुस्लिमों से मुलाकात की

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने जहाँगीरपुरी हिंसा के मुख्य आरोपित अंसार का केस लड़ने का एलान किया है। स्थानीय लोगों ने जमीयत प्रतिनिधिमंडल को 14 लोगों की सूची और उनके आधार कार्ड दिए हैं, जिनको गिरफ्तार किया गया है। वहीं, उनके रिश्तेदारों ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद से न्याय की गुहार लगाई है। इस सम्बंध में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के कानूनी मामलों के जानकार एडवोकेट और मौलाना नियाज अहमद फारूकी ने कहा, “जमीयत उलेमा-ए-हिंद पूरी ताकत से उनका केस लड़ेगी। जमीयत उलेमा-ए-हिंद पहले से ही 2020 के दिल्ली दंगों के केस लड़ रही है, जिनमें वह 503 मामलों में जमानत दिलाने में सफल रही है, जबकि 160 केस ट्रायल पर लड़ रही है।”

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने दिल्ली के जहाँगीरपुरी में हनुमान जयंती पर हुई हिंसा पर टिप्पणी करते हुए इसे कानून-व्यवस्था की विफलता करार दिया। मौलाना मदनी ने इस घटना की निष्पक्ष जाँच की माँग करते हुए कहा, “जाँच एजेंसियों को ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना चाहिए और मूल मामले की तह तक पहुँचने का प्रयास करना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “इसके साथ ही उन लोगों और समूहों की धरपकड़ की जरूरत है, जो भड़काऊ नारे लगाते रहे और गैरकानूनी तरीके से हथियारों का प्रदर्शन करते रहे। जहाँगीरपुरी में सुबह से ही यह सभी गतिविधियाँ चल रही थीं, फिर भी पुलिस प्रशासन की लापरवाही और धार्मिक जुलूस में शामिल अराजक तत्वों पर काबू पाने में नाकामी निंदनीय है।”

ज्ञात हो कि मौलाना मदनी के निर्देश पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद का पाँच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट मोहम्मद नूरुल्लाह के नेतृत्व में जहाँगीरपुरी पहुँचा और प्रभावित मस्जिद के इमाम साहब और सी ब्लॉक में रहने वाले मुस्लिमों से मुलाकात की।

प्रतिनिधिमंडल में उनके साथ जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मुख्यालय से मौलाना अज़ीमुल्लाह सिद्दीकी कासमी, मौलाना ग़य्यूर अहमद कासमी, कारी सईद अहमद और हाई कोर्ट के एडवोकेट अब्दुल गफ्फार शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने मस्जिद के इमाम मौलाना शाहिद उस्मानी, स्थानीय नागरिक खलील अहमद, शेख अब्दुल कादिर, मोहम्मद जहाँगीर, मौलाना रमजान से विस्तृत तरीके से दिनभर की घटनाओं की जानकारी ली।

इन मुस्लिमों ने दावा किया, “शाम छह बजे से पहले दो बार मस्जिद के सामने भीड़ आई। स्थानीय लोगों के कहने पर उनका रूट बदल दिया गया। जब शाम को छह बजे तीसरी बार धार्मिक जुलूस हुसैन चौक होते हुए यहाँ पहुँचा तो यह ज्यादा उग्र हो गया। इसमें शामिल असमाजिक तत्वों ने मुसलमानों के खिलाफ नारे लगाए। विशेषकर “देश में रहना होगा, जय श्रीराम कहना होगा। लोगों ने हाथ जोड़कर उनको यहाँ से जाने के लिए कहा तो और अड़ गए और तलवार निकाल लिया, जिसके बाद दोनों तरफ से पथराव हुआ। बाद में पुलिस आई और दोनों पक्षों की भीड़ के बीच खड़ी हो गई। स्थानीय लोगों से जब पूछा गया कि क्या भीड़ मस्जिद में झंडा लगाना चाह रही थी तो उन्होंने कहा कि कुछ लोग मस्जिद के गेट पर झंडा लगाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वह असफल रहे।”

इस दौरान जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल ने उन मुस्लिम परिवारों से भी मुलाकात की, जिनको पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इनमें अंसार अहमद की बीवी से भी मुलाकात हुई। उन्होंने बताया, “उनके शौहर निर्दोष हैं और हिंदू-मुसलमान सभी के लिए भलाई के काम और सामाजिक कार्य करते हैं। अंसार को जमीयत ने ‘सामाजिक कार्यकर्ता’ बताया। दावा किया, “उस दिन भी वह लोगों को समझाने गए थे। वह बहुत डरी हुई थीं और कह रही थीं कि उनको डर है कि पुलिस कहीं उनके 17 वर्षीय बेटे सोहैल को भी परेशान न करे।”

बता दें कि अंसार ही वही शख्स है, जिसने हनुमान जयंती के दिन शोभा यात्रा ले जा रहे लोगों के साथ झगड़़ा शुरू किया था। इसके बाद पथराव और फायरिंग की घटनाएँ हुई थीं। अंसार का आपराधिक इतिहास रहा है। इसके अलावा, दिल्ली के शाहीन बाग में CAA-NRC विरोधी आंदोलनों के दौरान भी उसकी भूमिका सामने आई थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया